आज के अखबार
GDP की छलांग को अखबारों ने क्यों बताया – सुखद आश्चर्य!
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
खबर का सार :
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दो अप्रैल को भारत पर पहली बार टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, फिर इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था। इसी अवधि यानी अप्रैल से लेकर जून के दौरान (Q1) भारत ने अप्रत्याशित जीडीपी वृद्धि 7.8% दर्ज की है जो कि पिछली पांच तिमाही में सर्वाधिक है। इस विकास दर के चलते ही भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के स्थान को बरकरार रखा है। इस खबर को 30 अगस्त के सभी प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। चालू वित्त वर्ष में इस तेजी से विकास दर बढ़ने का अनुमान खुद भारतीय रिजर्व बैंक ने तक नहीं लगाया था, इसी के चलते प्रमुख अखबारों ने इस वृद्धि को ‘आश्चर्यजनक’ बताया है।
सर्विस सेक्टर से मिला बूम – यह वृद्धि मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र की मजबूत गतिविधियों के कारण हुई, जिसमें वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यापार, होटल, परिवहन जैसे उप-क्षेत्रों ने 9.3% की वृद्धि दिखाई। कृषि क्षेत्र में 3.7% और विनिर्माण में 7.7% की वृद्धि हुई, जबकि खनन (-3.1%) और बिजली (0.5%) में कमजोर प्रदर्शन रहा। यह अनपेक्षित वृद्धि अमेरिकी टैरिफ (50%) के बावजूद आई, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा। हालांकि, कम मुद्रास्फीति के कारण नाममात्र जीडीपी वृद्धि 8.8% रही।
अखबारों ने क्या लिखा :
1- FT और एक्सप्रेस ने जीडीपी उछाल को बताया सुखद आश्चर्य
फाइनेंशियल टाइम्स ने पहले पन्ने पर इस खबर को टॉप बॉक्स लगाया है जिसमें pleasant surprise (सुखद आश्चर्य) शब्द का इस्तेमाल किया है। इसकी हेडिंग है – ‘सुखद आश्चर्य: Q1 में जीडीपी वृद्धि पांच तिमाही के उच्चतम स्तर 7.8% पर’ (अनुवाद।) अखबार ने लिखा है कि अमेरिकी टैरिफ (25%) के बावजूद यह अप्रत्याशित उछाल भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाए रखती है।
2- चौंकाने वाली जीडीपी वृद्धि : इंडियन एक्सप्रेस
इंडियन एक्सप्रेस ने इसे आश्चर्यजनक कहते हुए लिखा है कि अगर भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने में सफल हो जाता है तो अर्थव्यवस्था की यह गति बनी रहेगी। इस अखबार ने खबर को पहले पन्ने पर प्रमुखता से लगाया है, जिसकी हेडिंग है- ‘जीडीपी ने चौंकाया : सेवा क्षेत्र से पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि 7.8% हुई, 5 तिमाहियों में सबसे अधिक।’ (अनुवाद)। एक अन्य अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इसे अखबार की सेकंड लीड स्टोरी बनाया है।
3- द हिन्दू और HT में लीड खबर, दैनिक हिन्दुस्तान ने अहमियत नहीं समझी
अंग्रेजी के प्रमुख अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स व द हिन्दू ने इस खबर को पहले पन्ने की लीड खबर बनाया है। जबकि हिन्दी के दैनिक हिन्दुस्तान ने पहले पन्ने पर न तो खबर दी और न ही संक्षेप (टीजर) में ही इसकी जानकारी दी है जो असामान्य है। हालांकि इस खबर को अखबार ने बिजनेस पेज की लीड बनाया है, जिसकी हेडिंग है – ‘कृषि और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से जीडीपी में तेजी दर्ज।’ खबर में बताया है कि एक साल पहले सेवा क्षेत्र में विकास दर 6.6% से बढ़कर 9.5% हो गई, इसी तरह कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.5% थी जो बढ़कर 3.5% हो गई है।
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट – दूसरी ओर, इसी के अंग्रेजी अखबार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ ने पहले पन्ने की लीड स्टोरी बनाया है। साथ ही, पहले पन्ने पर ही जानकारी दी है कि रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर गिरा है, एक डॉलर अब 88.09 रुपये का हो गया है।
4- हमारी इकोनॉमी का ट्रंप को जवाब : दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर जीडीपी ग्रोथ की खबर को ट्रंप को जवाब के एंगल पर लगाया है, अखबार ने संदर्भ दिया है कि ट्रंप ने हाल में भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ (Dead Economy) कहा था। अखबार लिखता है कि रिजर्व बैंक ने जीडीपी 6.5% रहने का अनुमान जताया था पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े अनुमान से कहीं बेहतर हैं। दैनिक जागरण ने भी लगभग इसी ऐंगल पर लिखा – ‘शबाश भारत ! ट्रंप टैरिफ से पहले भारतीय आर्थिकी में 7.8% की अप्रत्याशित उछाल।’ अमर उजाला ने इसे पहले पेज की दूसरी प्रमुख खबर के रूप में लगाया है, हेडिंग है – ‘जीडीपी की ऊंची छलांग’।
आज के अखबार
J&K में 6 साल बाद हुए राज्यसभा चुनाव में ‘Fixed मैच’ का आरोप कौन लगा रहा?
- जम्मू-कश्मीर की 4 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव पर विवाद।
- नेशनल कांग्रेस ने चार और भाजपा ने एक सीट पर उम्मीदवार उतारा।
- भाजपा ने इकलौती सीट जीत ली, नेशनल कांग्रेस ने बाकी 3 सीटें जीतीं।
“हमने भाजपा का ऑफर ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि हम तीन सीटें ले लें और एक उन्हें दे दें, लेकिन हमने कहा-नहीं, हम कंटेस्ट करेंगे और मैदान पर फैसला होगा।”
अबदुल्ला के दावे पर लोन ने कहा कि “इस दावे का मतलब है कि दोनों पार्टियों के बीच संवादतंत्र है औ उन्होंने राज्यसभा सीटों पर बातचीत की पर क्या उन्होंने इसके बारे में अपने सहगोगियों को जानकारी दी? क्या ये फिक्स्ड मैच नहीं है?”
भाजपा बोली- ‘यह जीत दर्शाती है कि सरकार से लोग नाखुश’
आज के अखबार
अगले सप्ताह से वोटर लिस्ट की विशेष जांच, तमिलनाडु से शुरुआत क्यों?
- चुनाव आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट को SIR कराने की जानकारी दी।
- कहा- तमिलनाडु समेत सभी चुनावी राज्यों में सबसे पहले SIR होगा।
- पहले फेज में करीब 10 से 15 राज्य शामिल, आधिकारिक घोषणा जल्द।
नई दिल्ली |
देश के हर नागरिक को वोटर लिस्ट में अपने नाम को दोबारा वेरिफाई करवाना होगा, ठीक उसी तरह जैसे बिहार में वोटर लिस्ट की गहन जांच के दौरान किया गया। वोटर लिस्ट रिविजन की इस प्रक्रिया को SIR (Special intensive revision ) नाम से जाना जाता है जो अगले सप्ताह से तमिलनाडु में शुरू हो जाएगी।
चुनाव आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि अगले सप्ताह से वह तमिलनाडु में Special intensive revision शुरू करेगी। साथ ही 2026 में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उन्हें भी इस प्रक्रिया में सबसे पहले शामिल किया जाएगा।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी के हवाले से हिन्दुस्तान अखबार ने लिखा है कि SIR के पहले चरण में 10 से 15 राज्यों में कराया जाएगा, जिसमें चुनाव वाले राज्य भी शामिल रहेंगे।
पांच राज्यों में होने हैं अगले साल चुनाव
आपको बता दें कि अगले साल देश के पांच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल व प. बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। यानी इन राज्यों में वोटर लिस्ट की जांच का काम सबसे पहले शुरू होगा।
जनसत्ता के मुताबिक, अगले सप्ताह में कभी भी इस प्रक्रिया की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
दैनिक हिन्दुस्तान के मुताबिक, पहले चरण में उन राज्यों को SIR से बाहर रखा जाएगा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं या प्रस्तावित हैं।
26 अक्तूबर के हिन्दी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से लिया है। दैनिक हिन्दुस्तान ने इस खबर को लीड स्टोरी बनाया है। जबकि जनसत्ता, दैनिक जागरण और अमर उजाला ने इसे पहले पन्ने पर छापा है।
20 साल के बाद होने जा रहा वोटर रिविजन
SIR की रूपरेखा तय करने के लिए चुनाव आयोग, राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ पहले ही दो बैठकें कर चुका है।
अधिकांश राज्यों में वोटर लिस्ट दुरुस्त करने का काम दो दशकों के बाद होने जा रहा है, कई राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया 2002-2008 के बीच हुई थी, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई SIR के लिए आखिरी वोटर लिस्ट रिविजन के वर्ष को ही कटऑफ ईयर माना जाएगा।
चुनाव आयोग के निर्देश पर अधिकांश राज्यों की आखिरी SIR लिस्ट की मैपिंग करके उसे राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित भी कर दिया गया है।
बिहार SIR को लेकर मामला अब भी कोर्ट में
बिहार में संपन्न हो चुकी SIR प्रक्रिया को लेकर अब भी केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। वोटर वेरिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए पक्ष ने इस प्रक्रिया की संवैधानिकता पर सवाल उठाया था, इसमें सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अगर बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटे तो वे इस प्रक्रिया को रद्द कर देंगे। हालांकि मामले पर अब तक फाइनल फैसला नहीं आया है और अब चुनाव आयोग फाइनल वोटर लिस्ट जारी कर चुका है।
आज के अखबार
ADGP और ASI का ‘सुसाइड’ : दोनों का Final नोट, सिर पर गोली और कोई Eye विटनेस नहीं
नई दिल्ली |
हरियाणा पुलिस में ADGP वाई पूरन सिंह की मौत के मामले में DGP समेत आठ बड़े पुलिस अफसरों के ऊपर जातिगत प्रताड़ना के आरोपों में केस दर्ज हुआ है। इस मामले ने 14 अक्तूबर को नाटकीय मोड़ ले लिया क्योंकि एक ASI ने कथिततौर पर आत्महत्या कर ली और मरने से पहले रिकॉर्ड करके एक वीडियो पुलिस व्हाट्सऐप ग्रुप में डाला। इस वीडियो में ADGP वाई पूरन सिंह को करप्ट बताया गया और DGP को ईमानदार।
रोहतक पुलिस की साइबर सेल में तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर संदीप कुमार की अपने गांव में मृत मिलने की खबर मिली, जो ADGP वाई पूरन सिंह से जुड़े एक करप्शन केस की जांच में शामिल थे।
दोनों मौतों में समानता : Indian express
इंडियन एक्सप्रेस ने 15 अक्तूबर की कवरेज में ADGP और ASI की मौत के तरीकों में समानता पाई है। अखबार ने लिखा है कि दोनों की मौत सिर में गोली लगने से हुई, दोनों ही मामले में कोई Eye witness नहीं था। साथ ही, दोनों के ही कथित सुसाइड नोट के ऊपर अंग्रेजी में ‘Final Note’ लिखा हुआ है। जबकि ADGP ने सुसाइड नोट अंग्रेजी में टाइप किया था, ASI ने हाथ से हिन्दी में लिखा है।
ADGP के गनर की जांच में था शामिल
द हिन्दू के मुताबिक, ASI संदीप कुमार, उस टीम में शामिल था जिसने ADGP के गनर सुशील कुमार के ऊपर शराब व्यापारी से मनी एक्सटॉर्शन के आरोपों की जांच की थी। इस गनर की गिरफ्तारी के एक दिन बाद 7 अक्तूबर को ADGP पूरन की मौत हो गई थी, जिसे आत्महत्या बताया जा रहा है।
‘लोगों को जगाने के लिए सुसाइड’
टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि ASI ने मरने के पहले एक वीडियो बनाकर दावा किया कि “ADGP पूरन का सुसाइड जातिगत भेदभाव का नहीं था, उन्होंने परिवार के सामने शर्मिंदा होने से बचने के लिए आत्महत्या की।” साथ ही ASI के ‘फाइनल नोट’ में लिखा है कि “वह लोगों को जगाने के लिए भगत सिंह की तरह अपना बलिदान दे रहा है।”
शव के पास ही वीडियो और फाइनल नोट मिलने का दावा
अखबार ने ये बात भी हाईलाइट की है कि रोहतक पुलिस के मुताबिक एएसआई संदीप का शव उन्हें रोहतक के एक गांव में उसके मामा के ट्यूबवेल रूम में मिला, वही पर उसका वीडियो और एक ‘फाइनल नोट’ मिला।
बता देेें कि ASI के ये आरोप, ADGP वाई पूरन सिंह के ‘फाइनल नोट’ के आरोपों से एकदम उलट हैं। ADGP पूरन ने DGP, SP समेत 8 अफसरों पर उनके साथ जातिवादी भेदभाव करने के आरोप लगाए थे, हाल में FIR दर्ज करके हरियाणा सरकार ने DGP को छुट्टी पर भी भेज दिया है।
इस खबर को देश के सभी अखबारों ने पहले पन्ने पर छापा है।
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