चुनावी डायरी
पीएम की मां के बाद अब तेजस्वी की पत्नी से अपशब्द की राजनीति

- राजद की विधायक के पति ने अपने दल के नेता तेजस्वी यादव की पत्नी को जर्सी गाय कहा।
- बयान पर राजद बोली- राजबल्लभ यादव को भाजपा में लालू के खिलाफ बोलने को आगे किया।
नवादा | राजेश प्रसाद
पिछले नौ साल से बलात्कार के केस में जेल में बंद नवादा के विधायक रहे राजबल्लभ यादव 22 दिन पहले ही जेल से छूटे और एक महिला विरोधी बयान देकर चर्चा में आ गए हैं। राजबल्लभ यादव ने तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री को ‘जर्सी गाय’ कह दिया जो मूल रूप से ईसाई हैं।
यह कहते हुए पूर्व विधायक ने उसी पार्टी के खिलाफ तेवर दिखा दिए, जिसके टिकट से उनकी पत्नी विभा देवी वर्तमान विधायक हैं। राज बल्लभ यादव के बयान को जिला राजद ने महिलाओं के खिलाफ घृणित मानसिकता वाला बताया है। गौरतलब है कि इस समय पीएम मोदी की दिवंगत मां को अपशब्द कहे जाने का मुद्दा खुद पीएम के पीड़ा जाहिर करने के बाद से जोर पकड़ रहा है और एनडीए ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए इसी सप्ताह बिहार बंद बुलाया था। ऐसे में राज बल्लभ यादव का तेजस्वी की पत्नी के खिलाफ दिया बयान ‘पलटवार’ के तौर पर भी देखा जा रहा है।
‘सिर्फ वोट के लिए जाति की राजनीति, जर्सी गाय ले आए’
नवादा के नारदीगंज प्रखंड में रविवार को एक जनसभा संबोधित करते हुए राजबल्लभ यादव ने लालू यादव व तेजस्वी की पार्टी पर वोट लेने के लिए जाति की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- ‘वोट लेने के लिए तेजस्वी यादव जाति की बात करते हैं लेकिन शादी तो किसी और जाति में की। अगर किसी यादव की बेटी से तेजस्वी ने शादी की होती तो यादव समाज की किसी लड़की का भला होता। क्या जरूरत थी हरियाणा-पंजाब से लाने की। कोई जर्सी गाय लाए हैं।’ कभी लालू यादव के खास रहे पूर्व विधायक राजबल्लभ यहीं नहीं रुके, उन्होंने तेजप्रताप का नाम लिए बिना कहा कि ‘एक ने किया भी तो भगा दिया।’
लालू ने बहू का नाम बदलकर रखा था राजश्री यादव
तेजस्वी यादव की पत्नी का मूल नाम रेचल गोडिन्हो है और वे हरियाणा के रेवाड़ी जिले की रहने वाली हैं। दोनों बचपन के दोस्त थे, वे एक विमान कंपनी में काम करती थीं और प्रेम विवाह किया। शुरूआत में इस रिश्ते को लेकर लालू असहज थे पर कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव की मध्यस्था से परिवार ने रिश्ता मंजूर कर लिया। लालू यादव ने अपनी बहू का नाम राजश्री यादव रख दिया था। परिवार की तरफ से यह तर्क दिया गया कि ‘रेचल गोडिन्हो’ नाम बोलने में कठिनाई होती है, इसलिए भारतीय संस्कृति के अनुरूप नया नाम दिया गया। सोशल मीडिया पर उन्हें अक्सर ‘बिहार की भाभी’ कहा जाता है और उनकी सादगी व सुंदरता की काफी तारीफ होती है। तेजस्वी और राजश्री के एक बेटी और एक बेटा है।
नवादा की राजनीति का अहम हिस्सा रहे हैं राजबल्लभ यादव
नवादा में यादव व भूमिहार का सपोर्ट लंबे समय से राजबल्लभ के पास रहा है जो राजद का यहां प्रतिनिधित्व करते आए हैं। 2016 में रेप के केस में नीतीश सरकार ने इन्हें जेल भेजा था, तब राजद ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। हालांकि इनकी पत्नी को टिकट दिया था। 2023 के विधान परिषद व 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजबल्लभ ने पार्टी से अपने भाई के लिए टिकट की मांग की, पार्टी के न मानने के बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ती चली गई।
पीएम की रैली में मौजूद रहकर दिए थे बगावत के संकेत
हाल में राजद विधायक विभा यादव ने पार्टी को बगावत के संकेत दिए जब वे गया जी जिले में हुई पीएम मोदी की रैली के दौरान मंच पर दिखी थीं। इसके बाद से ही विभा देवी व उनके पति राजबल्लभ यादव के भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। रिहाई के तुरंत बाद राजबल्लभ यादव ने तेजस्वी यादव की पत्नी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करके भाजपा से संभावित मिलाप के संकेत दे दिए हैं।
चुनौती देने को जदयू से यादव नेता को तोड़ा
राजबल्लभ के बदले तेवरों को देखते हुए जुलाई में राजद ने भी राजनीतिक पैंतरा दिखाया। 20 साल से नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में रहे नवादा के बाहूबली नेता कौशल यादव को तोड़कर वापस पार्टी में शामिल करा लिया, जिनकी यादव के साथ मुसलमानों के बीच पैठ बतायी जाती है। ऐसे में नवादा जिले में दो यादव नेताओं के जरिए राजद-जदयू-भाजपा राजनीति की बिसात पर खेल रही है। रविवार को राजबल्लभ के बयान पर कौशल यादव ने प्रेसवार्ता करके कड़ी आपत्ति जतायी और कहा कि तीस साल से लालू यादव ने जिसे विधायक-मंत्री बनाए रखा, उसे भाजपा लालू यादव के खिलाफ ही आगे कर रही है।
नवादा की छात्रा को घर बुलाकर रेप का आरोप
राजबल्लभ के ऊपर जिस नाबालिग से बलात्कार का आरोप है, वह 6 फरवरी, 2016 का मामला है। नालंदा जिले के रहुई थाना क्षेत्र की रहने वाली 15 साल की लड़की बिहारशरीफ नगर इलाके में किराये के घर में रहकर पढ़ाई करती थी। आरोप है कि उसे एक सहेली व उसकी मां ने एक बर्थडे पार्टी में चलने को कहा, किशोरी के राजी हो जाने पर वे दोनों उसे नवादा के विधायक राजबल्लभ के मकान पर पहुंचा गईं। वहां राजवल्लभ ने लड़की के साथ कथित रूप से रेप किया। यह भी आरोप है कि अगले दिन 7 फरवरी को सहेली ने किशोरी को उसके घर बिहारशरीफ छोड़ा। उसे 30 हजार रुपए दिए और मुंह बंद करने की धमकी दी, लेकिन लड़की चुप नहीं रही। 9 फरवरी को उसने बिहारशरीफ के एक थाने में एफआईआर दर्ज करा दी।
चुनावी डायरी
जीतन राम मांझी : NDA की दलित ताकत, पर सीट शेयर में बड़ी अड़चन

- बिहार चुनाव में NDA से 15 से 20 सीटें चाहते हैं HAM चीफ माझी
नई दिल्ली|
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान में जीतन राम मांझी का नाम सबसे ऊपर है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) (HAM) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री मांझी ने 15 से 20 सीटों की मांग रखी है, लेकिन BJP-JDU गठबंधन उन्हें 3-7 सीटें देने पर अड़ा है। क्या मांझी NDA के लिए महादलित-दलित वोटों की ‘मजबूत कड़ी’ हैं या उनकी बढ़ती महत्वाकांक्षा के बीच गठबंधन बचाना ‘मजबूरी’ और चुनौती बन गया है? आइए जानते हैं इस विश्लेषण में..

जीतनराम मांझी (तस्वीर – @NandiGuptaBJP)
NDA में मांझी की ‘मजबूती’: दलित वोटों का मजबूत आधार
हालिया बैठकों और बयानों से साफ है कि मांझी की मौजूदगी से NDA को जातीय समीकरण में मजबूती मिलती है। पर BJP के बार-बार मनाने पर भी वे अपनी मांग पर अड़े हैं, बीजेपी प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने इसे उनकी ‘साफगोई’ कहा है। जातीय गणित की नजर से देखें तो मांझी NDA को कई सीटों पर मजबूती देते दिखते हैं-
- महादलित-दलित वोट बैंक: बिहार में दलित (16%) और महादलित (मुसहर, डोम आदि) वोटरों पर मांझी की पकड़ मजबूत है। 2020 में HAM ने 7 सीटों पर 60% से ज्यादा स्ट्राइक रेट दिखाया, जो NDA की कुल 125 सीटों में योगदान देता है। चिराग पासवान (LJP) के साथ मिलकर वे पश्चिम चंपारण से गया तक दलित वोटों को एकजुट करते हैं।
- नीतीश के पूरक: NDA का महादलित फोकस मांझी से मजबूत होता है। लोकसभा 2024 में NDA की 30/40 सीटों में मांझी का रोल सराहा गया।
- केंद्रीय मंत्री के रूप में: MSME मंत्री के तौर पर वे केंद्र की रोजगार सृजन योजनाओं (जैसे PMEGP) को बिहार में लागू कर NDA की छवि चमकाते हैं।
NDA में मांझी की मजबूती – |
उदाहरण |
जातीय समीकरण |
महादलित (12%) वोटों पर पकड़; 2020 में 4/7 सीटें जीतीं। |
रणनीतिक भूमिका |
JDU-BJP के बीच दलित ब्रिज; चिराग के साथ मिलकर विपक्ष (RJD) को चुनौती। |
परिवारिक प्रभाव |
बेटा–बहू के मंत्री/विधायक होने से स्थानीय स्तर पर मजबूती। |
विवादास्पद अपील |
गरीबी से सत्ता की कहानी दलित युवाओं को प्रेरित करती है। |

जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।
NDA के लिए ‘मजबूरी’: बढ़ती मांगें और बगावती तेवर
दूसरी तरफ, मांझी की महत्वाकांक्षा NDA के लिए सिरदर्द बनी हुई है:
- सीटों की मांग: बिहार विधानसभा चुनाव में 15-20 (कभी 25-40) सीटें मांग रहे हैं, ताकि HAM को ECI मान्यता (6% वोट/6 सीटें) मिले। लेकिन BJP-JDU उन्हें 3-7 सीटें देने को तैयार हैं। धर्मेंद्र प्रधान की 5 अक्टूबर 2025 की मीटिंग में मांझी को ‘3 से ज्यादा पर नहीं’ कहा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मांझी ने धमकी दी- “अगर 15-20 न मिलीं तो 100 सीटों पर अकेले लड़ेंगे।”
- नाराजगी का इतिहास: 2015 में BJP ने नीतीश के सामने मांझी को ‘अपमानित’ होने दिया। अब अप्रत्यक्ष अपमान (वोटर लिस्ट न देना) से नाराज हैं। News18 में मांझी ने कहा, “हम रजिस्टर्ड हैं, लेकिन मान्यता नहीं—यह अपमान है।”
- गठबंधन तनाव: NDA का फॉर्मूला लगभग तय है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- JDU को 102-108, BJP को 101से 107, LJP को 20से 22, HAM को 3से 7, RLM को 3से 5 सीटें देने का फॉर्मूला है। मांझी की मांग से JDU-BJP के बीच ‘100 सीटों की लड़ाई’ तेज हुई है। उपेंद्र कुशवाहा (RLM) ने भी 15 सीटों की मांग कर दी है जिससे NDA पर 35 सीटों को लेकर दवाब बढ़ गया है।
- बगावत का जोखिम: अगर मांझी बगावत करें, तो दलित वोट बंट सकते हैं, जो महागठबंधन (RJD) को फायदा देगा। लेकिन NDA उन्हें ‘जरूरी बुराई’ मानता है—इग्नोर करने से वोट लॉस, मानने से सीट शेयरिंग बिगड़ेगी।
NDA के लिए मांझी की मजबूरी के पहलू |
उदाहरण |
सीट मांग का दबाव |
20 मांगीं, 3-7 ऑफर; बगावत की धमकी। |
पुराना अपमान |
2015 में BJP-JDU ने ‘छोड़ दिया‘; अब मान्यता की लड़ाई। |
गठबंधन असंतुलन |
JDU-BJP 200+ सीटें चाहते; छोटे दलों को ‘कुर्बानी‘ देनी पड़ रही। |
विवादास्पद छवि |
बयान गठबंधन को नुकसान पहुंचाते, लेकिन वोटरों को जोड़ते। |

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी
मजबूती ज्यादा, लेकिन मजबूरी नजरअंदाज नहीं
मांझी NDA के लिए ‘मजबूती‘ ज्यादा हैं—उनके बिना दलित वोटों का 20-25% हिस्सा खिसक सकता है। लेकिन सीट बंटवारे की उनकी जिद गठबंधन को ‘मजबूरी‘ में डाल रही है, जहां BJP-JDU को छोटे दलों को मनाना पड़ रहा। 5 अक्टूबर की प्रधान–मांझी बैठक में सहमति बनी, लेकिन अंतिम फॉर्मूला जून–जुलाई में तय होगा। अगर NDA 225+ सीटें जीतना चाहता है (जैसा मांझी दावा करते हैं), तो मांझी को ‘सम्मानजनक‘ रखना जरूरी। वरना, बिहार का जातीय समीकरण फिर उलट सकता है। राजनीतिक पंडितों का मानना है: मांझी ‘करो या मरो‘ के दौर में हैं, और NDA के लिए वे ‘जरूरी सहयोगी‘ से ‘संभावित खतरा‘ बन सकते हैं।
मांझी की राजनीतिक यात्रा: बंधुआ मजदूरी से सत्ता तक
जीतन राम मांझी बीते छह अक्तूबर को 81 बरस के हो गए। वे मुसहर समुदाय (महादलित) से आते हैं, जो बिहार के सबसे वंचित वर्गों में शुमार है। बचपन में बंधुआ मजदूरी करने वाले मांझी ने शिक्षा के बल पर 1966 में हिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया और पोस्टल विभाग में नौकरी पाई।

जीतन राम माझी
1980 में कांग्रेस से राजनीति में कदम रखा, फिर RJD (लालू प्रसाद) और 2005 में JDU (नीतीश कुमार) से जुड़े। 2014 में लोकसभा चुनाव में JDU की करारी हार के बाद नीतीश ने इस्तीफा दिया और मांझी को मुख्यमंत्री बनाया—मकसद महादलित वोटों को साधना। लेकिन 9 महीने बाद (फरवरी 2015) विवादास्पद बयानों (जैसे डॉक्टरों के हाथ काटने की धमकी, चूहे खाने को जायज ठहराना) और नीतीश पर हमलों से JDU ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। इसके बाद 18 विधायकों के साथ HAM बनाई।
2020 में NDA में वापसी हुई, जहां HAM को 7 सीटें मिलीं और 4 जीतीं। लोकसभा 2024 में गयासुर लोकसभा सीट जीतकर मांझी केंद्रीय मंत्री बने। उनके बेटे संतोष कुमार मांझी बिहार सरकार में मंत्री हैं, जबकि बहू दीपा मांझी इमामगंज से विधायक। यह पारिवारिक राजनीति NDA के लिए फायदेमंद रही, लेकिन मांझी के बयान (जैसे ताड़ी को ‘नेचुरल जूस’ कहना) अक्सर विवादों का सबब बने।
चुनावी डायरी
बिहार : NDA से सीट बंटवारा अटक रहा, महागठबंधन में सीएम फेस पर सहमति नहीं

पटना | हमारे संवाददाता
बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। लेकिन सबकी नजर NDA और महागठबंधन की सीट शेयरिंग पर है। दोनों गठबंधन में बैठकों का दौर जारी है। सूत्रों की माने तो महागठबंधन में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल हो चुकी है। CM फेस पर मामला फंस रहा है। राजद नेता तेजस्वी यादव के आवास पर आज भी महागठवंधन सहयोगी दलों की बैठक है।
दूसरी ओर, NDA में चिराग पासवान और जीतनराम माझी के दलों ने सीट बढ़वाने की डिमांड कर दी है, जिससे सीट बंटवारे पर ही बात अटकी हुई है। नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं के साथ बैठक की। खबर है कि टिकट और उम्मीदवार को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सीएम ने 45 मिनट चर्चा की है। जदयू अपने कोटे की सीटों और उम्मीदवारों पर मंथन जारी है। मुख्यमंत्री आवास पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय झा ने कहा, ‘एनडीए पूरी मजबूती से खड़ा है और जल्द सीट शेयरिंग हो जाएगी।
इधर, सोमवार रात बिहार बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान दिल्ली गए हैं। वहां चिराग पासवान के साथ मीटिंग होनी है।

5 अक्तूबर को जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।
चिराग- 30, मांझी- 15 सीट पर अड़े
बिहार बीजेपी के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान लगातार सहयोगी दलों से सीट बंटवारे को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इस बीच चिराग की पार्टी की ने एनडीए की मुसीबत बढ़ा दी है। सूत्रों के अनुसार, चिराग 25-30 सीटों पर अड़े हुए हैं। इधर, मांझी ने भी 15 सीटों की डिमांड कर गठबंधन में टेंशन बढ़ा दी है। दिल्ली में आज चिराग पासवान की धर्मेंद्र प्रधान के साथ मीटिंग है। जहां सीट बंटवारे पर बात होगी।
माना जा रहा है कि एनडीए अगले एक दो दिन में सीट बंटवारे का ऐलान कर सकता है।
सीटों पर फंस रहा पेंच
सूत्रों के मुताबिक एनडीए में सीटों के बंटवारे में दो मुद्दे हैं। पहला- सभी पार्टियों को मिलने वाली सीटों की संख्या तय करना। दूसरा- किसके खाते में कौन सी सीट जाएगी। चर्चा है कि एनडीए में सीटों की संख्या को लेकर काफी हद तक सहमति बन गई है, लेकिन किस पार्टी को कौन सी सीट मिलेगी इसको लेकर पेंच फंस रहा है।
कुछ सीटों पर लोजपा-रामविलास का दावा
चिराग की पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में जमुई लोकसभा सीट के तहत आने वाली चकाई और सिकंदरा विधानसभा सीट पर दावा किया था। चकाई से फिलहाल सुमित सिंह निर्दलीय विधायक हैं, जो नीतीश सरकार में मंत्री भी हैं। जबकि सिकंदरा विधानसभा सीट से फिलहाल हम पार्टी के विधायक हैं। ऐसे में एक ही सीटों पर कई दलों के दावे से मामला फंस रहा है।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग फाइनल, CM चेहरे पर पेंच
सूत्रों की माने तो महागठबंधन में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल है। रविवार की देर शाम मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के आवास पर हुई मैराथन मीटिंग के बाद दावा किया था कि सब कुछ फाइनल हो गया है।
आज तेजस्वी आवास पर फिर से महागठबंधन नेताओं की मीटिंग बुलाई गई है। इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा और लेफ्ट की पार्टियों से बात होगी। साथ ही पशुपति पारस की पार्टी को कितनी सीटें दी जाए, इस पर चर्चा है। बताया जा रहा है कि महागठबंधन में CM फेस पर पेंच फंसा है।
चुनावी डायरी
मांझी की नाराजगी की खबरों के बीच ‘हम’ का बयान- एनडीए 200 से ज्यादा सीटें जीतेगा

- डॉ. संतोष कुमार सुमन बोले- मोदी-नीतीश के नेतृत्व में बिहार का हुआ अभूतपूर्व विकास
- एक दिन पहले बीजेपी चुनाव प्रभारी के सीट शेयर फॉर्मूला से नाराज हो गए थे माझी
पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा पर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एनडीए सहयोगी डॉ. संतोष कुमार ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि एनडीए पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतरेगा और हमें पूर्ण विश्वास है कि इस बार बिहार की जनता एनडीए को दोबारा प्रचंड बहुमत से जिताएगी।
उन्हेंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने पिछले वर्षों में अभूतपूर्व विकास देखा है — चाहे वह सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य या रोजगार के क्षेत्र हों, हर ओर विकास की गूंज है।
जनता एनडीए सरकार के कार्यों पर भरोसा करती है और इस चुनाव में विपक्ष के झूठे वादों को पूरी तरह नकार देगी। महागठबंधन की हार तय है और एनडीए कम से कम 200 से अधिक सीटों पर शानदार जीत दर्ज करेगा। बिहार की जनता विकास और स्थिरता के पक्ष में वोट करेगी।
उन्होंने जनता से अपील कि सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में हुए ऐतिहासिक सुधारों के लिए NDA को फिर से वोट दें और मिलकर विकसित बिहार के सपने को साकार करें। मोदी जी के नेतृत्व में NDA सरकार ने बिहार को जंगलराज से निकालकर विकास और सुशासन की नई दिशा दी है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि बिहार की जनता इस बार भी विकास की राजनीति को चुनेगी, जंगलराज वालों को एक बार फिर सबक सिखायेगी।
-
रिपोर्टर की डायरी3 weeks ago
अलविदा डॉ. झा : एक शिक्षक जिसने जिला बनने से पहले बनाया ‘अररिया कॉलेज’
-
रिपोर्टर की डायरी1 month ago
छपरा : पास में सो रहा था बच्चा, मां और मौसी का गला काटा, मां की मौत
-
रिपोर्टर की डायरी2 weeks ago
Bihar : रास्ते में पोती से छेड़छाड़, विरोध करने पर दादा की पीट-पीटकर हत्या
-
रिपोर्टर की डायरी2 weeks ago
नवादा: बाढ़ ने पुलिया तोड़ी, तीन बार बहा रोड.. पैदल नदी पार कर रहे ग्रामीण
-
मेरी सुनो2 weeks ago
SSC online पेपर की बदइंतजामी से परेशान Aspirant ने फांसी लगाई, पुलिस ने बचाया
-
रिपोर्टर की डायरी3 weeks ago
माझी समाज के युवक की आंखें फोड़ीं, हत्या की रपट लिखाने को एक महीने भटकी पत्नी
-
रिपोर्टर की डायरी1 week ago
उत्तरकाशी : स्वतंत्र पत्रकार ने क्या कवरेज की थी.. जिसके बाद बैराज में मिला शव
-
रिपोर्टर की डायरी1 month ago
नवादा : गड्डे में डूबी बच्ची को बचाने की कोशिश में मां व तीन बहनों की भी मौत