रिपोर्टर की डायरी
बेगूसराय (बिहार) : जदयू नेता पर सोते समय बेखौफ बदमाशों ने गोलियां बरसाईं, मौके पर मौत
बेगूसराय (छौड़ाही) | धनंजय झा
बिहार में नई सरकार (Bihar NDA Government) आने का बाद भी कानून व्यवस्था को लेकर हालात जस के तस हैं। NDA सरकार से जुड़ी प्रमुख पार्टी जदयू (JDU) के एक नेता की रात में सोते हुए अपराधियों ने गोलियों से भूनकर (Open Firing) निर्ममता से हत्या कर दी।
वह पूर्व पंचायत अध्यक्ष थे और हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए सक्रियता से प्रचार कर रहे थे। मृतक की पत्नी का कहना है कि करीब छह लोग रात में घर के बाहर बने जानवरों के बथान में घुस गए और वहीं बिस्तर पर सो रहे उनके पति के ऊपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इस मामले में अभी केस दर्ज नहीं हुआ है।
जानवरों के डेरे में सोए हुए थे
यह मामला छौड़ाही थाना क्षेत्र के पीर नगर गांव का है। यहां 9 अक्तूबर की देर रात बेखौफ अपराधी जदयू के पूर्व पंचायत अध्यक्ष (Former Panchayat head) नीलेश कुमार के घर घुस गए और उनके ऊपर गोलीबारी शुरु करके निर्मम हत्या (cold blooded murder) कर दी। तब नीलेश कुमार अपने डेरा (बथान) में सोए हुए थे। पत्नी शिल्पा कुमारी का कहना है कि हथियारबंद बदमाशों ने कुछ बोले बिना अचानक ही गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलीबारी की आवाज सुनकर जब वे बथान की ओर दौड़े, तब तक अपराधी हथियार लहराते हुए फरार हो गए।
गले और छाती में गोली लगी
मृतक के भाई अखिलेश कुमार महतो का कहना है कि नीलेश के गले और छाती में गोली मारकर बदमाश भाग गए, वे तीन मोटरसाइकिलों पर आए थे। जब तक हम लोग पहुंचे, उनकी मौत हो चुकी थी।
पिता ने कहा- मौके पर गांव के ही लोग थे
मृतक के पिता रामबली महतो ने कहा कि वारदात के समय गांव के ही बृजेश कुमार और जयप्रकाश महतो सहित अन्य लोग हथियार लहराते हुए भागते देखे गए। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि हाल में कोई विवाद नहीं था, लेकिन कुछ साल पहले जमीन को लेकर दोनों पक्षों के बीच झगड़ा हुआ था।
खेतीबाड़ी करते थे, जमीनी नेता थे
पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद मृतक के भाई अखिलेश कुमार महतो ने कहा कि उनके भाई नीलेश कुमार की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। वे जदयू से लंबे समय से जुड़े थे और घर चलाने के लिए खेतीबाड़ी करते थे।
पार्टी की कोई प्रतिक्रिया नहीं
पार्टी कार्यकर्ता की हत्या होने को लेकर अब तक जदयू की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही मामले पर कोई केस दर्ज हुआ है। घटना की सूचना मिलने पर छौड़ाही थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया गया है।
SP मनीष बोले- जमीन को लेकर था विवाद
बेगूसराय एसपी मनीष ने बताया कि शुरुआती जांच में जमीन विवाद की बात सामने आ रही है। 2019 में दोनों पक्षों ने इस मामले को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है और पुलिस टीम अन्य आरोपियों की तलाश में छापामारी कर रही है। वारदात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस पूरे मामले को कई एंगल से जांच रही है।
रिपोर्टर की डायरी
मुंगेर : नामी सर्जन ने बेटे का गलत ऑपरेशन किया.. परिवार कर्ज में डूबा, पिता की मौत; कैंसर पीड़ित मां ने 6 साल लड़ी लड़ाई, आखिर मिला इंसाफ
मुंगेर : नामी सर्जन ने बेटे का गलत ऑपरेशन किया.. परिवार कर्ज में डूबा, पिता की मौत; कैंसर पीड़ित मां ने 6 साल लड़ी लड़ाई, आखिर मिला इंसाफ
- 11 साल के बच्चे का गलत ऑपरेशन करने का मामला।
मुंगेर | प्रशांत कुमार
बिहार के मुंगेर में एक बच्चे का गलत ऑपरेशन होने के बाद पूरा परिवार बर्बाद हो गया। अपेंडिसाइटिस का लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन करने के नाम पर एक नामी सर्जन ने बच्चे का पेट गले से नाभि तक चीर डाला, उसकी जान बचाने के लिए परिवार को भारी कर्ज लेकर कोलकाता में ऑपरेशन कराना पड़ा। कर्ज के बोझ के चलते पिता की असमय मौत हो गई।
इतना होने पर भी कैंसर पीड़ित मां ने अपने बेटे के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ाई नहीं रोकी और अब जाकर उन्हें न्याय मिला है। छह साल चले केस में जिला उपभोक्ता विभाग ने जिले के नामी सर्जन को आदेश दिया है कि वे पीड़ित को 16.51 लाख रुपये दें। साथ ही, कहा है कि अगर दोषी डॉक्टर ने आदेश की तारीख से 60 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया तो पूरी राशि पर नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।
बेटे के पेट में दर्द उठा था, 5 दिन में हालत बिगाड़ दी
समर शेखर नाम के 11 साल के बच्चे के पेट में एक अगस्त 2019 को अचानक काफी तेज दर्द उठा। समर की मां के मुताबिक, उन्हें नीलम सिनेमा के पास स्थित एक प्रसिद्ध सर्जन के यहां ले गए। जहां सर्जन ने कुछ जांच कर मरीज को अपेंडिसाइटिस होने की बात कही और तुरंत लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी का सुझाव दिया। अगले दिन दो अगस्त 2009 को लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी किया गया जो असफल रहा।
परिवार की अनुमति बिना पेट चीड़ डाला
इसके बाद डॉक्टर ने अभिभावक की बिना सहमति से पूरे पेट में चीड़ा लगा दिया। इसके बाद भी मरीज को पांच दिनों में पीड़ा कम नहीं हुई तो डाक्टर ने मरीज को घर ले जाने का सलाह दी। स्वजन के काफी दबाव देने के बाद डाक्टर ने अस्पताल का खर्च लेकर मरीज को छह अगस्त 2019 को रेफर किया।
हायर सेंटर में इलाज से इनकार, कहा- बच्चा मौत के करीब
जहां से उसे भागलपुर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, पर वहां यह कहकर उसका इलाज करने से इंकार कर दिया गया कि बच्चे का आपरेशन इस प्रकार किया गया है कि उसे मृत्यु के करीब पहुंचा दिया गया है।
10 दिन वेंटिलेटर पर रखने के बाद जान बची
इसके बाद एमएमआरआई कोलकाता में बच्चे का आपरेशन कर उसकी जांच बचाई गई। यहां दस दिनों तक उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस प्रकार बच्चे के इलाज में आठ लाख से अधिक की रशि खर्च हो गई।
डॉक्टर का जवाब- अपेंडिक्स परफोरेशन के कारण खोला पेट
आयोग को दिए अपने लिखित जवाब में डॉक्टर ने कहा कि अपेंडिक्स परफोरेशन होने के आभास होने पर मरीज का पेट खोला गया। इसके अलावा आंतों पर फ्रिवीनस फ्लेक जमा हुआ था, व अपेंडिक्स के आसपास पस जैसा फ्लूड जमा था। ऐसा पाने के बाद जहां तक संभव था अपेंडिक्स काटकर निकाल दिया गया। वहीं, चिकित्सक ने यह स्वीकार किया कि कोलकाता में जो इलाज हुआ उसमें आंत में जो छेद था उसे बंद कर दिया और अपेंडिक्स के स्टम्प का फिर से आपरेशन कर शेष बचे अपेंडिक्स को बाहर कर दिया गया।
आयोग बोला- डॉक्टर ऑपरेशन नहीं, प्रयोग कर रहे थे
डॉक्टर को देने होंगे कुल 16.51 लाख रुपये
- इलाज का खर्च 8.50 लाख + 6% ब्याज (2019 से)
- मानसिक-शारीरिक कष्ट: 2 लाख
- वाद व्यय: 50 हजार
- बच्चे का शरीर पोस्टमार्टम की तरह चीरने का मुआवजा: 5 लाख
- 60 दिन में भुगतान न हुआ तो पूरी राशि पर 9% सालाना ब्याज
चुनावी डायरी
बिहार पंचायत चुनाव में बैलेट पेपर नहीं, पहली बार EVM से होगी वोटिंग
बिहार पंचायत चुनाव 2026:
पटना |
बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद अब 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने फैसला लिया है कि इस चुनाव में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग होगा।
बता दें कि पंचायत चुनावों में अब तक बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन 2026 में होने वाले इस चुनाव में ‘मल्टी पोस्ट ईवीएम’ का प्रयोग किया जाएगा, जिसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस बार लगने वाली मल्टी पोस्ट ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट (सीयू) और छह बैलेट यूनिट (बीयू) होंगी। इसका मतलब है कि मतदाता एक ही कंट्रोल यूनिट से जुड़े अलग-अलग छह पदों के लिए अलग-अलग बैलेट यूनिट में वोट डाल सकेंगे।
पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य, पंच, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य और सरपंच, इन सभी छह पदों के लिए एक साथ अलग-अलग मशीनों पर मतदान होगा। इससे मतदान प्रक्रिया तेज होगी और मतगणना भी पहले की तुलना में अधिक सुविधाजनक एवं त्रुटिरहित होने की उम्मीद है।
रिपोर्टर की डायरी
मुंगेर : बिहार से यूपी तक पहुंच रही थी नकली Gold Flake-Wills सिगरेट, असली कंपनी ने ट्रैक करके गैंग पकड़वाया
- आईटीसी कंपनी ने नकली फैक्ट्री का पता लगाकर मुंगेर पुलिस को सूचना दी, तब जाकर छापामारी हुई।
मुंगेर | प्रशांत कुमार
बिहार के मुंगेर में नामी ब्रांड की नकली सिगरेट बनाने की फैक्ट्री का पता लगा। पुलिस ने सोमवार की रात (8 nov) छापामारी करके फैक्ट्री से 50 लाख रुपए की नकली सिगरेट बरामद की। हैरानी की बात ये है कि इस फैक्ट्री में बनी नकली सिगरेट बिहार ही नहीं पड़ोसी उत्तर प्रदेश तक में सप्लाई होती थी।
गोल्ड फ्लैक, कैपिस्टन और विल्स जैसे नामी ब्रांड की सिगरेट बनाने वाली कंपनी आईटीसी को मुंगेर में इसके बनने की जानकारी मिली। जिसके बाद शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की। नकली सिगरेट बनाने वाली यह फैक्ट्री मुंगेर के पूरब सराय थाना क्षेत्र काली तजिया वार्ड संख्या 24 निवासी पिंकू खां के घर में चल रही थी। मौके से पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया जबकि मुख्य आरोपी फरार होने में सफल रहा। सिगरेट बनने के बाद इसे लोग बिहार के ग्रामीण इलाकों से लेकर ट्रेन व अन्य साधनों के जरिए यूपी में भी सप्लाई कर रहे थे।
ब्रांड की नकल वाले रैपर मिले
पुलिस को छापामारी में कई ब्रांड की सिगरेट, रोलर मशीन, प्रिंटर, पंचिंग मशीन और कई सिगरेट के नाम लिखे रैपर मिले।
कंपनी ने नकली सिगरेट को खुद ट्रैक किया
कंपनी के लीगल मैनेजर शिवा ने बताया कि छह महीने से हम लोग लगातार जांच कर रहे थे कि नकली सिगरेट कौन बना रहा है। इसी को लेकर शहर और ग्रामीण इलाकों में मिलीं नकली सिगरेट के सैंपल को इकट्ठा किया। फिर लैब में इसकी जांच की तो पता चला कि बिहार और यूपी के कई जिले और गांव की दुकानों में नकली सिगरेट बेची जा रही है। इस जानकारी के आधार पर वे नकली फैक्ट्री चलाने वाले पिंकू खां के घर तक पहुंच गए। लीगल मैनेजर शिवा का कहना है कि इसके बाद उन्होंने मुंगेर के डीआईजी और एसपी को इस मामले की जानकारी दी।
एक बड़ी पुलिस टीम ने छापा मारा
ITC कंपनी के अधिकारियों ने इसकी जानकारी मुंगेर एसपी सैयद इमरान मसूद को दी। जिसके बाद एसपी के निर्देश पर सदर एसडीपीओ अभिषेक आनंद, प्रशिक्षु डीएसपी अभिषेक चौबे, मिथलेश तिवारी ,पूरब सराय थानाध्यक्ष सौरभ कुमार महिला थानाध्यक्ष कृति कुमारी कोतवाली थानाध्यक्ष राजीव तिवारी ,जिला आसूचना इकाई की टीम और सशस्त्र बल के साथ छापेमारी की गई।
भनक लगते ही फैक्ट्री से माल हटा गया आरोपी
सोमवार की रात जैसे ही पुलिस पिंकू खान के घर पहुंची, वह फरार मिला और उसके घर में सिगरेट का सामान भी नहीं था। मौके पर उसकी पत्नी से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो पता लगा कि पूरा सामान पड़ोसी के घर में शिफ्ट कर दिया है। फिर पुलिस ने पड़ोस के घर में छापामारी की तो वहां भारी मात्रा में नकली सिगरेट व उसे बनाने के उपकरण मिले।
50 लाख की सिगरेट बरामद
लीगल मैनेजर ने बताया की 40 से 50 लाख रूपये की नकली सिगरेट की बरामदगी की गई। उन्होंने कहा धंधेबाज, स्थानीय दुकानदारों को एक सिगरेट की पैकेट 30 -35 रुपए में देता था और दुकानदार प्रति सिगरेट दस रुपये में बेचते थे।
क्या बोले सदर एसडीपीओ
सदर एसडीपीओ अभिषेक आनंद ने बताया कि पूरबसराय थाने में केस दर्ज करके कार्रवाई की जा रही है। हमने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। अब तक की जांच से पता लगा है कि यहां पर सिगरेट बनाने के साथ स्टॉक करके जगह-जगह उसे सप्लाई भी किया जाता था। हम इस पूरे सिंडिकेट को खंगालने में जुटे हैं, यह भी आकलन किया जा रहा है कि बरामद हुआ माल कितने रुपये का है।
नकली सिगरेट, असली सिगरेट से कहीं ज्यादा खतरनाक होती हैं। इनमें तंबाकू की मात्रा बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती, लेकिन इनकी भराई में जो मिलावटी चीजें डाली जाती हैं, वे सीधे मौत का कारण बन सकती हैं।नकली सिगरेट में मिलने वाली खतरनाक चीजें (पुलिस-एफएसएल रिपोर्ट्स के आधार पर):
- चूरा हुआ कागज / अखबार – सस्ते कागज में मौजूद ब्लीचिंग केमिकल और इंक (स्याही) सीधे फेफड़ों में जाते हैं।
- चॉक पाउडर / प्लास्टर ऑफ पेरिस – सांस की नली में जमकर अस्थमा, फाइब्रोसिस और फेफड़ों का सिकुड़ना।
- जहर वाले कीटनाशक (DDT, मेलाथियान के अवशेष) – तंबाकू की जगह सूखी घास या पत्तों पर छिड़काव किया जाता है।
- स्ट्रिक्नाइन (चूहे मारने की दवा) – कुछ मामलों में निकोटीन का असर देने के लिए मिलाई जाती है; इससे दिल का दौरा, लकवा या अचानक मौत।
- भारी धातुएँ – सीसा (Lead), आर्सेनिक, कैडमियम की मात्रा असली सिगरेट से 10-50 गुना ज्यादा।
- फफूंद और बैक्टीरिया – खराब स्टोरेज की वजह से फेफड़ों में इन्फेक्शन और टीबी का खतरा।
- अज्ञात केमिकल्स – स्मेल और जलने के लिए मिलाए गए अनजाने रसायन जो कैंसर का कारण बनते हैं।
तुरंत और लंबे समय के नुकसान:
- 24-48 घंटे में: सांस फूलना, सीने में जलन, जी मिचलाना, सिरदर्द, चक्कर।
- 1-2 हफ्ते में: खांसी में खून, गले में छाले, नाक से खून।
- लंबे समय में: फेफड़े का कैंसर, मुंह-गले का कैंसर, दिल का दौरा, ब्रेन हेमरेज, नपुंसकता, बच्चों में जन्मजात बीमारियाँ।
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