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कफ सीरप से 11 बच्चों की मौत: केंद्र ने बैन लगाया, देरी पर सवाल

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कफ सीरप से मौत के मामले मध्यप्रदेश व राजस्थान में मिले हैं। (फोटो प्रतीकात्मक)
कफ सीरप से मौत के मामले मध्यप्रदेश व राजस्थान में मिले हैं। (फोटो प्रतीकात्मक)
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सीरप पर प्रतिबंध लगा दिया।

नई दिल्ली|

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में नौ बच्चों और राजस्थान में दो बच्चों की कफ सीरप से मौतों के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने इस दवा को छोटे बच्चों के लिए है।

आज स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सीरप के उपयोग पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है।

इससे पहले 1 अक्टूबर को छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत की पुष्टि कफ सीरप के चलते होने की पुष्टि हुई।

यह कदम तब उठाया गया जब जांच में सामने आया कि कुछ सीरप में जहरीले पदार्थ मौजूद थे, जिससे किडनी खराब होने की शिकायत हुई।

हालांकि, इस देरी पर सियासी घमासान शुरू हो गया है।

केंद्र का फैसला : दो साल से छोटे बच्चों को न दें कफ सीरप

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर 2025 को अधिसूचना जारी कर दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सीरप (जैसे क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट और फेनाइलीफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड) पर प्रतिबंध लगा दिया।

 

छिंदवाड़ा में नौ बच्चों की सीरप से मौत हुई थी

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में यह घटना परासिया ब्लॉक के इलाकों में हुई, जहां सर्दी, बुखार और जुकाम से पीड़ित छोटे बच्चों की हालत अचानक बिगड़ गई। पिछले एक महीने में कुल 6 से 9 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनकी उम्र 5 साल से कम थी। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 7 सितंबर को दर्ज की गई। बच्चे पहले सामान्य लग रहे थे, लेकिन कुछ दिनों बाद पेशाब बंद हो गया और किडनी फेलियर हो गया। कई बच्चों को छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के बावजूद वे बच नहीं सके।

न्यूज़18 के अनुसार, मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया कि सीरप में गड़बड़ी थी, लेकिन कांग्रेस के कमलनाथ ने उन्हें निशाना बनाया और कहा कि ‘अस्पताल यमदूतों का घर बन गया है।’

 

राजस्थान में कफ सीरप से दो बच्चों की मौत
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में कफ सीरप से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 2 बच्चों की मौत हुई, जिसमें भरतपुर और सीकर शामिल हैं।

सीकर में 5 साल के नितिश और भरतपुर में एक 2 साल के बच्चे की मौत 22 सितंबर और 30 सितंबर 2025 के बीच हुई। जांच में पाया गया कि इस्तेमाल किए गए कफ सीरप में संदिग्ध पदार्थ हो सकते हैं।

 

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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जनहित में जारी

Climate Change Study : Trump के फैसलों से दुनियाभर में 13 लाख मौतें संभव, भारत पर सबसे ज्यादा खतरा

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  • ट्रंप के जलवायु परिवर्तन को लेकर लिए गए फैसलों का वैश्विक असर अगले दस साल में दिखने लगेगा।
  • अमेरिका के फैसलों से 10 साल में अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसें निकलेंगी, उनसे धरती का तापमान बढ़ेगा।

नई दिल्ली |

अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर उनके फैसलों का दुनिया भर में भयानक असर पड़ने वाला है।

एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण आने वाले दशकों में दुनिया भर में अतिरिक्त 13 लाख लोगों की मौत हो सकती है।

प्रोपब्लिका (ProPublica) और द गार्जियन (The Guardian) के विश्लेषण के मुताबिक, इन मौतों का सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर नहीं, बल्कि भारत (India) और अफ्रीका के गरीब और गर्म देशों पर पड़ेगा।

 

2035 के बाद दिखेगा ‘खौफनाक’ मंजर

यह विश्लेषण स्वतंत्र शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए डेटा मॉडल पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप की नीतियों के कारण अगले एक दशक में जो अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gases) निकलेंगी, उनसे धरती का तापमान बढ़ेगा।

इसका नतीजा यह होगा कि 2035 के बाद के 80 सालों में गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या में भारी इजाफा होगा। यह आंकड़ा ‘कार्बन की मृत्यु दर लागत’ (Mortality Cost of Carbon) मीट्रिक पर आधारित है, जो नोबेल पुरस्कार विजेता विज्ञान से जुड़ा है।

 

भारत पर मंडरा रहा सबसे बड़ा खतरा

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन मौतों का खामियाजा उन देशों को भुगतना पड़ेगा, जिन्होंने जलवायु संकट पैदा करने में बहुत कम प्रदूषण फैलाया है।

डेटा के अनुसार, नाइजर (Niger) और सोमालिया (Somalia) जैसे देशों में प्रति व्यक्ति मृत्यु दर सबसे अधिक होने की आशंका है।

वहीं, संख्या के हिसाब से भारत (India) को सबसे बड़ी मार झेलनी पड़ सकती है। अनुमान है कि दुनिया भर में तापमान से होने वाली कुल मौतों में से 16% से 22% मौतें अकेले भारत में हो सकती हैं।

पाकिस्तान (Pakistan) में भी यह आंकड़ा 6% से 7% के बीच हो सकता है, जबकि अमेरिका में यह केवल 0% से 1% के बीच रहेगा।

 

ट्रंप ने पलटे कई पर्यावरणीय फैसलों का होगा असर

जो बाइडेन (Joe Biden) के कार्यकाल में अमेरिका ने उत्सर्जन कम करने के लिए कई बड़े कदम उठाए थे, लेकिन ट्रंप ने सत्ता में आते ही उन्हें पलट दिया। उन्होंने अपने पहले ही दिन अमेरिका को फिर से पेरिस समझौते (Paris Agreement) से बाहर करने का आदेश दिया और इसे ‘घोटाला’ बताया। इसके अलावा, उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) और ईधन के लिए मिलने वाली टैक्स छूट में कटौती कर दी है और कोयले व तेल के उत्पादन को बढ़ावा दिया है।

 

गर्मी से ऐसे जाती है जान

विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक गर्मी शरीर की ठंडा होने की क्षमता को खत्म कर देती है। पसीना आना बंद हो जाता है, जिससे ऑर्गन फेलियर (Organ Failure) और दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है।

लॉस एंजिल्स (Los Angeles) में रहने वाली मूल रूप से पाकिस्तान से संबंध रखने वाली जलवायु कार्यकर्ता आयशा सिद्दीका (Ayisha Siddiqa) ने कहा कि इससे “मेरे समुदाय के लोग मर जाएंगे।”

उन्होंने बताया कि गर्मी के कारण उनके पिता बेहोश हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर उत्सर्जन बढ़ाने वाले काम किए जाएंगे तो लोगों की जान जाएगी।

 

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Electoral Roll SIR Phase-2: फॉर्म कैसे भरें, कौन-से दस्तावेज़ चलेंगे? कुछ राज्यों में BLO की मौत से तनाव

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SIR की प्रक्रिया 4 दिसंबर तक चलेगी।
SIR की प्रक्रिया 4 दिसंबर तक चलेगी।
  • 4 नवंबर से शुरू हुई SIR फॉर्म भरने की प्रक्रिया 4 दिसंबर को पूरी हो जाएगी।

नई दिल्ली |

वोटर लिस्ट को पूरी तरह अपडेट करने का काम (SIR) तेज गति से देश के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों मे जारी है।

दूसरी ओर, SIR का काम कर रहे बूथ लेवल ऑफिसर की मौत व आत्महत्या के मामले सामने आने के बाद तनाव की स्थिति बन गई है। केरल में आज (17 नवंबर) को BLO ने कार्यबहिष्कार कर दिया है।

इस बीच चुनाव आयोग ने बताया है कि 16 नवंबर तक करीब 51 करोड़ मतदाताओं में से 49 करोड़ को BLO आंशिक रूप से भरे हुए फॉर्म दे चुके हैं। यानी कवरेज 97.52% हो चुका है। यह काम 4 नवंबर से शुरू हुआ था और 4 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।

 

क्या है SIR

बता दें कि SIR का उद्देश्य, मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट करना है। जिसमें मृत या डुप्लीकेट नाम हटाया जाएगा, पता बदलने वालों को सही जगह दर्ज किया जाएगा और नए मतदाताओं को भी जोड़ा जाएगा। SIR की कटऑफ ईयर हर राज्य में अलग है, अधिकांश राज्यों में आखिरी बार SIR 2 दशक पहले हुआ था।

 

कौन-कौन से राज्यों में चल रहा है SIR?

छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान–निकोबार और लक्षद्वीप।
इनमें से पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में 2026 में चुनाव होने हैं, इसलिए SIR बेहद महत्वपूर्ण है।


 

:: ऑनलाइन SIR फॉर्म कैसे भरें?

SIR फॉर्म ऑनलाइन वोटर सर्विसेज़ पोर्टल या राज्य के CEO पोर्टल पर भरा जा सकता है।

प्रक्रिया:
– EPIC नंबर या उससे जुड़े मोबाइल नंबर से लॉग-इन
– नाम और पता चेक
– नई जानकारी एडिट
– सफेद बैकग्राउंड में फोटो अपलोड
– फॉर्म सबमिट करने के बाद स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं

जिनके पास EPIC नहीं है, उनके लिए नया फॉर्म उपलब्ध है।

कौन-कौन से दस्तावेज स्वीकार किए जाएंगे?

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये दस्तावेज मान्य हैं—
* पहचान पत्र या पेंशन आदेश
• पासपोर्ट
• जन्म प्रमाणपत्र
• बोर्ड/यूनिवर्सिटी की डिग्री
• स्थायी पता प्रमाण पत्र
• जाति प्रमाण पत्र
• आधार कार्ड (सिर्फ ID के रूप में)
• परिवार रजिस्टर
• भूमि/भवन आवंटन का प्रमाण

‘आधार कार्ड सिर्फ पहचान पत्र’

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा—

“आधार नागरिकता या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है, सिर्फ पहचान के तौर पर इस्तेमाल होगा।”

 

:: SIR प्रक्रिया कैसे चलती है?

BLO घर–घर जाकर दो फॉर्म देता है

  • एक फॉर्म भरकर उसे वापस करना होता है।
  • दूसरा फॉर्म मतदाता के पास रखना होता है।
  • BLO नाम, उम्र, पता और EPIC नंबर की पुष्टि करता है।

तीन बार हर मतदाता से संपर्क करेगा

  • अगर मतदाता घर पर नहीं मिला, तो BLO दोबारा और फिर तीसरी बार फॉलोअप करता है।

डेटा मिलान किया जाता है

  • EPIC, आधार, पुराने SIR और वोटर लिस्ट में नाम एक जैसा होना चाहिए।
  • कहीं भी फर्क मिलने पर फॉर्म दोबारा भरना पड़ता है।

9 दिसंबर को आएगी ड्राफ्ट लिस्ट

  • 4 दिसंबर को SIR में फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 9 दिसंबर को ड्रॉफ्ट लिस्ट जारी होगी।

फाइनल सूची अगले वर्ष जारी होगी

  • नाम जोड़ने-हटाने और सुधार के बाद चुनाव आयोग नई मतदाता सूची प्रकाशित करता है।

 

पहले चरण में बड़ा संकट—कई राज्यों में BLO की मौत, विरोध-प्रदर्शन शुरू

SIR की तेज़ गति और अचानक बढ़ा काम का बोझ कई राज्यों में BLO के ऊपर भारी पड़ रहा है।

केरल — 1 BLO की आत्महत्या

कन्नूर में BLO अनीश जॉर्ज (44) ने फांसी लगाकर जान दी। परिवार का आरोप—“SIR के काम का दबाव था, लगातार देर रात तक काम करना पड़ रहा था।”

राजस्थान — 1 BLO की आत्महत्या

जयपुर में BLO मुकेश जांगिड़ (48) ने ट्रेन के आगे छलांग लगाई।
सुसाइड नोट में लिखा— “अधिकारी काम का प्रेशर डाल रहे हैं, सस्पेंड करने की धमकी दे रहे हैं।”

पश्चिम बंगाल — BLO अस्पताल में भर्ती

परिजनों ने कहा—“SIR का काम समय पर पूरा करने का दबाव है।”

कुल मिलाकर 5 राज्यों में गंभीर घटनाएँ सामने आईं।

 

केरल में BLO ने हड़ताल की, SIR आगे बढ़ाने की मांग
– केरल में आज (17 नवंबर) BLO ने राज्यभर में काम का बहिष्कार कर दिया। यहां निकाय चुनाव के चलते BLO पहले से दवाब में हैं और चाहते हैं कि SIR का काम आगे बढ़ दिया जाए। यहां के NGO एसोसिएशन ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला।

 

सुप्रीम कोर्ट ने SIR याचिकाओं पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा

तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में SIR के विरोध में दाखिल की गई याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले में चुनाव आयोग को 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।

इस सुनवाई में सर्वोच्च अदालत जांचेगी, कि—

  • क्या BLO पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है?
  • क्या SIR की समयसीमा व्यवहारिक है?
  • क्या आयोग को दिशानिर्देश बदलने चाहिए?

written by Mahak Arora (content writer)

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Study : 20 साल में दोगुना हुआ बच्चों में High Blood Pressure का खतरा, जानें क्यों बढ़ रहा और क्या करें परिवार?

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
  • 21 देशों के 4 लाख बच्चों के ऊपर हुए 96 अध्ययनों के मेटा डेटा के जरिए सामने आए चिंताजनक परिणाम।

नई दिल्ली |

हाई बीपी को हम अब तक बड़ी उम्र के लोगों की बीमारी मानते रहे हैं लेकिन पिछले 20 साल में यह बीमारी छोटे बच्चों और किशोरों को बुरी तरह जकड़ चुकी है।

एक नए वैज्ञानिक अध्ययन से पता लगा है कि पिछले दो दशक में दुनिया भर के बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं।

यह स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल “द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ” में प्रकाशित हुआ।

इसमें 21 देशों के 4 लाख बच्चों के ऊपर हुए 96 अध्ययनों के डेटा का विश्लेषण करके रिजल्ट प्रकाशित किए गए हैं।

स्टडी में पाया गया कि इतनी तेजी से बच्चों में उच्च रक्तचाप के मामले इसलिए बढ़े क्योंकि उनके जीवनशैली में बदलाव हुआ।
आउटडोर गेम न खेलने से उनकी शारीरिक गतिविधि घटीं और खाने पीने की आदतों के चलते मोटापा बढ़ा।

 

दुनिया में 11.4 करोड़ बच्चे हाई बीपी के गंभीर मरीज

मेटा स्टडी के मुताबिक, दुनिया में 114 मिलियन (11 करोड़ से ज्यादा) बच्चे 19 साल की उम्र पूरा करने से पहले ही High BP के गंभीर मरीज बन चुके हैं। अब उन्हें पूरे जीवन जानलेवा हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी और कई दूसरी कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

 

रिपोर्ट में बड़ा खुलासा – बच्चों का BP 3.2% से बढ़कर 6.2% हुआ

दुनिया के 21 देशों में किए गए 96 अध्ययनों और 4 लाख से ज़्यादा बच्चों के डेटा की समीक्षा में पाया गया कि:

1. 2000 में: 3.2% बच्चों में हाई BP था

2. 2020 में: यह बढ़कर 6.2% हो गया

यानी 20 साल में बच्चों का BP लगभग दोगुना।

2% बच्चे “Pre-Hypertension” में – यानी BP बढ़ने की शुरुआत

रिपोर्ट के अनुसार:

  • 8.2% बच्चे प्री-हाइपरटेंशन में हैं
  • किशोरों (Teenagers) में यह दर 11.8% तक पहुंच गई

यानी हर 12 में से 1 बच्चा BP बढ़ने की कगार पर है।

 


 

क्यों बढ़ रहा बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर?

सबसे बड़ा कारण — मोटापा + नमक

रिसर्च के अनुसार BP बढ़ने के तीन मुख्य कारण हैं:

1. Obesity (मोटापा) — सबसे बड़ा खतरा

  • मोटापे वाले लगभग 19% बच्चों में हाई BP पाया गया
  • जबकि सामान्य वजन वाले बच्चों में यह केवल 3% से भी कम है

 

2. ज्यादा नमक (High Salt Intake)

आज बच्चे जरूरत से कई गुना ज्यादा नमक खा रहे हैं। जैसे—

  •  चिप्स
  • पिज़्ज़ा
  •  नूडल्स
  • फ्रोज़न फूड
  •  पैकेट स्नैक्स
  • सॉस
  • प्रोसेस्ड मीट

हाई नमक सीधे BP बढ़ाता है।

3. कम शारीरिक गतिविधि + स्क्रीन टाइम

  • घंटों फोन, टैब, गेम्स
  • बाहर खेलने की कमी
  • स्कूल के बाद भी एक्टिविटी बहुत कम

 

डॉक्टर क्यों चिंतित हैं?

विशेषज्ञों का कहना है अगर आज ध्यान नहीं दिया तो बच्चा बड़े होकर गंभीर मरीज बन सकते हैं-

1. Childhood hypertension बचपन से लेकर बुढ़ापे तक खतरनाक बीमारियों का कारण बनता है, इससे आगे चलकर जोखिम बढ़ता है:

  • हार्ट अटैक
  • स्ट्रोक
  • किडनी फेलियर
  • डायबिटीज
  • मोटापा

 

क्या करें माता-पिता? आसान उपाय

1. बच्चों के खाने में नमक कम करें

  • प्रोसेस्ड फूड कम
  • घर का ताज़ा खाना ज़्यादा
  • स्वाद के लिए नींबू, हर्ब्स, मसाले इस्तेमाल करें

2. रोज़ एक घंटे की Physical Activity

  • खेल-कूद, साइकिलिंग, रनिंग आदि गतिविधियां करें।

3. स्क्रीन टाइम कम करें

  • मोबाइल/गेमिंग को लिमिट में रखें।

4. वजन कंट्रोल में रखें

  • संतुलित आहार + एक्टिव लाइफ स्टाइल

5. Regular BP Check-up

  • खासकर उन परिवारों में जहां माता-पिता को BP की समस्या है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम बच्चों के खान-पान और दिनचर्या पर ध्यान नहीं देंगे तो भविष्य में हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार करेंगे जिसे कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों से लड़ना पड़ेगा।


Edited by Mahak Arora

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