आज के अखबार
अनुच्छेद 370 हटाने के पांच साल पूरे : दैनिक हिन्दुस्तान की सराहना, एक्सप्रेस की कवरेज

नई दिल्ली |
एक नजर में आज के अखबार :
आज यानी 4 अगस्त के हिन्दी व अंग्रेजी के प्रमुख अखबारों में मनु भाकर के तीसरे मेडल जीतने से चूक जाने की खबर को प्राथमिकता से लिया गया है। वायनाड लैंडस्लाइड के बाद चल रहे बचाव अभियान ने एक आदिवासी परिवार को अपने साहसिक प्रयासों से बचाया है, जिसमें पांच साल से छोटे दो बच्चे भी शामिल हैं। बचाव दल की गोद में सुरक्षित इन बच्चों की भावुक तस्वीर को आज हर अखबार ने प्राथमिकता से छापा है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय खबरों में ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड की ओर से किए गए खुलासे को प्राथमिकता दी गई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि हमास के शीर्ष नेता की हत्या में सात किलो बिस्फोटक वाले एक रॉकेट का इस्तेमाल हुआ था और दावा है कि इजरायल ने इस हत्या में अमेरिका की मदद ली थी। उधर अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव की रेस में कमला हैरिस आधिकारिक रूप से शामिल हो गई हैं क्योंकि डेमोक्रेट दल ने उन्हें अपना आधिकारिक प्रत्याशी चुन लिया है और आने वाले समय में एक और प्रेशिडेंशियल डिबेट देखने को मिलेगी।
नेशनल एडिशन से : दैनिक हिन्दुस्तान ने संपादकीय लिखकर की वाहवाही, एक्सप्रेस ने रिपोर्टिंग के जरिए उठाए सवाल
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के कल (सोमवार) को पांच साल पूरे हो रहे हैं, इस मौके पर दैनिक हिन्दुस्तान ने संपादकीय लिखकर बताया है कि वहां के हालात कैसे बदले, प्रधान संपादक शशि शेखर के संपादकीय में हालांकि भूमिका में यह भी बात शामिल है कि अब आतंकी जम्मू को निशाना बनाने लगे हैं। दूसरी ओर, द हिन्दू ने पहले पन्ने की मुख्य स्टोरी जिस खबर को बनाया है, वह दर्शाता है कि पांच साल पहले राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए इस खित्ते के हालात अब भी कैसे हैं, यहां छह सरकारी कर्मियों को राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल बताते हुए सेवा से हटा दिया गया है, जिसमें एक शिक्षक और बाकी पुलिस कर्मी हैं।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में सकारात्मक बदलाव के दावे केंद्र सरकार लगातार करती रही है लेकिन इसी कश्मीर को अपने शोध विषय के रूप में प्रस्तावित करने के चलते एक पीएचडी विद्यार्थी और उसके शिक्षक के खिलाफ जांच बैठा दी गई, जिसे द इंडियन एक्सप्रेस ने 4 अगस्त के संस्करण में पहले पन्ने पर कवर किया है। भारत समेत आठ देशों वाले सार्क समूह द्वारा संचालित होने वाली ‘साउथ एशियन यूनिवर्सिटी’ से जुड़े इस मामले को लेकर एक्सप्रेस ने फॉलोअप स्टोरी की है। इसमें बताया गया है कि शोध विद्यार्थी व उसके श्रीलंकाई प्रोफेसर परेरा को विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह विषय चुनने का कारण बताने का नोटिस दिया और श्रीलंकाई प्रोफेसर परेरा के खिलाफ जांच बैठा दी गई और अब इन प्रोफेसर ने वीआरएस ले लिया है। इस मामले पर श्रीलंकाई उच्चायुक्त ने विश्वविद्यालय से शैक्षिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है। गौरतलब यह है कि अखबार ने लिखा है कि शोध विषय के प्रस्ताव में अमेरिकी भाषा विज्ञानी एवरम नोम चोम्स्की के एक यूट्यूब इंटरव्यू को कोट किया गया था जिसमें भाषा विज्ञानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिन्दुत्व कनेक्शन और भारत के सेक्युलर लोकतंत्र को लेकर टिप्पणी करते सुने गए थे।
दैनिक हिन्दुस्तान के जिस संपादकीय की चर्चा हमने ऊपर की है, उसमें शशि शेखर ने लोकसभा चुनावों मेें भारी तादाद में हुई वोटिंग को एक सबूत के तौर पर रखा है कि वहां की हवा बदली है। शशि शेखर कह रहे हैं कि सिर्फ लोकसभा चुनाव ही क्यों ग्राम सभा व स्थानीय निकाय के चुनावोें में भी लोग गोलियां खाकर भी वोट करने आए। पर इस लेख में शशि शेखर यह बताना जरूरी नहीं समझते कि अनुच्छेद 370 की रुखसती के पांच साल बाद भी यहां सरकार विधानसभा चुनाव नहीं करा सकी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उसे सितंबर तक चुनाव कराने ही होंगे और इस समय यहां ग्राम पंचायत स्तर पर भी कोई चुनी हुई बॉडी नहीं है क्योंकि सभी ग्राम पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल इस साल नौ जनवरी को पूरा हो चुका है।
राज्यों के पन्ने :
1- आयुर्वेद पढ़ने के बाद अंग्रेजी दवाएं लिख रहे चिकित्सक :
आज दैनिक हिन्दुस्तान के पटना संस्करण में लगी एक खबर राज्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा की स्थिति बता रही है। आयुर्वेद की पीजी तक पढ़ाई के बाद बिहार से सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सक अंग्रेजी दवा लिखने को मजबूर हैं। संजय पांडेय की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल में राज्यभर में तीन हजार आयुष चिकित्सकों की भर्ती हुई है लेकिन इन अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवाओं की कमी के चलते उन्हें अंग्रेजी दबाएं ही लिखनी पड़ती हैं जिनका उनको पूरा ज्ञान तक नहीं है। इन चिकित्सकों ने इंटर्नशिप के दौरान एलोपेथी पर जो कुछ सीखा, वही उनके काम आ रहा है।
2- बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की सुस्ती से पीड़ित उच्च शिक्षा :
बिहार में उच्च शिक्षा की दयनीय स्थिति के बारे में समझ बनानी हो तो आज के प्रभात खबर की लॉन्ग स्टोरी पढ़ने योग्य है। ये खबर बताती है कि राज्य मेें चार साल से शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया जारी होने के बाद भी अबतक कई हजार पद खाली पड़े हैं जिससे विश्वविद्यालयों में एडहॉक शिक्षकों के सहारे ही पढ़ाई चल रही है।
आज के अखबार
गुजरात : क्लर्क ने पत्रकार को ‘खबर’ दी, गिरफ्तारी… फिर मौत

आज के अखबार
‘I love Muhammad’ के समर्थन में यूपी-उत्तराखंड में जुलूस, कई गिरफ्तारियां

नई दिल्ली|
पांच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) के दिन यूपी के कानपुर जिले से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ बैनर का विवाद अब यूपी के कई जिलों व उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भी फैल गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते रविवार को यूपी के सात जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर के साथ मार्च निकाला गया, जिसके बाद सोमवार तक पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कर ली। दूसरी ओर, दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
यूपी के सात जिलों में जुलूस निकले – एक्सप्रेस
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सप्ताहांत (Week End) पर कई जिलों में ‘I love Muhammad’ बैनर के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किए जो कि कानपुर विवाद के खिलाफ एकजुटता के लिए निकाले गए थे। दरअसल कानपुर में पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन)म की सजावट के दौरान ‘I love Muhammad’ लिखा एक साइनबोर्ड लगा दिया गया था, जिसका अन्य समुदाय ने नई प्रथा बताकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस ने 10 सितंबर को केस दर्ज किया था। रविवार को कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव, पीलीभीत और बरेली में विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं।
उत्तराखंड : जुलूस निकालने वाले 500 लोगों पर केस
दैनिक हिन्दुस्तान ने 23 सितंबर के संस्करण में खबर की है कि यूपी के उन्नाव व उत्तराखंड के काशीपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुलूस निकालने के बाद बवाल हो गया। काशीपुर पुलिस ने रविवार रात हुए बवाल में तीन नामजद व 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि ये कार्रवाई उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर की है न कि बैनर को लेकर। अखबार के मुताबिक, उन्नाव पुलिस ने 38 लोगों पर मुकदमें दर्ज किए हैं और सात को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार का कहना है कि मूल विवाद गलत जगह ‘आई लव मोहम्मद’ का बोर्ड लगाने को लेकर हुआ था, अगले दिन कुछ लोगों ने एक धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया, जिस पर दस सितंबर को पुलिस ने केस दर्ज किया, पर लोगों ने इसे ‘आई लव मोहम्मद’ पर केस दर्ज होने के तौर पर प्रचारित किया, जिससे यह विरोध बड़े स्तर पर फैल गया।
आज के अखबार
SCO से फिर उभरा रूस-भारत-चीन का त्रिकोण!

नई दिल्ली |
चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित किए गए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन पर सभी भारतीय अखबारों ने सकारात्मक कवरेज करते हुए इसे भारत की सफलता के रूप में देखा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इंटरप्रेटरों के जरिए आपस में बात करते हुए ली गई तस्वीर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। तीनों नेताओं की प्रतीकात्मक एकजुटता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए सीधे संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन में त्रिकोणीय ढांचे का पुनर्जनन – एक्सप्रेस, TOI
इसी संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई हैं, जिसका अर्थ निकलता है कि तियानजिन में एक त्रिकोणीय ढांचे (रूस, भारत, चीन) का पुनर्जनन हो सकता है जिसने ट्रंप और उनकी नीतियों के लिए कड़ा संकेत भेजा। गौरतलब है कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव था, जिसने RIC (रूस, भारत, चीन) को निष्क्रिय कर दिया। लेकिन 2024 में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा तनाव कम करने के लिए समझौते हुए।

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंडियन एक्सप्रेस
पहलगाम हमले की सामूहिक निंदा भारत की जीत – जागरण
अधिकांश प्रमुख अखबारों ने एससीओ के मंच से पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा को पहली हेडिंग बनाया है, इसे समिट में भारत की बड़ी सफलता के रूप में दर्शाया गया है। दैनिक जागरण ने हेडिंग लगाई- ‘भारत की जीत, एससीओ के मंच से पहलगाम हमले की निंदा।’ अखबारों ने इसे इसलिए अहम बताया क्योंकि मात्र दो महीने बीते हैं जब SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले की निंदा करने को लेकर सहमति नहीं बनी थी, भारतीय विदेशमंत्री राजनाथ सिंह ने तब नाराजगी जताते हुए बैठक के साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे और साझा बयान जारी नहीं हो सका था। एक्सप्रेस के शब्दों में कहे तो बदली वैश्विक परिस्थितियों ने इसे बदल दिया। न सिर्फ पाकिस्तान और चीन 22 अप्रैल के हमले की निंदा के लिए राजी हुआ, बल्कि साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।

दैनिक जागरण
घोषणापत्र में पाक में हुए हमले की भी निंदा हुई, जागरण ने नहीं छापा
द हिन्दू ने भी पहले पन्ने पर पहलगाम हमले की निंदा को ही हेडिंग बनाया और खबर में प्रमुखता से बताया है कि SCO ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर हुए बलूचिस्तान उग्रवादी संगठन के हमले की भी निंदा की है। यह महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में नहीं दी जबकि उनकी प्रमुख खबर आतंकवाद पर आए एससीओ के साझा घोषणापत्र को लेकर ही है।
मोदी ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से पाक को घेरा – HT
हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लिया है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर दोहरा रवैया उठाने वाले देशों पर सवाल उठाया। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नाम लिए बिना पाक व चीन पर निशाना बनाया। अखबार ने पहलगाम पर निंदा करने की खबर को उतनी अहमियत नहीं दी और अंदर के पेज पर सेकेंड लीड बनाया। इसके अतिरिक्त सभी अखबारों ने मोदी व पुतिन की द्विपक्षीय बैठक को भी प्रमुखता से लिया। एचटी ने लिखा कि मोदी से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए हाल में हुई पुतिन-ट्रंप वार्ता का समर्थन जताया और शांति प्रक्रिया में तेजी लाकर जल्द शांति स्थापित करने की बात पुतिन से कही।
SCO से बड़ी उम्मीद बांधना जल्दबाजी : संपादकीय
दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को चीन व अमेरिका दोनों से ही सावधान रहने की जरूरत है, एससीओ समिट में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जिससे यह माना जा सके कि वैश्विक समीकरण में कोई बड़ा परिवर्तन आएगा। अखबार ने लिखा है कि मोदी-जिनपिंग के बीच संबंधों में सुधार की बातें हुईं जो पहले भी होती रही है पर दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार गिरने का नाम नहीं लेती। एचटी ने लिखा है एससीओ में भारत के साथ पाक में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की गई, भारत ने चीन के बेल्ट एवं रोड परियोजना के समर्थन से खुद को अलग करके अपने पुराने पक्ष को कायम रखा। अखबार कहता है कि ऐसे में यह सोचना अव्यवहारिक है कि इस मंच से कोई बड़े राजनयिक परिवर्तन आएंगे, पर इतना जरूर है कि ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे ईरान, चीन, रूस व भारत के बीच गहरा समन्वय स्थापित होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए रुस व चीन से संबंध सुधार में सफल साबित हो रहा है। शायद अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाने की अपनी गलती को समझ लिया है, अमेरिकी दूतावास का रविवार को आया “मैत्रीपूर्ण” ट्वीट इसी दिशा में शायद एक नीतिगत सुधार का संकेत है। अखबार कहता है कि भारत को सुलह के इशारों के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए लेकिन इसे दबाव में नहीं आना चाहिए।
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