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बड़ों से सवाल : बच्चों को बड़े होकर भी किताबें क्यों पढ़नी चाहिए ?
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बिहार में छठ की छठा : जेल से घरों तक हुई खरना पूजा
बिहार में लोकआस्था के छठ महापर्व की छठा देखते ही बन रही है। अपने घरोें में विधि विधान से महिलाओं ने खरना पूजा के साथ निर्जला व्रत की शुरूआत की। जेलों की बंदी महिलाओं ने भी व्रत रखा। इस वीडियो में देखिए बिहार के अलग-अलग जिलों में बिखरी छठ की छठा..
चुनावी डायरी
बिहार: ये कैसी आचार संहिता… अस्पताल में तो CM-PM के मुस्कुराते चेहरे अबतक चस्पा!
- सासाराम सदर अस्पताल में कई जगहों पर नेताओं के फोटो वाले पोस्टर चस्पा।
- आचार संहिता लागू हो जाने के बाद भी सरकारी योजनाओं के ऐसे पोस्टर नहीं हटे।
- पोस्टरों में पीएम-सीएम की फोटो लगी, आचार संहिता के 24 घंटे में हट जाने चाहिए।
रोहतास | अविनाश श्रीवास्तव
बिहार में विधानसभा चुनावों को लेकर आचार संहिता लगे पांच दिन हो चुके हैं पर जिला प्रशासन ने अभी तक कई जगहों पर सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के पोस्टर नहीं हटाए हैं। सदर अस्पताल में तो सीएम-पीएम के फोटो वाले कई पोस्टर लगे हैं, जिसने जरिए स्वास्थ्य योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है।
सवाल उठता है कि अगर प्रशासन इस तरह लापरवाही करेगा तो सभी दलों के उम्मीदवारों को ‘लेवल प्लेइंग फील्ड’ (समान अवसर) कैसे मिल पाएगी? इन जगहों पर जा रही जनता के मन में तो इन्हीं की छवियां रहेंगी जो सत्ताधारी पार्टी का अप्रत्यक्ष प्रचार माना जाएगा। इसी के चलते नियम है कि आचार संहिता लागू हो जाने के 24 घंटे के अंदर सभी सरकारी भवनों से राजनीतिक दलों से संबंधित पोस्टरों को हटा लिया जाता है।
इस मामले में सबसे ज्यादा लापरवाही स्वास्थ्य विभाग में दिखी। सासाराम के जिला अस्पताल परिसर में कई जगहों पर स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं वाले पोस्टर लगे हुए हैं। इन पोस्टरों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो हैं। सासाराम के सदर अस्पताल के M.C.H. बिल्डिंग में ही दर्जन भर से अधिक पोस्टर दीवारों पर चस्पा हैं। फिर भी इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने कहा है कि अगर कहीं पर पोस्टर हटने से छूट गया है तो वे इसे हटवा देंगे।
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उम्र का मौसम | कविता – सुजाता
नए साल के साथ उम्र का मौसम भी बदल गया है। ऐसे में पेश है ये कविता। उम्र के साथ नजर भले कमजोर हो जाए पर रिश्तों को पहचानने का नजरिया तब ही आता है। कुछ ऐसा ही समझती, सिखाती … ये कविता।
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