जनहित में जारी
शोध : देश के आयोडीन युक्त नमक और चीनी में माइक्रो प्लास्टिक
It was shocking to find alarming presence of #microplastics in all #salt & #Sugar samples we tested. On eve of #IndependenceDay2024, read Toxics Link latest study “Microplastics In Salt and Sugar” https://t.co/Tlj2vWeEeC @MoHFW_INDIA @ToxicsFree @moefcc #health #environment @WHO https://t.co/ZbiTjUHPps
— Toxics Link (@toxicslink) August 14, 2024
नई दिल्ली |
क्या आप नमक और चीनी के बिना अपने भोजन की कल्पना कर सकते हैं? ठीक इसी तरह क्या आप यह कल्पना भी कर पाएंगे कि भारतीय बाजारों में बिक रहे नमक व चीनी के अधिकांश ब्रांडों में प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण यानी माइक्रो प्लास्टिक मौजूद है? जी हां, ये बेहद चौंकाने वाले नतीजे एक वैज्ञानिक शोध से सामने आए हैं जिसके जरिए भारत में खाई जा रही चीनी और नमक की गुणवत्ता को परखा गया। इस जांच में पाया गया है कि ऐसा कोई मीठा-नमकीन खाद्य पदार्थ नहीं था जिसमें माइक्रो प्लास्टिक न पाई गई हो। माइक्रो प्लास्टिक से शरीर में कैंसर हो सकता है। यानी भोजन करते हुए हम अनजाने मेें कैंसर को दावत दे रहे हैं।
बाजार व ऑनलाइन बिकने वाली नमक व चीनी को जांचा
पर्यावरण अनुसंधान संगठन टाक्सिक्स लिंक ने 13 अगस्त को एक शोध रिपोर्ट जारी की जिसका शीर्षक ‘नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक’ है। इस अध्ययन में भारतीय बाजारों में बिकने वाले दस तरह के नमक और पांच तरह की चीनी का परीक्षण किया गया। टॉक्सिक्स लिंक ने इस स्टडी के लिए सफेद नमक, सेंधा नमक, समुद्री नमक और कच्चा नमक सहित आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली नमक की 10 किस्मों और चीनी के 5 तरह के नमूनों को ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदा। इनमें नमक के दो और चीनी के एक सैंपल को छोड़कर बाकी सभी ब्रांडेड थे। आर्गेनिक चीनी के सैंपल में इसकी मात्रा न्यूनतम पाई गई।
एक किलो नमक में प्लास्टिक के कण
– 6.71 से 89.15 टुकड़े माइक्रो प्लास्टिक के पाए गए नमक की अलग-अलग वैरायटी के नमूनों में।
– 89.15 टुकड़े माइक्रो प्लास्टिक के मिले, प्रति किलोग्राम आयोडीन युक्त नमक में जो सर्वाधिक है।
– 6.70 टुकड़े माइक्रो प्लास्टिक के मिले प्रति किलोग्राम ऑर्गेनिक रॉक सॉल्ट में, जो सबसे कम है।
एक किलो चीनी में प्लास्टिक के कण
चीनी के नमूनों में माइक्रो प्लास्टिक की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक पाई गई, जिसमें सबसे अधिक मात्रा गैर-ऑर्गेनिक चीनी में पाई गई। यानी शोध के परिणामों के हिसाब से ऑर्गेनिक चीनी तुलनात्मक रूप से सेहत के लिए सुरक्षित है।
नमक-चीनी के सभी नमूनों में क्या मिला
- नमूनों में फाइबर, रेशों, छर्रों, टुकड़ों, पतली झिल्ली सहित कई रूपों में मौजूद मिली माइक्रो प्लास्टिक।
- यह प्लास्टिक आठ रंगों की थी जो पारदर्शी, सफेद, नीला, लाल, काला, बैंगनी, हरा और पीला शामिल हैं।
- नमक-चीनी के नमूनों में पाई गई माइक्रो प्लास्टिक का आकार 0.1 मिमी से लेकर 5 मिमी तक था।
आयोडीन युक्त नमक में सबसे ज्यादा माइक्रो प्लास्टिक
अध्ययन के मुताबिक, आयोडीन युक्त पैक किए हुए नमक में सबसे ज्यादा माइक्रो प्लास्टिक की मात्रा पाई गई। यह माइक्रो प्लास्टिक नमक के नमूनों में बहुरंगी पतले रेशों और फिल्मों के रूप में मौजूद मिली।
हमारे अध्ययन में नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रो प्लास्टिक की अच्छी खासी मात्रा का पाया जाना सबसे चिंताजनक है। मानव स्वास्थ्य पर माइक्रो प्लास्टिक के प्रभावों के बारे में तत्काल और व्यापक अनुसंधान की जरूरत है। – सतीश सिन्हा, एसोसिएट निदेशक, टाक्सिक्स लिंक
क्यों हुआ शोध
शोधकर्ता संस्था के मुताबिक, इस शोध के जरिए वे माइक्रो प्लास्टिक पर मौजूदा वैज्ञानिक डाटाबेस को विस्तार देना चाहते थे ताकि प्लास्टिक पर वैश्विक संधि के जरिए इस मामले पर ज्यादा केंद्रित होकर हल निकाला जा सके।
जनहित में जारी
Climate Change Study : Trump के फैसलों से दुनियाभर में 13 लाख मौतें संभव, भारत पर सबसे ज्यादा खतरा
- ट्रंप के जलवायु परिवर्तन को लेकर लिए गए फैसलों का वैश्विक असर अगले दस साल में दिखने लगेगा।
- अमेरिका के फैसलों से 10 साल में अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसें निकलेंगी, उनसे धरती का तापमान बढ़ेगा।
नई दिल्ली |
अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर उनके फैसलों का दुनिया भर में भयानक असर पड़ने वाला है।
एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण आने वाले दशकों में दुनिया भर में अतिरिक्त 13 लाख लोगों की मौत हो सकती है।
प्रोपब्लिका (ProPublica) और द गार्जियन (The Guardian) के विश्लेषण के मुताबिक, इन मौतों का सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर नहीं, बल्कि भारत (India) और अफ्रीका के गरीब और गर्म देशों पर पड़ेगा।
2035 के बाद दिखेगा ‘खौफनाक’ मंजर
यह विश्लेषण स्वतंत्र शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए डेटा मॉडल पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप की नीतियों के कारण अगले एक दशक में जो अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gases) निकलेंगी, उनसे धरती का तापमान बढ़ेगा।
इसका नतीजा यह होगा कि 2035 के बाद के 80 सालों में गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या में भारी इजाफा होगा। यह आंकड़ा ‘कार्बन की मृत्यु दर लागत’ (Mortality Cost of Carbon) मीट्रिक पर आधारित है, जो नोबेल पुरस्कार विजेता विज्ञान से जुड़ा है।
भारत पर मंडरा रहा सबसे बड़ा खतरा
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन मौतों का खामियाजा उन देशों को भुगतना पड़ेगा, जिन्होंने जलवायु संकट पैदा करने में बहुत कम प्रदूषण फैलाया है।
डेटा के अनुसार, नाइजर (Niger) और सोमालिया (Somalia) जैसे देशों में प्रति व्यक्ति मृत्यु दर सबसे अधिक होने की आशंका है।
वहीं, संख्या के हिसाब से भारत (India) को सबसे बड़ी मार झेलनी पड़ सकती है। अनुमान है कि दुनिया भर में तापमान से होने वाली कुल मौतों में से 16% से 22% मौतें अकेले भारत में हो सकती हैं।
पाकिस्तान (Pakistan) में भी यह आंकड़ा 6% से 7% के बीच हो सकता है, जबकि अमेरिका में यह केवल 0% से 1% के बीच रहेगा।
ट्रंप ने पलटे कई पर्यावरणीय फैसलों का होगा असर
जो बाइडेन (Joe Biden) के कार्यकाल में अमेरिका ने उत्सर्जन कम करने के लिए कई बड़े कदम उठाए थे, लेकिन ट्रंप ने सत्ता में आते ही उन्हें पलट दिया। उन्होंने अपने पहले ही दिन अमेरिका को फिर से पेरिस समझौते (Paris Agreement) से बाहर करने का आदेश दिया और इसे ‘घोटाला’ बताया। इसके अलावा, उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) और ईधन के लिए मिलने वाली टैक्स छूट में कटौती कर दी है और कोयले व तेल के उत्पादन को बढ़ावा दिया है।
गर्मी से ऐसे जाती है जान
विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक गर्मी शरीर की ठंडा होने की क्षमता को खत्म कर देती है। पसीना आना बंद हो जाता है, जिससे ऑर्गन फेलियर (Organ Failure) और दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है।
लॉस एंजिल्स (Los Angeles) में रहने वाली मूल रूप से पाकिस्तान से संबंध रखने वाली जलवायु कार्यकर्ता आयशा सिद्दीका (Ayisha Siddiqa) ने कहा कि इससे “मेरे समुदाय के लोग मर जाएंगे।”
उन्होंने बताया कि गर्मी के कारण उनके पिता बेहोश हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर उत्सर्जन बढ़ाने वाले काम किए जाएंगे तो लोगों की जान जाएगी।
जनहित में जारी
Electoral Roll SIR Phase-2: फॉर्म कैसे भरें, कौन-से दस्तावेज़ चलेंगे? कुछ राज्यों में BLO की मौत से तनाव
- 4 नवंबर से शुरू हुई SIR फॉर्म भरने की प्रक्रिया 4 दिसंबर को पूरी हो जाएगी।
नई दिल्ली |
वोटर लिस्ट को पूरी तरह अपडेट करने का काम (SIR) तेज गति से देश के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों मे जारी है।
दूसरी ओर, SIR का काम कर रहे बूथ लेवल ऑफिसर की मौत व आत्महत्या के मामले सामने आने के बाद तनाव की स्थिति बन गई है। केरल में आज (17 नवंबर) को BLO ने कार्यबहिष्कार कर दिया है।
इस बीच चुनाव आयोग ने बताया है कि 16 नवंबर तक करीब 51 करोड़ मतदाताओं में से 49 करोड़ को BLO आंशिक रूप से भरे हुए फॉर्म दे चुके हैं। यानी कवरेज 97.52% हो चुका है। यह काम 4 नवंबर से शुरू हुआ था और 4 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
क्या है SIR
बता दें कि SIR का उद्देश्य, मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट करना है। जिसमें मृत या डुप्लीकेट नाम हटाया जाएगा, पता बदलने वालों को सही जगह दर्ज किया जाएगा और नए मतदाताओं को भी जोड़ा जाएगा। SIR की कटऑफ ईयर हर राज्य में अलग है, अधिकांश राज्यों में आखिरी बार SIR 2 दशक पहले हुआ था।
कौन-कौन से राज्यों में चल रहा है SIR?
छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान–निकोबार और लक्षद्वीप।
इनमें से पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में 2026 में चुनाव होने हैं, इसलिए SIR बेहद महत्वपूर्ण है।
:: ऑनलाइन SIR फॉर्म कैसे भरें?
SIR फॉर्म ऑनलाइन वोटर सर्विसेज़ पोर्टल या राज्य के CEO पोर्टल पर भरा जा सकता है।
प्रक्रिया:
– EPIC नंबर या उससे जुड़े मोबाइल नंबर से लॉग-इन
– नाम और पता चेक
– नई जानकारी एडिट
– सफेद बैकग्राउंड में फोटो अपलोड
– फॉर्म सबमिट करने के बाद स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं
जिनके पास EPIC नहीं है, उनके लिए नया फॉर्म उपलब्ध है।
कौन-कौन से दस्तावेज स्वीकार किए जाएंगे?
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये दस्तावेज मान्य हैं—
* पहचान पत्र या पेंशन आदेश
• पासपोर्ट
• जन्म प्रमाणपत्र
• बोर्ड/यूनिवर्सिटी की डिग्री
• स्थायी पता प्रमाण पत्र
• जाति प्रमाण पत्र
• आधार कार्ड (सिर्फ ID के रूप में)
• परिवार रजिस्टर
• भूमि/भवन आवंटन का प्रमाण
‘आधार कार्ड सिर्फ पहचान पत्र’
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा—
“आधार नागरिकता या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है, सिर्फ पहचान के तौर पर इस्तेमाल होगा।”
:: SIR प्रक्रिया कैसे चलती है?
BLO घर–घर जाकर दो फॉर्म देता है
- एक फॉर्म भरकर उसे वापस करना होता है।
- दूसरा फॉर्म मतदाता के पास रखना होता है।
- BLO नाम, उम्र, पता और EPIC नंबर की पुष्टि करता है।
तीन बार हर मतदाता से संपर्क करेगा
- अगर मतदाता घर पर नहीं मिला, तो BLO दोबारा और फिर तीसरी बार फॉलोअप करता है।
डेटा मिलान किया जाता है
- EPIC, आधार, पुराने SIR और वोटर लिस्ट में नाम एक जैसा होना चाहिए।
- कहीं भी फर्क मिलने पर फॉर्म दोबारा भरना पड़ता है।
9 दिसंबर को आएगी ड्राफ्ट लिस्ट
- 4 दिसंबर को SIR में फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 9 दिसंबर को ड्रॉफ्ट लिस्ट जारी होगी।
फाइनल सूची अगले वर्ष जारी होगी
- नाम जोड़ने-हटाने और सुधार के बाद चुनाव आयोग नई मतदाता सूची प्रकाशित करता है।
पहले चरण में बड़ा संकट—कई राज्यों में BLO की मौत, विरोध-प्रदर्शन शुरू
SIR की तेज़ गति और अचानक बढ़ा काम का बोझ कई राज्यों में BLO के ऊपर भारी पड़ रहा है।
केरल — 1 BLO की आत्महत्या
कन्नूर में BLO अनीश जॉर्ज (44) ने फांसी लगाकर जान दी। परिवार का आरोप—“SIR के काम का दबाव था, लगातार देर रात तक काम करना पड़ रहा था।”
राजस्थान — 1 BLO की आत्महत्या
जयपुर में BLO मुकेश जांगिड़ (48) ने ट्रेन के आगे छलांग लगाई।
सुसाइड नोट में लिखा— “अधिकारी काम का प्रेशर डाल रहे हैं, सस्पेंड करने की धमकी दे रहे हैं।”
पश्चिम बंगाल — BLO अस्पताल में भर्ती
परिजनों ने कहा—“SIR का काम समय पर पूरा करने का दबाव है।”
कुल मिलाकर 5 राज्यों में गंभीर घटनाएँ सामने आईं।
केरल में BLO ने हड़ताल की, SIR आगे बढ़ाने की मांग
– केरल में आज (17 नवंबर) BLO ने राज्यभर में काम का बहिष्कार कर दिया। यहां निकाय चुनाव के चलते BLO पहले से दवाब में हैं और चाहते हैं कि SIR का काम आगे बढ़ दिया जाए। यहां के NGO एसोसिएशन ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला।
सुप्रीम कोर्ट ने SIR याचिकाओं पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा
तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में SIR के विरोध में दाखिल की गई याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले में चुनाव आयोग को 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
इस सुनवाई में सर्वोच्च अदालत जांचेगी, कि—
- क्या BLO पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है?
- क्या SIR की समयसीमा व्यवहारिक है?
- क्या आयोग को दिशानिर्देश बदलने चाहिए?
written by Mahak Arora (content writer)
जनहित में जारी
Study : 20 साल में दोगुना हुआ बच्चों में High Blood Pressure का खतरा, जानें क्यों बढ़ रहा और क्या करें परिवार?
- 21 देशों के 4 लाख बच्चों के ऊपर हुए 96 अध्ययनों के मेटा डेटा के जरिए सामने आए चिंताजनक परिणाम।
नई दिल्ली |
हाई बीपी को हम अब तक बड़ी उम्र के लोगों की बीमारी मानते रहे हैं लेकिन पिछले 20 साल में यह बीमारी छोटे बच्चों और किशोरों को बुरी तरह जकड़ चुकी है।
एक नए वैज्ञानिक अध्ययन से पता लगा है कि पिछले दो दशक में दुनिया भर के बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं।
यह स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल “द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ” में प्रकाशित हुआ।
इसमें 21 देशों के 4 लाख बच्चों के ऊपर हुए 96 अध्ययनों के डेटा का विश्लेषण करके रिजल्ट प्रकाशित किए गए हैं।
मेटा स्टडी के मुताबिक, दुनिया में 114 मिलियन (11 करोड़ से ज्यादा) बच्चे 19 साल की उम्र पूरा करने से पहले ही High BP के गंभीर मरीज बन चुके हैं। अब उन्हें पूरे जीवन जानलेवा हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी और कई दूसरी कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में बड़ा खुलासा – बच्चों का BP 3.2% से बढ़कर 6.2% हुआ
दुनिया के 21 देशों में किए गए 96 अध्ययनों और 4 लाख से ज़्यादा बच्चों के डेटा की समीक्षा में पाया गया कि:
1. 2000 में: 3.2% बच्चों में हाई BP था
2. 2020 में: यह बढ़कर 6.2% हो गया
यानी 20 साल में बच्चों का BP लगभग दोगुना।
2% बच्चे “Pre-Hypertension” में – यानी BP बढ़ने की शुरुआत
रिपोर्ट के अनुसार:
- 8.2% बच्चे प्री-हाइपरटेंशन में हैं
- किशोरों (Teenagers) में यह दर 11.8% तक पहुंच गई
यानी हर 12 में से 1 बच्चा BP बढ़ने की कगार पर है।
क्यों बढ़ रहा बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर?
सबसे बड़ा कारण — मोटापा + नमक
रिसर्च के अनुसार BP बढ़ने के तीन मुख्य कारण हैं:
1. Obesity (मोटापा) — सबसे बड़ा खतरा
- मोटापे वाले लगभग 19% बच्चों में हाई BP पाया गया
- जबकि सामान्य वजन वाले बच्चों में यह केवल 3% से भी कम है
2. ज्यादा नमक (High Salt Intake)
आज बच्चे जरूरत से कई गुना ज्यादा नमक खा रहे हैं। जैसे—
- चिप्स
- पिज़्ज़ा
- नूडल्स
- फ्रोज़न फूड
- पैकेट स्नैक्स
- सॉस
- प्रोसेस्ड मीट
हाई नमक सीधे BP बढ़ाता है।
3. कम शारीरिक गतिविधि + स्क्रीन टाइम
- घंटों फोन, टैब, गेम्स
- बाहर खेलने की कमी
- स्कूल के बाद भी एक्टिविटी बहुत कम
डॉक्टर क्यों चिंतित हैं?
विशेषज्ञों का कहना है अगर आज ध्यान नहीं दिया तो बच्चा बड़े होकर गंभीर मरीज बन सकते हैं-
1. Childhood hypertension बचपन से लेकर बुढ़ापे तक खतरनाक बीमारियों का कारण बनता है, इससे आगे चलकर जोखिम बढ़ता है:
- हार्ट अटैक
- स्ट्रोक
- किडनी फेलियर
- डायबिटीज
- मोटापा
क्या करें माता-पिता? आसान उपाय
1. बच्चों के खाने में नमक कम करें
- प्रोसेस्ड फूड कम
- घर का ताज़ा खाना ज़्यादा
- स्वाद के लिए नींबू, हर्ब्स, मसाले इस्तेमाल करें
2. रोज़ एक घंटे की Physical Activity
- खेल-कूद, साइकिलिंग, रनिंग आदि गतिविधियां करें।
3. स्क्रीन टाइम कम करें
- मोबाइल/गेमिंग को लिमिट में रखें।
4. वजन कंट्रोल में रखें
- संतुलित आहार + एक्टिव लाइफ स्टाइल
5. Regular BP Check-up
- खासकर उन परिवारों में जहां माता-पिता को BP की समस्या है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम बच्चों के खान-पान और दिनचर्या पर ध्यान नहीं देंगे तो भविष्य में हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार करेंगे जिसे कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों से लड़ना पड़ेगा।
Edited by Mahak Arora
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