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SSC online पेपर की बदइंतजामी से परेशान Aspirant ने फांसी लगाई, पुलिस ने बचाया

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नवादा के अभिनंदन के वायरल वीडियो से परेशान मां।
  • अभ्यार्थी ने वायरल वीडियो में कहा- मैं मरने जा रहा हूं, मेरी लाश को SSC चेयरमैन के दफ्तर पहुंचा देना।
  • वीडियो वायरल होने के बाद लोकल पुलिस ने युवक को ढूंढ़कर बचाया, मां का रो-रोकर बुरा हाल
  • परीक्षा केंद्र में छोटी सी टेबल पर बेहद छोटे कंप्यूटर पर दिया पेपर, एकदम करीब बैठे थे सभी अभ्यार्थी

नवादा | सुनील कुमार
बिहार के नवादा जिले में SSC (कर्मचारी चयन आयोग) की परीक्षा देकर लौटे एक युवक ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करके ऑनलाइन परीक्षा हॉल की बदहाल स्थिति बताते हुए आयोग पर आरोप लगाए, साथ ही वीडियो में कहा कि अब वह आत्महत्या करने जा रहा है। यह वीडियो स्थानीय मीडिया में वायरल होने के बाद लोकल पुलिस ने युवक को ढूंढ़ निकाला जो आत्महत्या करने जा रहा था। यह घटना सरकारी नौकरी के लिए लंबी तैयारी करने वाले अभ्यार्थियों (Aspirant) की आयोग को लेकर बढ़ती निराशा का एक और उदाहरण बन गई है।

नवादा के अभिनंदन के वायरल वीडियो से परेशान मां।

नवादा के अभिनंदन के वायरल वीडियो से परेशान मां।

कोलकाता में था SSC की परीक्षा देकर लौटा था

यह पूरा मामला नवादा के अकबरपुर ब्लॉक के गोसाईं बिगहा गांव का है। यहां के रहने वाले अभिनंदन साव ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसका पता लगने पर स्थानीय पुलिस ने रविवार को उसे बचाकर हिरासत में ले लिया है। अपने बेटे के इस कदम से घबराई उसकी मां व अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और वे बेटे के ऐसा करने का जिम्मेदार सरकार को ठहरा रहे हैं। दरअसल 18 सितंबर को ही अभिनंदन कोलकाता के बेलगरिया स्थित IIITM से SSC की ऑनलाइन परीक्षा देकर लौटा था। पूरी तैयारी के बावजूद परीक्षा केंद्र पर बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते पेपर ठीक न होने से अभिनंदन काफी निराश हो गया और उसने फांसी लगाने से पहले वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया। हालांकि उसे बचा लिया गया है।

टेक्निकल सपोर्ट और निरीक्षक पर सवाल उठाए

वायरल वीडियो में Aspirant अभिनंदन साव ने कहा कि जिस SSC के तहत सीबीआई, आईबी, नारकोटिक्स, विदेश मंत्रालय जैसे बड़े-बड़े विभागों की परीक्षाएं करवाई जा रही हैं, वहां की ऑनलाइन परीक्षा की हालत ऐसी है कि इससे बेहतर परीक्षाएं नगर पालिका की वेकेंसी के लिए करवायी जाती होंगी। उन्होंने अपने वीडियो में ऑनलाइन एग्जाम कराने के लिए मौजूद टेक्नीकल स्टाफ की स्किल पर सवाल उठाए और कहा कि वे ऐसे लोग थे कि जैसे पड़ोस के साइबर कैफे से बुला लिए गए हों। उन्होंने पर्यवेक्षकों (Invigilator) को लेकर कहा कि उनकी योग्यता प्राइमरी के पेपर करवाने भर की है।

10 इंच की बेंच और बहुत छोटे कंप्यूटर पर एग्जाम

वीडियो में अभिनंदन ने कहा कि Exam hall में पीने के पानी की कमी व गंदगी होना तो हम Aspirant बर्दाश्त कर लेते हैं पर ऑनलाइन परीक्षा देते हुए इतना छोटा कंप्यूटर हो कि कुछ पढ़ने में ही न आए तो हम कैसे ठीक से परीक्षा पास कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि दस इंच की बेंच पर दो-दो अभ्यार्थियों को बैठाया गया था, जिनके बीच बहुत पतली प्लास्टिक की शीट से सैपरेशन था। बोले कि सब इतने करीब थे कि सांसों तक टकराकर वापस लौट रही थीं।

साथ ही दस इंच की बेंच पर ही कंप्यूटर रखा था जिसकी स्क्रीन भी दस इंच की ही थी, इतने छोटे लैपटॉप पर पढ़ने में समस्या आ रही थी। इस बेंच पर सिस्टम रखने के बाद जगह इतनी कम बची थी कि उस पर माउस, कंप्यूटर से जुड़े अन्य डिवाइस व रफ शीट को मैनेज करना कठिन हो रहा था। जबकि बार-बार परीक्षा केंद्र में यह चेतावनी दी जा रही थी कि कंप्यूटर से कनेक्टेड डिवाइस ठीक से रखने हैं ताकि वे हिल न जाएं। पूरे वीडियो में वे बार-बार कह रहे हैैं कि आप मेरी बातों को उन लोगों से वेरिफाई कर सकते हैं जो जिन्होंने वहां जाकर एग्जाम दिया।

 

मैंने इस साल बहुत मेहनत करके तैयारी की थी पर ऑनलाइन एग्जाम सेंटर की बदहाली ने पेपर खराब कर दिया। मैंने SSC के सभी ईमेल एड्रेस पर मेल करके शिकायत की पर किसी से जवाब नहीं आया जबकि सामान्यत: जवाब आ जाता है। मैं आत्महत्या इसलिए कर रहा हूं ताकि मेरी मौत इन बहरे लोगों को नींद से जगा पाए।’ – अभिनंदन, वायरल वीडियो में कहा।

SSC फेज 13 के रीएग्जाम को लेकर भी निराशा 
अभिनंदन ने अपने वीडियो में बारी-बारी से सभी समस्याएं सामने रखीं और कहा कि उन्हें आयोग पर इसलिए भी भरोसा नहीं है क्योंकि बीते अगस्त में करीब 60 हजार अभ्यार्थियों का phase 13 में जो रीएग्जाम कराया गया, उसमें भी टेक्निकल गड़बड़ियों पर कोई फीडबैक नहीं लिए गए। आयोग पर सवाल उठे तो उन्होंने कुछ के रीएग्जाम करवा दिए, जिसमें वे लोग भी शामिल थे..जिनके सेंटर पर इश्यूज नहीं आए थे। जबकि जिनके सेंटर पर गड़बड़ियां बहुत ज्यादा थीं, उन्हें रीएग्जाम का मौका नहीं दिया गया…जिसमें वे भी शामिल थे।

पुलिस की तत्परता से जान बची, काउंसलिंग की गई 

वीडियो के वायरल होने के बाद नेमदारगंज थाना पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और अभिनंदन को ढूंढ निकाला। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर काउंसलिंग शुरू की है, ताकि वह कोई गलत कदम न उठाए। अभिनंदन को जब पुलिस घर लेकर लौटी तो उसकी मां का रो-रोकर बुरा हाल था। इस घटना के बाद एक बार फिर सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

SSC ऑनलाइन परीक्षाओं पर कई बार उठ चुके हैं सवाल 

वर्ष/फेज
प्रमुख समस्याएं
प्रभावित अभ्यर्थी/घटनाएं
2020 (CHSL Exam)
सर्वर क्रैश, लॉगिन फेलियर, बायोमेट्रिक गड़बड़ी।
10 लाख+ अभ्यर्थी प्रभावित; कई सेंटर्स पर परीक्षा रद्द। दिल्ली में प्रोटेस्ट।
2022 (CGL Exam)
गलत सेंटर अलॉटमेंट (500+ किमी दूर), पावर कट, माउस मालफंक्शन।
5 लाख अभ्यर्थी; री-एग्जाम 20,000 को। कोचिंग सेंटर्स ने विरोध।
2024 (Phase 12)
सॉफ्टवेयर बग्स (डुप्लिकेट क्वेश्चन), छोटे कंप्यूटर्स, गंदगी।
4.5 करोड़ अभ्यर्थी; TCS वेंडर पर आरोप, री-टेस्ट 30,000 को।
2025 (Phase 13)
सर्वर क्रैश, बायोमेट्रिक फेल, वेंडर चेंज (TCS से Eduquity), रद्दीकरण।
59,500 को री-एग्जाम (29 अगस्त); #SSCMisManagement ट्रेंड।
सामान्य मुद्दे (2020-25)
अप्रशिक्षित पर्यवेक्षक, पानी/शौचालय की कमी, मिसट्रीटमेंट।
सालाना 4-5 करोड़ अभ्यर्थी; SSC ने 2025 में “टीथिंग प्रॉब्लम्स” स्वीकार किया।

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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गंगा में कटान से चौथी बार विस्थापन का संकट झेल रहे मुंगेर के किसान परिवार

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मुंगेर में गंगा नदी में कटाव के चलते बड़ी संख्या में मकान डूबने की कगार पर हैं।
मुंगेर में गंगा नदी में कटाव के चलते बड़ी संख्या में मकान डूबने की कगार पर हैं।
  • मुंगेर के सदर ब्लॉक के कुतलूपुर व जाफरनगर गांव में कटान तेज।
  • 100 एकड़ से ज्यादा फसलें व सैकड़ों बीघा जमीन नदी में समाई।
  • 15 से अधिक घरों पर मंडरा रहा खतरा, लोग फिर से पलायन कर रहे।

मुंगेर | प्रशांत कुमार

बिहार में चुनाव संपन्न हो गए और एक नई सरकार बनने जा रही है, इन सबके बीच आम लोगों के जीवन को देखें तो वे हर दिन उन्हीं समस्याओं से जूझ रहे हैं जो वर्षों से बनी हुई हैं।

बिहार के मुंगेर में गंगा नदी कटान पर है जिससे सदर ब्लॉक के जाफरनगर में कई किसान परिवार चौथी बार विस्थापित होने की कगार पर हैं। यहां अब तक 100 बीघा से ज्यादा जमीन नदी में समा चुकी है।

दूसरी ओर, इसी ब्लॉक के कुतलूपुर पंचायत के वार्ड संख्या 6 में भी हालात बिगड़ गए हैं। यहां 15 नवंबर की सुबह अचानक गंगा का बहाव तेज होने से भीषण कटाव शुरू हो गया है।

 

पूरा टोला संकट में, लोग घर छोड़ने को मजबूर

कटाव की रफ्तार इतनी तेज है कि लोग मान रहे हैं कि रात होते-होते करीब 15 मकान इसमें समा जाएंगे, अभी इस इलाके में 6 से ज्यादा घर गंगा में समा चुके हैं। लोग अपना जरूरी सामान इकट्ठा करके इलाका छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गंगा का पानी घटने के बाद दियारा इलाके में लगभग 100 एकड़ खेत में चना, गेहूं और रबी फसलें बोई थीं लेकिन नदी के अचानक तेज बहने से फसलें बह गई हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार प्रशासन से कटाव को थामने से जुड़े काम करवाने की मांग की थी। उनका कहना है कि कटाव की तुरंत रोकथाम नहीं हुई तो कुतलूपुर पंचायत का यह पूरा टोला गंगा में समा सकता है।

 

मुखिया बोले- हमारी जमीनें नदी में समा गईं

जाफरनगर पंचायत के मुखिया अरुण यादव का कहना है, “हम कई महीनों से कटाव रोकने के लिए प्रशासन से लगातार गुहार लगा रहे हैं।
लेकिन जाफरनगर में अभी तक कोई ठोस कटावरोधी काम शुरू नहीं हुआ। दर्जनों किसानों की जमीन नदी में समा गई है।”

यहां के ग्रामीण विकास कुमार, महेश यादव, आनंद कुमार आदि ने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।

 

क्या बोले जिलाधिकारी 

जिलाधिकारी निखिल धनराज निप्पीणीकर ने कहा कि कुतलूपुर में तुरंत निरीक्षण के आदेश दिए गए हैं और  जाफरनगर के लिए कटाव रोकने की योजना तैयार कर ली गई है और बहुत जल्द काम किया जाएगा।

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नौकरी के लिए बिहार नहीं छोड़ा, यूट्यूब से सीखकर बतख पालन शुरू किया.. अब अच्छी कमाई कर रहे!

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अपने गांव में बतख पालन कर रहे मो. बिलाल।
अपने गांव में बतख पालन कर रहे मो. बिलाल।
  • सहरसा जिले के सितनाबाद गांव के मो. बिलाल ने यूट्यूब से सीखा बतख पालन
  • बाहर इंजीनियरिंग की नौकरी करने की जगह अपने गांव में नया रोजगार शुरू किया।
  • 1200 बतखों का है फार्म, हर दिन 400 अंडे को स्थानीय बाजार में बेच रहे। 
सहरसा | सरफराज आलम
सोशल मीडिया के जमाने में प्रेरणा के स्त्रोत बदल रहे हैं। बिहार के एक युवा ने यूट्यूब से प्रेरणा लेकर बतखों की फार्मिंग शुरू की और आज वे अपने इलाके में इस नए तरह के काम के लिए मशहूर हो रहे हैं।
बिहार के सहरसा जिले के एक युवा मो. बिलालउद्दीन ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया पर वे चाहते थे कि उन्हें नौकरी के लिए बिहार से बाहर न जाना पड़े।
नौकरी ढूंढ़ रहे थे, एक वीडियो ने जिंदगी बदल दी
बिलाल, सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के सितनाबाद गांव के रहने वाले हैं। वे  हरियाणा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे नौकरी की तलाश में थे, तब यूट्यूब पर डक फार्मिंग का एक वीडियो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया।
उनके परिवार व गांव में मछली पालन का काम पहले से होता था, वीडियो देखने के बाद उसे ही एक नए रूप में बदलने का आइडिया बिलाल को सूझा। 
200 चूजों से शुरु किया, अब 1200 बतखों का फार्म 
बिलाल ने बताया कि शुरुआत में मुजफ्फरपुर जिले से उन्होंने 200 चूजों को खरीदकर फार्मिंग शुरू की। तब उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद या बड़ी पूंजी के शेड और तालाब बनवाए। 
अब उनके पास 15 कट्ठा जमीन पर देशी नस्ल की 1200 बतखों का फार्म है। आज उनका फार्म रोजाना 400 से अधिक अंडे देता है, जो स्थानीय बाजार में 11-12 रुपये प्रति अंडा की दर से बिकते हैं।
उनका कहना है कि ठंड के मौसम में यह उत्पादन 700-800 अंडे प्रतिदिन तक पहुंच जाता है।
मेहनत और इनोवेशन का मेल  
बिलाल के काम में इनोवेशन दिखता है, वे बतख के साथ मछली पालन भी साथ करते हैं। वे कहते हैं कि जो अंडे खराब हो जाते हैं, उन्हें वे तालाब में डालकर मछलियों को पोषण देते हैं।
इसी तरह जरूरत पड़ने पर कुछ मछलियां भी बतखों को खिलाते हैं। जिससे कोई भी चीज बर्बाद नहीं होती।
मखाना की खेती वाले गांव को नई पहचान मिली
बिलाल कहते हैं, “शुरुआत में यूट्यूब से सीखा, लेकिन मेहनत के नतीजे ने मेरा रास्ता तय कर दिया।” 
बिलाल के चलते उनका गांव सितनाबाद एक नई पहचान पा रहा है। पहले यह इलाका धान और मखाना खेती के लिए जाना जाता था। अब इसकी पहचान डक फार्मिंग बन गई है। 
उन्होंने बताया कि अब आसपास के लोग उनसे बतख पालन के बारे में सीखने के लिए आते हैं, यह उनके लिए गर्व की बात है।
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edited by Mahak Arora (content creator)
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चुनावी डायरी

बिहार : डुमरा में टूटी रोड नहीं बनी, पानी भरने से परेशान लोगों ने वोट बहिष्कार किया

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सीतामढ़ी में वोट बहिष्कार करते स्थानीय वोटर।
सीतामढ़ी में वोट बहिष्कार करते स्थानीय वोटर।
  • डुमरा के वार्ड संख्या 12 और 13 के लोगों ने सड़क पर जमकर प्रदर्शन किया।
  • सीतामढ़ी विधानसभा सीट पर आगामी 11 नवंबर को दूसरे चरण में चुनाव होगा।

डुमरा | रंजीत कुमार

बिहार में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, लोगों का अपने इलाके की समस्याओं को लेकर गुस्सा वोट बहिष्कार के रूप में बदलता जा रहा है। सीतामढ़ी जिले में बड़ी तादाद में स्थानीय लोगों ने प्रशासन के सामने ऐलान कर दिया कि जब तक रोड नहीं बनेगा, वे वोट नहीं करेंगे।

बैनर पर बड़े शब्दों में लिखा कि इस रोड पर नेताओं का आना मना है, यह नेता वर्जित क्षेत्र है।

साथ ही नारा लगाया- ‘नगर निगम चोर है, वार्ड पार्षद चोर है।’

 

(नोट – इस खबर को वीडियो पर देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।)

 

पूरे रोड पर पानी भर जाने से लोग बेहद परेशान हैं।

पूरे रोड पर पानी भर जाने से लोग बेहद परेशान हैं।

इस इलाके में 11 नवंबर को मतदान होना है और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी 100% मतदान कराने की है।

सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र के वार्ड संख्या 12 और 13 के लोगों ने 3 नवंबर को सड़क पर जमकर प्रदर्शन किया।

सीतामढ़ी के शहरी क्षेत्र के इस दैयनीय हाल से परेशान लोगों ने वोट बहिष्कार किया है।

सीतामढ़ी के शहरी क्षेत्र के इस दैयनीय हाल से परेशान लोगों ने वोट बहिष्कार किया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सीतामढ़ी से मेला रोड़ जाने वाली सड़क कई वर्षों से खराब है, नाला न होने से सड़क पर गंदा पानी जमा हो जाता है। हाल में हुई बारिश के बाद यहां पानी भर गया और ऐसा अक्सर थोड़ी सी बारिश में भी हो जाता है।

यह रोड एक पौराणिक काल के प्रसिद्ध हलेश्वर नाथ मंदिर को जाता है इसलिए स्थानीय लोग चाहते हैं कि रोड बन जाए ताकि श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में समस्या न आए।

प्रदर्शनकारियों ने बैनर पर लिखा – ‘जब सड़क नहीं बनी तो हम वोट क्यों दें?’

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस रोड से गुजरते हुए अक्सर बाइक और ई-रिक्शा पलट जाते हैं, जिससे कई बार लोग घायल हो चुके हैं। इसके बावजूद अब तक जनप्रतिनिधियों ने उनकी मांग नहीं सुनी।

गुस्साए लोगों ने नगर निगम और वार्ड पार्षद के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

 

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