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रिपोर्टर की डायरी

यूपी, उत्तराखंड के बाद बिहार-महाराष्ट्र में भी ‘I Love Muhammad’ पर विवाद

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पोस्टर चिपकाने को लेकर हाजीपुर में हुआ विवाद
पोस्टर चिपकाने को लेकर हाजीपुर में हुआ विवाद
  • वैशाली (बिहार) मेें समर्थन मेें पोस्टर लगाने की कोशिश में तनाव बढ़ा।
  • अहिल्याबाई (महाराष्ट्र) में विरोध में सड़क पर लिख देने से पथराव हुआ।

नई दिल्ली |

यूपी में 5 सितंबर से शुरू हुआ ‘I Love Muhammad’ विवाद भारत के अन्य राज्यों में भी फैलता जा रहा है। सोमवार को बिहार के वैशाली जिले में मोहम्मद से प्रेम का इजहार करने वाले ऐसे ही एक पोस्टर को दीवार पर लगाने के बाद विवाद हो गया।

दूसरी ओर, महाराष्ट्र के अहिल्याबाई जिले में ‘I Love Muhammad’ सड़क पर लिखकर माहौल खराब करने की कोशिश की, विरोध में मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया जो हिंसक हो गया।

गौरतलब है कि इन दोनों ही राज्यों में ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद को लेकर सोमवार को पहली बार ऐसी घटना रिपोर्ट की गई है।

बिहार के वैशाली में इसको लेकर एक गिरफ्तारी हुई और इलाके में पुलिस कैंप कर रही है। उधर, महाराष्ट्र के अहिल्याबाई जिले में पथराव हुआ और 30 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है।

वैशाली : हाजीपुर में खंबे पर पोस्टर लगाने पर विवाद 

हाजीपुर (मुन्ना खान) | जिला मुख्यालय हाजीपुर के नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत जढुआ स्थित अखाड़ा मोहल्ले में सोमवार की दोपहर विवादित पोस्टर चिपकाने पर तनाव हो गया।

हिन्दूवादी दलों का कहना है कि एक युवक ने ‘I love Muhammad’ पोस्टर चिपकाने की कोशिश की और उन्होंने पकड़ लिया।  फटे हुए पोस्टर का वीडियो वायरल हो गया है। हालांकि फटे पोस्टर से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि इस पर स्पष्ट तौर पर क्या लिखा गया था।

इस इलाके में कुछ और घरों पर भी ऐसा पोस्टर लगाने का दावा किया गया है।

जानकारी के मुताबिक, पोस्टर को देखकर स्थानीय हिन्दू वादी संगठन जुट गए और आम लोगों को बुला लिया।

बताया जाता है कि पोस्टर को लेकर युवक के साथ मारपीट की गई। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने युवक को हिरासत में ले लिया।  मोहल्ले में तनाव का माहौल है।

फिलहाल पुलिस घटनास्थल पर कैंप कर रही है। घटना की सूचना पर सदर एसडीपीओ वन सुबोध कुमार, नगर थाना अध्यक्ष सिकंदर कुमार, गंगा ब्रिज थाना सहित कई थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। वहीं भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई।

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महाराष्ट्र : सड़क पर I love Muhammad लिखने से भड़के लोग

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में सड़क पर ‘आई लव मुहम्मद’ का ग्राफिटी (रंगोली) लिखे जाने के खिलाफ सोमवार सुबह मुस्लिम समुदाय के लोग कोतवाली के सामने विरोध प्रदर्शन करने लगे।
पुलिस ने इस मामले में शरारत करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सड़क पर ऐसे लिखकर ‘मोहम्मद साहब के अपमान’ की कोशिश की गई है। पुलिस अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसके बाद पुलिस ने पथराव करने वाली भीड़ पर लाठीचार्ज किया।
अहिल्यानगर के पुलिस अधीक्षक सोमनाथ घारगे ने बताया कि प्रदर्शन, सड़क अवरोध और पथराव के सिलसिले में कम से कम 30 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
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 यूपी के बरेली में हुई थी हिंसा, इंटरनेट बंद है

बता दें कि यूपी के बरेली जिले में बीते शुक्रवार को ‘आई लव मोहम्मद’ को लेकर प्रदर्शन करने जा रहे लोगों को पुलिस ने रोका था, जिसके बाद हिंसक झड़प हुई थी। यहां इंटरनेट बैन जारी है।

यूपी के कानपुर से विवाद शुरू हुआ और दर्जनों जिलों में छोटे-बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं।

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कानपुर में बारावफात से शुरु हुआ विवाद 

कानपुर में I love Muhammad लिखकर सजावट के लिए एक मोहल्ले में रखे एक बोर्ड पर विवाद हो गया था। पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिवस) पर्व पर यह सजावट हुई।

इसे नई प्रथा बताते हुए हिन्दू संगठनों के विरोध पर पुलिस ने हटवा दिया था। इसके बाद कुछ धार्मिक पोस्टर फाड़े जाने की घटना सामने आई। पुलिस ने इस पर FIR

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उत्तराखंड के काशीपुर में प्रदर्शन, लाठीचार्ज

यहां के काशीपुर (उधम सिंह नगर जिला) में I love Muhammad के समर्थन में व यूपी में हुईं कार्रवाइयों को विरोध में प्रदर्शन हुए थे, जो हिंसक हो गया था। स्थानीय प्रशासन ने दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया था।

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UP-UK में प्रदर्शन पर FIR के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका  

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को चुनौती दी गई है, जो “आई लव मुहम्मद” लिखे पोस्टर और बैनर प्रदर्शित करने के लिए दर्ज किए गए हैं।
यह याचिका शुजात अली की ओर से डाली गई है जो रज़ा अकादमी के प्रतिनिधि हैं और मुस्लिम छात्र संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
उनका कहना है कि नागरिक केवल अपने धार्मिक उत्सव में भाग ले रहे थे, जिसमें पोस्टर, बैनर और बोर्ड लगाए गए थे, फिर भी बाद में उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाया गया।

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

रिपोर्टर की डायरी

जब नीतीश कुमार दसवीं बार CM बने, उसी दिन नालंदा विवि ने पूरे किए 75 वर्ष

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By The image belongs to the Nava Nalanda Mahavihara and I have permission - https://www.youtube.com/watch?v=VKXzC6nb-34, Public Domain, Link
प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इस डीम्ड विश्वविद्यालय का स्थापना की थी।
  • नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने 21 सितंबर को स्थापना के 75 वर्ष पूरे किए
नालंदा | संजीव राज
जिस दिन नालंदा के राजगीर के बेटे नीतीश कुमार ने पटना में दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली, उसी दिन राजगीर से महज 12 किलोमीटर दूर नालंदा में एक और इतिहास बना। यह ऐतिहासिक बन है- नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने अपने 75 वर्ष पूरे किए
यह संयोग एक संदेश भी लाया।
एक तरफ बिहार की नई सरकार शपथ ले रही है जो बार-बार दावा करती है कि वे शिक्षा क्रांति लाएंगे।

दूसरी तरफ उसी बिहार का नालंदा खड़ा है जो 1600 साल पहले दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय था, जिसे ह्वेनसांग ने “ज्ञान का संयुक्त राष्ट्र” कहा था और जिसे आज फिर से जीवित किया जा रहा है।
प्रथम राष्ट्रपति ने रखी थी नींव 
20 नवंबर 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नव नालंदा महाविहार की नींव रखी थी। इसका एक ही उद्देश्य था कि 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी द्वारा जलाए गए प्राचीन नालंदा को फिर से खड़ा किया जाए।  
75 साल पूरे होने के मौके पर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

75 साल पूरे होने के मौके पर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

AI से पांडुलिपियां होंगी डिजिटल
आज 75 साल पूरे होने के मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने घोषणा की- 
“नव नालंदा महाविहार को ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ का क्लस्टर सेंटर बनाया जा रहा है, प्राचीन पांडुलिपियों का AI से डिजिटलीकरण होगा।”
5वीं सदी में दुनिया के 10 हजार विद्यार्थी पढ़ते थे
एक समय यहां विदेशी विद्यार्थी पाली, बौद्ध दर्शन और तिब्बती अध्ययन पढ़ने आते हैं। वियतनाम के बौद्ध संघ ने इसे “United Nations of Wisdom” कहा। 5वीं सदी में 10,000 विद्यार्थी और 1,500 शिक्षक थे। कोरिया, चीन, तिब्बत, मध्य एशिया से लोग पढ़ने आते थे। आज फिर विदेशी छात्र भारत को “बौद्ध संस्कृति का राजदूत” बनकर लौट रहे हैं।
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चुनावी डायरी

दो सीटें जीतने के बाद भी NDA सरकार में सीमांचल को सीमित प्रतिनिधित्व, अररिया की जनता नाराज

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  • अररिया जिले को NDA सरकार के मंत्रीमंडल में कोई मंत्री नहीं मिला जबकि पहले हर सरकार यहां से मंत्री बनाती आई है।

फारबिसगंज(अररिया) |  मुबारक हुसैन
नई सरकार के गठन के साथ एनडीए समर्थकों में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं अररिया जिले में निराशा गहराती दिख रही है। इसका कारण है कि जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला, जबकि हर सरकार में अररिया से कैबिनेट मंत्री बनते आए हैं। इस बार पूर्णिया से विधायक लेशी सिंह को जरूर मंत्री बनाया गया है पर NDA मंत्रीमंडल में घटे सीमांचल के प्रतिनिधित्व से आम लोग नाराज हैं।

बीजेपी ने दो सीट जीतीं फिर भी उपेक्षित
अररिया जिले की कुल छह विधानसभा सीटों में से नरपतगंज और सिकटी में भाजपा ने जीत दर्ज की। खासकर सिकटी से लगातार हैट्रिक के साथ छठी बार विधानसभा पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता विजय मंडल के मंत्री बनने की अटकलें तेज थीं। पिछली सरकार में उन्होंने बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री के रूप में कार्य किया था और सीमांचल सहित कोसी अंचल के मुद्दों को मजबूती से उठाया था। ऐसे में माना जा रहा था कि अनुभव और लगातार जीत के आधार पर उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन इस बार उन्हें भी बाहर रखा गया, जिससे जिले में मायूसी और राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

एनडीए का कमजोर प्रदर्शन भी बनी वजह?
पिछले दो चुनावों की तुलना में इस बार जिले में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा है। फारबिसगंज और रानीगंज जैसी परंपरागत सीटों पर एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। दो दशक से अधिक समय तक इन दोनों सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा था। रानीगंज में जहां जदयू विजयी होती रही, वहीं फारबिसगंज भाजपा की सुरक्षित मानी जाने वाली सीट रही है। विश्लेषकों का कहना है कि छह में से सिर्फ दो सीटें जीत पाने की स्थिति एनडीए के लिए अनुकूल नहीं रही, जिसका असर मंत्री पद के चयन में दिखा है।

अररिया को मिलता रहा है प्रतिनिधित्व
स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि चाहे राज्य में महागठबंधन सरकार रही हो या एनडीए की, अररिया को हमेशा मंत्री पद के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। जिले के दिग्गज नेताओं जैसे सरयू मिश्रा, मोइदुर रहमान, अजीमुद्दीन, तस्लीमुद्दीन, सरफराज आलम, शाहनवाज आलम, शांति देवी और रामजी दास ऋषिदेव आदि ने पूर्व में मंत्री पद संभालकर जिले का प्रतिनिधित्व किया है। इसी क्रम को पिछले कार्यकाल में विजय कुमार मंडल ने आगे बढ़ाया पर इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।

सीमांचल की आवाज़ कमजोर होने की आशंका
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीमांचल क्षेत्र पहले से ही विकास के मामले में पिछड़ा माना जाता है। ऐसे में मंत्री पद जैसा प्रतिनिधित्व जिले की समस्याओं को सरकार तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाने का साधन रहा है। इस बार किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से आम लोगों में चिंता है कि जिले की आवाज राजधानी में कमजोर पड़ सकती है।

क्या कहते हैं पार्टी कार्यकर्ता
अररिया को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व न मिलने को लेकर NDA के घटक दलों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे राजनीतिक रूप से गलत संदेश जा सकता है। हालांकि कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि अगर 5 साल के कार्यकाल में NDA अपना कैबिनेट विस्तार करती है तो जरूर अररिया को मंत्री मिलेगा।


 

NDA सरकार के जिलावार कैबिनेट मंत्रियों की सूची

1. सहयोगी कोटा – संतोष सुमन – HAM – (गया)
2. सहयोगी कोटा – संजय पासवान – LJPR- (बेगूसराय)
3. सहयोगी कोटा – संजय सिंह – LJPR – ( वैशाली)
4. सहयोगी कोटा – दीपक प्रकाश – RLM – ( वैशाली )
5. भाजपा कोटा – रामकपाल यादव – BJP ( पटना)
6. भाजपा कोटा – संजय सिंह टाइगर – BJP ( आरा )
7. भाजपा कोटा – अरुण शंकर प्रसाद – BJP ( मधुबनी)
8. भाजपा कोटा – सुरेन्द्र मेहता – BJP, ( बेगूसराय)
9. भाजपा कोटा – नारायण प्रसाद – BJP ( पश्चिम चंपारण)
10. भाजपा कोटा – सम्राट चौधरी – डिप्टी सीएम ( मुंगेर )
11. भाजपा कोटा – विजय सिन्हा – डिप्टी सीएम – ( लखीसराय)
12. भाजपा कोटा – दिलीप जायसवाल – BJP ( किशनगंज )
13. भाजपा कोटा – मंगल पांडेय – BJP ( सीवान)
14. भाजपा कोटा – नितिन नवीन – BJP ( पटना)
15. भाजपा कोटा – रमा निपद – BJP ( मुजफ्फरपुर)
16. भाजपा कोटा – लखेंद्र पासवान – BJP ( वैशाली)
17. भाजपा कोटा – श्रेयसी सिंह – BJP ( जमुई )
18. भाजपा कोटा – प्रमोद कुमार चंद्रवंशी – BJP ( जहानाबाद)
19. JDU कोटा – नीतीश कुमार – मुख्यमंत्री ( नालंदा)
20. JDU कोटा – विजय कुमार चौधरी – JDU ( समस्तीपुर)
21. JDU कोटा – अशोक चौधरी – JDU (शेखपुरा)
22. JDU कोटा – विजेन्द्र यादव – JDU ( सुपौल)
23. JDU कोटा – श्रवण कुमार – JDU ( नालंदा)
24. JDU कोटा – जमा खान – JDU ( कैमूर)
25. JDU कोटा – लेशी सिंह – JDU ( पूर्णिया)
26. JDU कोटा – मदन सहनी – JDU ( दरभंगा)

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चुनावी डायरी

बिहार : नई सरकार की शपथ के दिन मौन व्रत पर बैठे प्रशांत किशोर

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गांधी प्रतिमा के सहयोगियों संग बैठे प्रशांत किशोर।
गांधी प्रतिमा के सहयोगियों संग बैठे प्रशांत किशोर।
  • 20 नवंबर सुबह 11:14 मिनट से मौन व्रत शुरू हुआ तो 21 नवंबर को सुबह 11:15 बजे तक चलेगा।

बेतिया (पश्चिमी चंपारण) |

बिहार में गुरुवार को नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इसी दिन को प्रशांत किशोर ने जनसुराज की चुनावी रणनीति की गड़बड़ियों से जुड़े प्रायश्चित के लिए चुना।

दो दिन पहले जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोेर ने मीडिया के सामने कहा था कि वे जनता तक अपने संदेश को ठीक ढंग से पहुंचा नहीं पाए, जिसके लिए वे प्रायश्चित स्वरूप एक दिन का मौत व्रत रखेंगे।

इसके तहत प्रशांत किशोर ने आज (20 नवंबर) सुबह सबा 11 बजे पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम में मौन उपवास शुरू किया जो अगले दिन इसी समय तक चलेगा। अपने सहयोगियों के साथ वे गांधी प्रतिमा के पास बैठे मौत उपवास अकेले कर रहे हैं।

जनसुराज पार्टी ने एक्स पर प्रशांत किशोर की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा ‘गांधी आश्रम , भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के साथ बिहार में बदलाव की नई शुरुआत।’

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी और उन्हें 3.34 प्रतिशत वोट मिला।

 

गांधी के आंदोलन के खिलाफ रहे हैं PK

गांधी के रास्ते पर चलते हुए मौन व्रत करके आत्मबल और आत्म चिंतन कर रहे प्रशांत किशोर कुछ मामलों में गांधीवादी विचारधारा से उलट राय रखते हैं। प्रशांत किशोर अक्सर अपने भाषणों में कहते रहे हैं कि वे महात्मा गांधी के आंदोलन करने के तरीकों का समर्थन नहीं करते।

वे कहते हैं कि दीर्घकालिक विकास और व्यवस्था में बदलाव के लिए आंदोलन आधारभूत तरीका नहीं है, बल्कि वे ऐसी चुनावी प्रक्रिया के समर्थक हैं जिसमें सही लोग चुनकर नेतृत्व करें।

उनका कहना है कि फ्रांस रेवोल्यूशन को छोड़कर इतिहास में किसी भी आंदोलन या क्रांति ने किसी भी देश में लंबे समय तक टिकने वाले विकास का रास्ता नहीं बनाया है।

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