आज के अखबार
अमेरिकी अख़बार ने क्यों लिखा- ‘जाँच के घेरे में फिर आए गौतम अदाणी’

बोलते पन्ने | नई दिल्ली
अमेरिकी अख़बार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने तीन जून, 2025 के अपने संस्करण में एक खबर में दावा किया है कि भारतीय अरबपति गौतम अदाणी एक नई अमेरिकी जाँच में फँस गए हैं। अख़बार का दावा है कि अमेरिकी अभियोजक इस बात की जाँच कर रहे हैं कि उनकी कंपनियां कहीं ईरान से एलपीजी आयात करके अपने मुंद्रा पोर्ट के ज़रिए भारत तो नहीं ला रही थीं?
दरअसल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई के पहले सप्ताह में पूरी दुनिया को चेतावनी दी थी कि कोई भी ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल्स नहीं खरीदेगा, ऐसा करने पर उस देश या व्यक्ति के ख़िलाफ़ अमेरिकी प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। यह भी बता दें कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की ख़बर का अदाणी की कंपनी ने खंडन किया है। ज्ञात हो कि नवंबर, 2024 में कारोबारी गौतम अदाणी पर अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वत का मुक़दमा दायर हुआ था, जिसके बाद अब एक और मामले की जाँच को लेकर अख़बार ने दावा किया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस मामले पर की खोजी रिपोर्ट
अख़बार ने अपनी खोजी पड़ताल का हवाला देते हुए लिखा है कि उन्होंने मुंद्रा पोर्ट से फ़ारस की खाड़ी की ओर रेग्युलर जाने वाले जहाज़ों की गतिविधियों को जांचा, जिसमें कुछ ऐसी गतिविधियां पायी गईं जो अक्सर उन जहाजों में देखने को मिलती हैं जो प्रतिबंधों से बचने की कोशिश करते हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की हालिया जांच में दावा किया गया कि मुंद्रा पोर्ट और फारस की खाड़ी के बीच चलने वाले एलपीजी टैंकरों ने जहाजों के स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) में हेरफेर करके प्रतिबंधों से बचने की कोशिश की। अख़बार ने 3 अप्रैल 2024 को एक जहाज़ की तस्वीरों के आधार पर ऐसा दावा किया है, जिसे आप इस आर्टिकल में अटैच अख़बार की कटिंग पर जाकर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
अदाणी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को निराधार बताया
अखबार ने इस मामले में अदाणी के बयान को भी प्रमुख ख़बर में छापा है जिसमें कहा गया है कि – अदाणी समूह की कंपनियों और ईरानी एलपीजी के बीच संबंध का आरोप लगाने वाली वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट निराधार और नुकसान पहुंचाने वाली है। अदाणी जानबूझकर किसी भी तरह के प्रतिबंधों से बचने या ईरानी एलपीजी से जुड़े व्यापार में संलिप्तता से साफ़ इनकार करता है। हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा किसी भी जांच की जानकारी नहीं है।
अख़बार ने अपनी ख़बर में अदाणी के बारे में यह भी लिखा है कि गौतम अदाणी एशिया के दूसरे सबसे बड़े अमीर व्यक्ति हैं जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी हैं। अख़बार ने लिखा है कि भारत की आर्थिक प्रगति का सबसे बड़ा कारण रहे निर्माण क्षेत्र में अदाणी की कई कंपनियों की बड़ी भागीदारी रही है।
आज के अखबार
गुजरात : क्लर्क ने पत्रकार को ‘खबर’ दी, गिरफ्तारी… फिर मौत

आज के अखबार
‘I love Muhammad’ के समर्थन में यूपी-उत्तराखंड में जुलूस, कई गिरफ्तारियां

नई दिल्ली|
पांच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) के दिन यूपी के कानपुर जिले से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ बैनर का विवाद अब यूपी के कई जिलों व उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भी फैल गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते रविवार को यूपी के सात जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर के साथ मार्च निकाला गया, जिसके बाद सोमवार तक पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कर ली। दूसरी ओर, दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
यूपी के सात जिलों में जुलूस निकले – एक्सप्रेस
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सप्ताहांत (Week End) पर कई जिलों में ‘I love Muhammad’ बैनर के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किए जो कि कानपुर विवाद के खिलाफ एकजुटता के लिए निकाले गए थे। दरअसल कानपुर में पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन)म की सजावट के दौरान ‘I love Muhammad’ लिखा एक साइनबोर्ड लगा दिया गया था, जिसका अन्य समुदाय ने नई प्रथा बताकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस ने 10 सितंबर को केस दर्ज किया था। रविवार को कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव, पीलीभीत और बरेली में विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं।
उत्तराखंड : जुलूस निकालने वाले 500 लोगों पर केस
दैनिक हिन्दुस्तान ने 23 सितंबर के संस्करण में खबर की है कि यूपी के उन्नाव व उत्तराखंड के काशीपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुलूस निकालने के बाद बवाल हो गया। काशीपुर पुलिस ने रविवार रात हुए बवाल में तीन नामजद व 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि ये कार्रवाई उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर की है न कि बैनर को लेकर। अखबार के मुताबिक, उन्नाव पुलिस ने 38 लोगों पर मुकदमें दर्ज किए हैं और सात को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार का कहना है कि मूल विवाद गलत जगह ‘आई लव मोहम्मद’ का बोर्ड लगाने को लेकर हुआ था, अगले दिन कुछ लोगों ने एक धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया, जिस पर दस सितंबर को पुलिस ने केस दर्ज किया, पर लोगों ने इसे ‘आई लव मोहम्मद’ पर केस दर्ज होने के तौर पर प्रचारित किया, जिससे यह विरोध बड़े स्तर पर फैल गया।
आज के अखबार
SCO से फिर उभरा रूस-भारत-चीन का त्रिकोण!

नई दिल्ली |
चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित किए गए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन पर सभी भारतीय अखबारों ने सकारात्मक कवरेज करते हुए इसे भारत की सफलता के रूप में देखा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इंटरप्रेटरों के जरिए आपस में बात करते हुए ली गई तस्वीर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। तीनों नेताओं की प्रतीकात्मक एकजुटता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए सीधे संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन में त्रिकोणीय ढांचे का पुनर्जनन – एक्सप्रेस, TOI
इसी संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई हैं, जिसका अर्थ निकलता है कि तियानजिन में एक त्रिकोणीय ढांचे (रूस, भारत, चीन) का पुनर्जनन हो सकता है जिसने ट्रंप और उनकी नीतियों के लिए कड़ा संकेत भेजा। गौरतलब है कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव था, जिसने RIC (रूस, भारत, चीन) को निष्क्रिय कर दिया। लेकिन 2024 में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा तनाव कम करने के लिए समझौते हुए।

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंडियन एक्सप्रेस
पहलगाम हमले की सामूहिक निंदा भारत की जीत – जागरण
अधिकांश प्रमुख अखबारों ने एससीओ के मंच से पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा को पहली हेडिंग बनाया है, इसे समिट में भारत की बड़ी सफलता के रूप में दर्शाया गया है। दैनिक जागरण ने हेडिंग लगाई- ‘भारत की जीत, एससीओ के मंच से पहलगाम हमले की निंदा।’ अखबारों ने इसे इसलिए अहम बताया क्योंकि मात्र दो महीने बीते हैं जब SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले की निंदा करने को लेकर सहमति नहीं बनी थी, भारतीय विदेशमंत्री राजनाथ सिंह ने तब नाराजगी जताते हुए बैठक के साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे और साझा बयान जारी नहीं हो सका था। एक्सप्रेस के शब्दों में कहे तो बदली वैश्विक परिस्थितियों ने इसे बदल दिया। न सिर्फ पाकिस्तान और चीन 22 अप्रैल के हमले की निंदा के लिए राजी हुआ, बल्कि साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।

दैनिक जागरण
घोषणापत्र में पाक में हुए हमले की भी निंदा हुई, जागरण ने नहीं छापा
द हिन्दू ने भी पहले पन्ने पर पहलगाम हमले की निंदा को ही हेडिंग बनाया और खबर में प्रमुखता से बताया है कि SCO ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर हुए बलूचिस्तान उग्रवादी संगठन के हमले की भी निंदा की है। यह महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में नहीं दी जबकि उनकी प्रमुख खबर आतंकवाद पर आए एससीओ के साझा घोषणापत्र को लेकर ही है।
मोदी ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से पाक को घेरा – HT
हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लिया है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर दोहरा रवैया उठाने वाले देशों पर सवाल उठाया। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नाम लिए बिना पाक व चीन पर निशाना बनाया। अखबार ने पहलगाम पर निंदा करने की खबर को उतनी अहमियत नहीं दी और अंदर के पेज पर सेकेंड लीड बनाया। इसके अतिरिक्त सभी अखबारों ने मोदी व पुतिन की द्विपक्षीय बैठक को भी प्रमुखता से लिया। एचटी ने लिखा कि मोदी से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए हाल में हुई पुतिन-ट्रंप वार्ता का समर्थन जताया और शांति प्रक्रिया में तेजी लाकर जल्द शांति स्थापित करने की बात पुतिन से कही।
SCO से बड़ी उम्मीद बांधना जल्दबाजी : संपादकीय
दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को चीन व अमेरिका दोनों से ही सावधान रहने की जरूरत है, एससीओ समिट में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जिससे यह माना जा सके कि वैश्विक समीकरण में कोई बड़ा परिवर्तन आएगा। अखबार ने लिखा है कि मोदी-जिनपिंग के बीच संबंधों में सुधार की बातें हुईं जो पहले भी होती रही है पर दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार गिरने का नाम नहीं लेती। एचटी ने लिखा है एससीओ में भारत के साथ पाक में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की गई, भारत ने चीन के बेल्ट एवं रोड परियोजना के समर्थन से खुद को अलग करके अपने पुराने पक्ष को कायम रखा। अखबार कहता है कि ऐसे में यह सोचना अव्यवहारिक है कि इस मंच से कोई बड़े राजनयिक परिवर्तन आएंगे, पर इतना जरूर है कि ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे ईरान, चीन, रूस व भारत के बीच गहरा समन्वय स्थापित होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए रुस व चीन से संबंध सुधार में सफल साबित हो रहा है। शायद अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाने की अपनी गलती को समझ लिया है, अमेरिकी दूतावास का रविवार को आया “मैत्रीपूर्ण” ट्वीट इसी दिशा में शायद एक नीतिगत सुधार का संकेत है। अखबार कहता है कि भारत को सुलह के इशारों के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए लेकिन इसे दबाव में नहीं आना चाहिए।
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