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चुनावी डायरी

बिहार चुनाव : पूर्वी चंपारण पहुंची प्रियंका, पश्चिमी चंपारण में अमित शाह

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  • दस दिनों के भीतर दूसरी बार बिहार आकर कार्यकर्ताओं से मिल रहे अमित शाह
  • राहुल-तेजस्वी की यात्रा के बाद बिहार में प्रियंका का पहला बड़ा रोड शो
एक ही दिन दो राष्ट्रीय स्तर के नेता चंपारण के दो हिस्सों में पहुंचे। पूर्वी चंपारण जाकर प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनावी रैली की, दूसरी ओर पश्चिमी चंपारण जिले में अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। गौरतलब है कि दस दिन में यह अमित शाह का यह दूसरा बिहार दौरा है और वे दो दिन कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। कहा जा रहा है कि इस फीडबैक के हिसाब से पार्टी टिकट बांटेगी। दूसरी ओर प्रियंका का बिहार में यह पहला बड़ा रोड शो था, जो सदाकत आश्रम (पटना) में CWC बैठक के ठीक बाद हुआ।  
पप्पू यादव से पहले भाषण देने को कहा, फिर बोलीं प्रियंका
मोतिहारी | प्रियंका ने चंपारण की धरती से वोटर अधिकार यात्रा का जिक्र करते हुए NDA को “वोट चोर” बताया। उन्होंने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया। संबोधन से पहले वह बोलीं कि पहले पूर्णिया विधायक पप्पू यादव को संबोधन करना चाहिए। अपने भाषण की शुरूआत भोजपुरी में बोलकर की। साथ ही कहा, “महागठबंधन सरकार बनेगी तो भूमिहीन परिवारों को मुफ्त जमीन दी जाएगी, और महिला को स्वामित्व मिलेगा।” 
“चंपारण की धरती से बापू ने आजादी की लड़ाई लड़ी, आज हम वोटर अधिकार यात्रा से लोकतंत्र बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पुराने हथकंडे नहीं चले तो NDA चोरी करने लगे—वोट चोरी, रोजगार चोरी।” – प्रियंका गांधी ने भोजपुरी में कहा। 
पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने बेतिया पहुंचे अमित शाह

पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने बेतिया पहुंचे अमित शाह

दस दिन में दूसरी बार पार्टी कार्यकर्ताओं से शाह की बैठक
बेतिया (मनोज कुमार) |   पश्चिमी चंपारण के बेतिया पहुंचकर गृहमंत्री और बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह ने BJP कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित किया। इससे पहले 16 सितंबर को अमित शाह ने रोहतास जिले में दौरा करके कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। शाह ने इंजीनियरिंग कॉलेज में कार्यकर्ताओं को 50 दिन का टास्क दिया। केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने इस पर कहा कि गृह मंत्री ने जो गुरुमंत्र दिए हैं, उसे बोला नहीं जाएगा बल्कि बिहार चुनाव में जमीन पर उतारा जाएगा।
चंपारण पर NDA का रहा है दबदबा 
दोनों दौरे का राजनीतिक महत्व की बात करें तो प्रियंका ने पूर्वी चंपारण आकर NDA के गढ़ में पैठ बनाने की कोशिश की है। वहीं, अमित शाह का पश्चिमी चंपारण दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां जदयू मजबूत रही है। ऐसे में इसे NDA की एकता को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। 

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

चुनावी डायरी

बिहार : RJD के दो विधायकों के खिलाफ राबड़ी आवास पर नारे लगे, टिकट न देने की मांग उठी

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रावड़ी देवी के आवास पर राजद कार्यकर्ताओं ने विधायक के खिलाफ नारेबाजी की।
  • मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान का टिकट रद्द करने की मांग पर नारे लगे
  • मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार के खिलाफ तीन दिन पहले हुआ था विरोध
नई दिल्ली |
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले RJD में आंतरिक कलह ने जोर पकड़ लिया है। मंगलवार को राबड़ी देवी के आवास पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हंगामा मचाया और मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान का टिकट रद्द करने की मांग की। इससे पहले एक अन्य विधायक को लेकर नारेबाजी हो चुकी है। माना जा रहा है कि RJD के अंदर टिकट वितरण पर कलह महागठबंधन की रणनीति को कमजोर कर सकती है।
पहली बार जीतीं पर विकास की अनदेखी के आरोप
सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने ने नारे लगाए- “रेखा हटाओ, मसौढ़ी बचाओ!”  प्रदर्शनकारियों ने लालू प्रसाद को भी पोस्टर दिखाए, लेकिन लालू ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। रेखा पासवान एक दलित नेता हैं, जिन्होंने 2020 में मसौढ़ी विधानसभा सीट से 32,227 वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन भ्रष्टाचार और विकास की अनदेखी के आरोपों से घिरी हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि रेखा को दोबारा टिकट मिला तो पार्टी सीट हार जाएगी।
मखदूमपुर विधायक के खिलाफ भी हुई थी नारेबाजी
पार्टी कार्यकर्ताओं की अपने नेताओं से नाराजगी की यह पहली घटना नहीं। बीते चार अक्तूबर को मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार के खिलाफ भी राबड़ी आवास पर ही जोरदार विरोध हुआ, जहां कार्यकर्ताओं ने विकास कार्यों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए टिकट न देने की चेतावनी दी।
नाराज रोहिणी को मनाने को मसौढ़ी विधायक को लाया गया था आगे
रेखा पासवान के बारे में एक गौर करने वाली बात यह है कि जब हाल में तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव के अगली सीट पर बैठने से बहन रोहिणी आचार्य नाराज हो गई थीं और परिवार के खिलाफ लगातार फेसबुक पोस्ट कर रही थीं, तब  विवाद शांत करने के लिए दो दलित नेताओं रेखा पासवान और शिवचंद्र राम (पूर्व मंत्री, रविदास समुदाय) और आगे बिठाया गया, जिसे रोहिणी ने सराहा था।
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जीतन राम मांझी : NDA की दलित ताकत, पर सीट शेयर में बड़ी अड़चन

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भाजपा, जदयू के साथ गठबंधन वाले NDA में 'हम' पार्टी की अहमियत पर विश्लेषण। (तस्वीर - @jitanrmanjhi)
जीतनराम मांझी (तस्वीर - @NandiGuptaBJP)
  • बिहार चुनाव में NDA से 15 से 20 सीटें चाहते हैं HAM चीफ माझी

नई दिल्ली|

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान में जीतन राम मांझी का नाम सबसे ऊपर है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) (HAM) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री मांझी ने 15 से 20 सीटों की मांग रखी है, लेकिन BJP-JDU गठबंधन उन्हें 3-7 सीटें देने पर अड़ा है। क्या मांझी NDA के लिए महादलित-दलित वोटों की ‘मजबूत कड़ी’ हैं या उनकी बढ़ती महत्वाकांक्षा के बीच गठबंधन बचाना ‘मजबूरी’ और चुनौती बन गया है? आइए जानते हैं इस विश्लेषण में..


जीतनराम मांझी (तस्वीर - @NandiGuptaBJP)

जीतनराम मांझी (तस्वीर – @NandiGuptaBJP)

NDA में मांझी की ‘मजबूती’: दलित वोटों का मजबूत आधार

 हालिया बैठकों और बयानों से साफ है कि मांझी की मौजूदगी से NDA को जातीय समीकरण में मजबूती मिलती है। पर BJP के बार-बार मनाने पर भी वे अपनी मांग पर अड़े हैं, बीजेपी प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने इसे उनकी ‘साफगोई’ कहा है। जातीय गणित की नजर से देखें तो मांझी NDA को कई सीटों पर मजबूती देते दिखते हैं-

  • महादलित-दलित वोट बैंक: बिहार में दलित (16%) और महादलित (मुसहर, डोम आदि) वोटरों पर मांझी की पकड़ मजबूत है। 2020 में HAM ने 7 सीटों पर 60% से ज्यादा स्ट्राइक रेट दिखाया, जो NDA की कुल 125 सीटों में योगदान देता है। चिराग पासवान (LJP) के साथ मिलकर वे पश्चिम चंपारण से गया तक दलित वोटों को एकजुट करते हैं।
  • नीतीश के पूरक: NDA का महादलित फोकस मांझी से मजबूत होता है। लोकसभा 2024 में NDA की 30/40 सीटों में मांझी का रोल सराहा गया।
  • केंद्रीय मंत्री के रूप में: MSME मंत्री के तौर पर वे केंद्र की रोजगार सृजन योजनाओं (जैसे PMEGP) को बिहार में लागू कर NDA की छवि चमकाते हैं।

NDA में मांझी की मजबूती –

 उदाहरण

जातीय समीकरण

महादलित (12%) वोटों पर पकड़; 2020 में 4/7 सीटें जीतीं।

रणनीतिक भूमिका

JDU-BJP के बीच दलित ब्रिज; चिराग के साथ मिलकर विपक्ष (RJD) को चुनौती।

परिवारिक प्रभाव

बेटाबहू के मंत्री/विधायक होने से स्थानीय स्तर पर मजबूती।

विवादास्पद अपील

गरीबी से सत्ता की कहानी दलित युवाओं को प्रेरित करती है।

 


जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।

जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।

NDA के लिए ‘मजबूरी’: बढ़ती मांगें और बगावती तेवर

दूसरी तरफ, मांझी की महत्वाकांक्षा NDA के लिए सिरदर्द बनी हुई है:

  • सीटों की मांग: बिहार विधानसभा चुनाव में 15-20 (कभी 25-40) सीटें मांग रहे हैं, ताकि HAM को ECI मान्यता (6% वोट/6 सीटें) मिले। लेकिन BJP-JDU उन्हें 3-7 सीटें देने को तैयार हैं। धर्मेंद्र प्रधान की 5 अक्टूबर 2025 की मीटिंग में मांझी को ‘3 से ज्यादा पर नहीं’ कहा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मांझी ने धमकी दी- “अगर 15-20 न मिलीं तो 100 सीटों पर अकेले लड़ेंगे।”
  • नाराजगी का इतिहास: 2015 में BJP ने नीतीश के सामने मांझी को ‘अपमानित’ होने दिया। अब अप्रत्यक्ष अपमान (वोटर लिस्ट न देना) से नाराज हैं। News18 में मांझी ने कहा, “हम रजिस्टर्ड हैं, लेकिन मान्यता नहीं—यह अपमान है।”
  • गठबंधन तनाव: NDA का फॉर्मूला लगभग तय है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- JDU को 102-108, BJP को 101से 107, LJP को 20से 22, HAM को 3से 7, RLM को 3से 5 सीटें देने का फॉर्मूला है। मांझी की मांग से JDU-BJP के बीच ‘100 सीटों की लड़ाई’ तेज हुई है। उपेंद्र कुशवाहा (RLM) ने भी 15 सीटों की मांग कर दी है जिससे NDA पर 35 सीटों को लेकर दवाब बढ़ गया है।
  • बगावत का जोखिम: अगर मांझी बगावत करें, तो दलित वोट बंट सकते हैं, जो महागठबंधन (RJD) को फायदा देगा। लेकिन NDA उन्हें ‘जरूरी बुराई’ मानता है—इग्नोर करने से वोट लॉस, मानने से सीट शेयरिंग बिगड़ेगी।

NDA के लिए मांझी की मजबूरी के पहलू

उदाहरण

सीट मांग का दबाव

20 मांगीं, 3-7 ऑफर; बगावत की धमकी।

पुराना अपमान

2015 में BJP-JDU नेछोड़ दिया‘; अब मान्यता की लड़ाई।

गठबंधन असंतुलन

JDU-BJP 200+ सीटें चाहते; छोटे दलों कोकुर्बानीदेनी पड़ रही।

विवादास्पद छवि

बयान गठबंधन को नुकसान पहुंचाते, लेकिन वोटरों को जोड़ते।

 


केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी

मजबूती ज्यादा, लेकिन मजबूरी नजरअंदाज नहीं

मांझी NDA के लिएमजबूतीज्यादा हैंउनके बिना दलित वोटों का 20-25% हिस्सा खिसक सकता है। लेकिन सीट बंटवारे की उनकी जिद गठबंधन कोमजबूरीमें डाल रही है, जहां BJP-JDU को छोटे दलों को मनाना पड़ रहा। 5 अक्टूबर की प्रधानमांझी बैठक में सहमति बनी, लेकिन अंतिम फॉर्मूला जूनजुलाई में तय होगा। अगर NDA 225+ सीटें जीतना चाहता है (जैसा मांझी दावा करते हैं), तो मांझी कोसम्मानजनकरखना जरूरी। वरना, बिहार का जातीय समीकरण फिर उलट सकता है। राजनीतिक पंडितों का मानना है: मांझीकरो या मरोके दौर में हैं, और NDA के लिए वेजरूरी सहयोगीसेसंभावित खतराबन सकते हैं।


 

मांझी की राजनीतिक यात्रा: बंधुआ मजदूरी से सत्ता तक 

जीतन राम मांझी बीते छह अक्तूबर को 81 बरस के हो गए। वे मुसहर समुदाय (महादलित) से आते हैं, जो बिहार के सबसे वंचित वर्गों में शुमार है। बचपन में बंधुआ मजदूरी करने वाले मांझी ने शिक्षा के बल पर 1966 में हिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया और पोस्टल विभाग में नौकरी पाई।

जीतन राम माझी

जीतन राम माझी

1980 में कांग्रेस से राजनीति में कदम रखा, फिर RJD (लालू प्रसाद) और 2005 में JDU (नीतीश कुमार) से जुड़े। 2014 में लोकसभा चुनाव में JDU की करारी हार के बाद नीतीश ने इस्तीफा दिया और मांझी को मुख्यमंत्री बनाया—मकसद महादलित वोटों को साधना। लेकिन 9 महीने बाद (फरवरी 2015) विवादास्पद बयानों (जैसे डॉक्टरों के हाथ काटने की धमकी, चूहे खाने को जायज ठहराना) और नीतीश पर हमलों से JDU ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। इसके बाद 18 विधायकों के साथ HAM बनाई।

2020 में NDA में वापसी हुई, जहां HAM को 7 सीटें मिलीं और 4 जीतीं। लोकसभा 2024 में गयासुर लोकसभा सीट जीतकर मांझी केंद्रीय मंत्री बने। उनके बेटे संतोष कुमार मांझी बिहार सरकार में मंत्री हैं, जबकि बहू दीपा मांझी इमामगंज से विधायक। यह पारिवारिक राजनीति NDA के लिए फायदेमंद रही, लेकिन मांझी के बयान (जैसे ताड़ी को ‘नेचुरल जूस’ कहना) अक्सर विवादों का सबब बने।

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चुनावी डायरी

बिहार : NDA से सीट बंटवारा अटक रहा, महागठबंधन में सीएम फेस पर सहमति नहीं

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कोलाज- बोलते पन्ने टीम
बिहार चुनाव (कोलाज- बोलते पन्ने टीम)

पटना | हमारे संवाददाता

बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। लेकिन सबकी नजर NDA और महागठबंधन की सीट शेयरिंग पर है। दोनों गठबंधन में बैठकों का दौर जारी है। सूत्रों की माने तो महागठबंधन में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल हो चुकी है। CM फेस पर मामला फंस रहा है। राजद नेता तेजस्वी यादव के आवास पर आज भी महागठवंधन सहयोगी दलों की बैठक है।

दूसरी ओर, NDA में चिराग पासवान और जीतनराम माझी के दलों ने सीट बढ़वाने की डिमांड कर दी है, जिससे सीट बंटवारे पर ही बात अटकी हुई है। नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं के साथ बैठक की। खबर है कि टिकट और उम्मीदवार को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सीएम ने 45 मिनट चर्चा की है। जदयू अपने कोटे की सीटों और उम्मीदवारों पर मंथन जारी है। मुख्यमंत्री आवास पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय झा ने कहा, ‘एनडीए पूरी मजबूती से खड़ा है और जल्द सीट शेयरिंग हो जाएगी।

इधर, सोमवार रात बिहार बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान दिल्ली गए हैं। वहां चिराग पासवान के साथ मीटिंग होनी है।

जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।

5 अक्तूबर को जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।

चिराग- 30, मांझी- 15 सीट पर अड़े

बिहार बीजेपी के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान लगातार सहयोगी दलों से सीट बंटवारे को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इस बीच चिराग की पार्टी की ने एनडीए की मुसीबत बढ़ा दी है। सूत्रों के अनुसार, चिराग 25-30 सीटों पर अड़े हुए हैं। इधर, मांझी ने भी 15 सीटों की डिमांड कर गठबंधन में टेंशन बढ़ा दी है। दिल्ली में आज चिराग पासवान की धर्मेंद्र प्रधान के साथ मीटिंग है। जहां सीट बंटवारे पर बात होगी।

माना जा रहा है कि एनडीए अगले एक दो दिन में सीट बंटवारे का ऐलान कर सकता है।

सीटों पर फंस रहा पेंच
सूत्रों के मुताबिक एनडीए में सीटों के बंटवारे में दो मुद्दे हैं। पहला- सभी पार्टियों को मिलने वाली सीटों की संख्या तय करना। दूसरा- किसके खाते में कौन सी सीट जाएगी। चर्चा है कि एनडीए में सीटों की संख्या को लेकर काफी हद तक सहमति बन गई है, लेकिन किस पार्टी को कौन सी सीट मिलेगी इसको लेकर पेंच फंस रहा है।

कुछ सीटों पर लोजपा-रामविलास का दावा

चिराग की पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में जमुई लोकसभा सीट के तहत आने वाली चकाई और सिकंदरा विधानसभा सीट पर दावा किया था। चकाई से फिलहाल सुमित सिंह निर्दलीय विधायक हैं, जो नीतीश सरकार में मंत्री भी हैं। जबकि सिकंदरा विधानसभा सीट से फिलहाल हम पार्टी के विधायक हैं। ऐसे में एक ही सीटों पर कई दलों के दावे से मामला फंस रहा है।

तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव

महागठबंधन में सीट शेयरिंग फाइनल, CM चेहरे पर पेंच

सूत्रों की माने तो महागठबंधन में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल है। रविवार की देर शाम मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के आवास पर हुई मैराथन मीटिंग के बाद दावा किया था कि सब कुछ फाइनल हो गया है।

आज तेजस्वी आवास पर फिर से महागठबंधन नेताओं की मीटिंग बुलाई गई है। इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा और लेफ्ट की पार्टियों से बात होगी। साथ ही पशुपति पारस की पार्टी को कितनी सीटें दी जाए, इस पर चर्चा है। बताया जा रहा है कि महागठबंधन में CM फेस पर पेंच फंसा है।

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