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आज के अखबार

आज के अख़बार : वक्फ के बदलावों पर एक सप्ताह की रोक

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‘सुप्रीम संकेत’ के बीच वक्फ के बदलावों पर रोक

मुस्लिम समुदाय के लोगों की धार्मिक कार्यों के लिए दान की गई जमीनों के रखरखाव के नए वक्फ क़ानून को एक सप्ताह के लिए रोक दिया गया है। तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों व मुस्लिम समुदाय के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने नए क़ानून को संसद में तो पास करा लिया था पर सुप्रीम कोर्ट में एक दिन की सुनवाई के बाद ही उसे पीछे हटना पड़ा है। इस मामले में पहली सुनवाई बुधवार को हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दे दिए थे कि वे इस क़ानून के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा सकते हैं, सामान्यता: वे ऐसा नहीं करते हैं पर इस मामले में उन्हें ऐसा करना होगा। कोर्ट ने बुधवार को याचिकाओं पर केंद्र सरकार को गुरुवार तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। पर सरकार ने गुरुवार को जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगले एक सप्ताह तक इस मामले में यथास्थिति बनाई रखी जाएगी। यानी केंद्रीय वक्फ काउंसिल, बोर्ड व वक्फ की जमीनों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेकर एक सप्ताह की रोक का आदेश पारित किया है। इस मामले की अगली सुनवाई पाँच मई को होगी।

ख़ुद को सुपर संसद न समझे सुप्रीम कोर्ट : उपराष्ट्रपति धनखड़ 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह पर ऐतराज़ जताया, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा तय करने की बात कही गई थी। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने स्पष्ट किया कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अदालत को जो विशेष अधिकार मिला है, वो अब लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ 24×7 तैयार रहने वाली न्यूक्लियर मिसाइल की तरह बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जज अब ‘सुपर पार्लियामेंट’ की तरह व्यवहार कर रहे हैं। इस बयान को आज सभी अखबारों ने प्राथमिकता से पहले पन्ने पर लिया गया है।

पश्चिम बंगाल के 25 हज़ार बर्खास्त शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट की राहत 

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 25 हज़ार से अधिक बर्खास्त शिक्षकों को यह करते हुए राहत दी है कि भर्ती घोटाले में जिन शिक्षकों का नाम न आया हो, वे नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक पढ़ाना जारी रख सकते हैं। कोर्ट ने कहा- हम नहीं चाहते कि बच्चों की पढ़ाई कोर्ट के फैसले से बाधित हो। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) को 31 मई तक भर्ती प्रक्रिया का नोटिफिकेशन जारी करना होगा। 31 दिसंबर तक चयन प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। बंगाल सरकार और SSC को 31 मई तक भर्ती का विज्ञापन जारी कर उसका पूरा शेड्यूल कोर्ट को सौंपना होगा। अगर तय समय में प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो कोर्ट उचित कार्रवाई और जुर्माना लगाएगा। इस फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुशी जतायी है। इस ख़बर को आज हिन्दी व अंग्रेजी के अखबारों ने पहले पन्ने पर लगाया है।

पाक सेना प्रमुख बोले- ‘कश्मीर हमारी जीवन रेखा’, भारत ने कहा- अवैध कब्जा हटाओ

पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने पाकिस्तानी ओवरसीज सिटिज़न के वार्षिक कार्यक्रम में बोलते हुए दो ऐसे बयान दिए जिन्हें सभी अखबारों ने प्राथमिकता से लिया है। मुनीर ने कहा कि हिन्दू व मुस्लिमों की संस्कृति, विचार, आस्था, रीतिरिवाज व महत्वाकांझाएं अलग-अलग हैं और यही हमारे अलग देश बनने का आधार बना। उन्होंने विदेश में रह रहे पाकिस्तानियों से गुज़ारिश की कि पाकिस्तान बनने की इस कहानी (द्विराष्ट्रीय नीति) को वे अपने बच्चों को ज़रूर सुनाएं। साथ ही, कश्मीर पर उन्होंने कहा कि ‘ये हमारी जुगुलर वेन्स (जीवन रेखा) हैं, यह हमारी जीवन रेखा बनी रहेगी और हम इसे कभी नहीं भूलेंगे।’ बता दें कि इंसानी गर्दन में जुगुलर नसें वे वाहिकाएं हैं जो आपके मस्तिष्क से खून को वापस हृदय में पहुंचाती हैं। इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख का यह अब तक का सबसे कड़ा बयान है, जिस पर विदेशी मामलों के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ‘कोई विदेशी ज़मीन किसी के लिए कैसे जुगुलर वेन हो सकती है? पाकिस्तान का कश्मीर से सिर्फ यह रिश्ता है कि वह इस भारतीय क्षेत्र को (POK) अवैध अतिक्रमण को जल्द से जल्द खाली करे।’

जेएनयू के प्रो. स्वर्ण सिंह को यौन उत्पीड़न के लिए किया निलंबित

इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर ख़बर दी है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वरिष्ठ प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को जापानी दूतावास की एक अधिकारी से जुड़े यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर निलंबित कर दिया गया है। जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एक साल पहले रिटायर हुए प्रो. स्वर्ण सिंह को यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की एक साल चली जाँच के आधार पर निष्कासित किया गया है। अख़बार ने लिखा है कि जापानी दूतावास की एक अधिकारी ने आईसीसी को शिकायत दी थी कि जब वे कॉन्फ़्रेंस आयोजन के लिए इस प्रोफेसर के लगातार संपर्क में थीं, तब उनसे यौन उत्पीड़न हुआ था। इस मामले की एक रिकॉर्डिंग भी उन्होंने समिति को सौंपी थी।

आज के अखबार

दो अरब लोग गंदा पानी पीने को मजबूर

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साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
द हिन्दू ने 25 जून के संस्करण में लेख के ज़रिए बताया कि दुनिया में दो अरब लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं। यानी जो पानी वे पी रहे हैं, उसमें तमाम तरह के रोग होने की संभावना है। साथ ही, दुनिया के 3.6 अरब लोगों को सुरक्षित स्वच्छता सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। अख़बार ने संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। जिसमें भारत सहित कई देशों में जल संकट की गंभीरता को उजागर किया है।
शहरीकरण से जलसंकट गहराया 
लेख के मुताबिक़, सुरक्षित जल का संकट दुनिया में जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण और गहरा रहा है। भारत में, गंगा और यमुना जैसी नदियों में प्रदूषण और अपर्याप्त सीवेज उपचार इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2022 के आंकड़े बताते हैं कि विश्व भर में 10 लाख लोग दूषित पानी और अपर्याप्त स्वच्छता के कारण होने वाली बीमारियों से मर रहे हैं।
द हिन्दू, 25 जून

द हिन्दू, 25 जून

67.8 करोड़ भारतीय गंदगी में जी रहे 
लेख में बताया गया कि भारत में 3.5 करोड़ लोग सुरक्षित पेयजल और 67.8 करोड़ लोग स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं। जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 230 जिलों में भूजल में आर्सेनिक और 469 जिलों में फ्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है। WHO के मुताबिक़, भारत में 80% स्वास्थ्य समस्याएं जलजनित रोगों से जुड़ी हैं।
भारत में 40% शहरी पानी रिसकर बर्बाद 
भारत सरकार की जल जीवन मिशन जैसी पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में 49% घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाया है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में 40% पानी रिसाव के कारण बर्बाद हो रहा है। विश्व बैंक और यूनिसेफ जैसी संस्थाएं जल प्रबंधन में सहयोग कर रही हैं। लेख में सुझाव दिया गया कि पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने, रिसाव कम करने, और स्थानीय जल स्रोतों को पुनर्जनन करने की आवश्यकता है।

आंकड़ों की नज़र से :

  • 2 अरब: विश्व भर में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 3.6 अरब: सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 3.5 करोड़: भारत में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 67.8 करोड़: भारत में स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 230 जिले: भारत में भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी।
  • 469 जिले: भारत में भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी।
  • 80 प्रतिशत: भारत में जलजनित रोगों से स्वास्थ्य समस्याएं।
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केरल : ‘भारत माता’ की तस्वीर पर विवाद क्यों

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भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
केरल के राजभवन में ‘भारत माता’ की तस्वीर के प्रदर्शन को लेकर राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच विवाद गहरा गया है। द हिन्दू ने इस विवाद के बहाने भारत माता की अवधारणा पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि अखंड भारत के मानचित्र के सामने भगवा साड़ी में खड़ी एक स्त्री की इस तस्वीर की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। लेख में केरल के राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच के विवाद को अनावश्यक बताया है।
बता दें कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर के सामने फूल अर्पित करके दीप जलाने के साथ सरकारी कार्यक्रमों की शुरूआत किए जाने के विरोध से मामला शुरू हुआ। सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने इस चित्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबंधित मानते हुए ऐसे कार्यक्रमों में न शामिल होने की घोषणा की है।   
द हिन्दू, 26 जून

द हिन्दू, 26 जून

भारत माता के चित्र का कोई संवैधानिक आधार नहीं
द हिन्दू में 26 जून 2025 को प्रकाशित लेख “A Lofty Concept, a Governor and Unwanted Controversy” में इस विवाद को अनावश्यक और भारत माता के चित्र को उच्च अवधारणा बताया गया है। इस लेख को लिखने वाले पी.डी.टी. अचारी लोकसभा के पूर्व महासचिव रहे हैं और वे संवैधानिक व संसदीय मामलों के विशेषज्ञ हैं। अचारी ने लिखा है कि केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राजभवन में सरकारी आयोजनों में एक विशेष चित्र—जो भगवा साड़ी में एक महिला, हाथ में भाला, पीछे शेर और अखंड भारत के नक्शे को दर्शाता है—को प्रदर्शित करने और सम्मान करने की प्रथा शुरू की। लेख के अनुसार, भारत माता का यह चित्र संविधान या कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, न ही यह राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गान या प्रतीक की तरह आधिकारिक है। इसलिए, इसे सरकारी आयोजनों में शामिल करना अनुचित है।
केरल राज्य प्रतीक

केरल राज्य प्रतीक

‘राज्यपाल की ज़िद ने तनाव बढ़ाया’
लेखक ने कहा है कि राज्यपाल को राज्य सरकार की सलाह पर ही काम करना चाहिए। संविधान सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बयान का हवाला देते हुए लेखक बताता है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह माननी चाहिए, लेकिन उनकी जिद ने सरकार के साथ तनाव बढ़ाया। इस विवाद ने CPI(M) और BJP कार्यकर्ताओं के बीच सड़कों पर टकराव को जन्म दिया। लेख सुझाव देता है कि संवैधानिक प्रोटोकॉल का पालन कर ऐसे टकरावों से बचा जा सकता है।
भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता की जयकार और तस्वीर में फर्क
लेख में भारत माता के ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख है, जो बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की “आनंदमठ” में बंगा माता के रूप में शुरू हुआ और बाद में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में “भारत माता की जय” के नारे के रूप में लोकप्रिय हुआ। यह चित्र 19वीं सदी के राष्ट्रवाद को जोड़ता था।  हालांकि, लेख में यह भी कहा गया है कि भारत माता का यह चित्र आधुनिक भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ है। 
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अमेरिकी अखबारों ने ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए

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सांकेतिक तस्वीर
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
22 जून 2025 को ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल, और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख अमेरिकी अखबारों के मुताबिक, इन हमलों से सीमित नुकसान हुआ, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें “बेहद सफल” करार दिया। इन अखबारों ने तथ्यों और सरकारी दावों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से उजागर किया, खासकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर ट्रंप के दावों पर सवाल उठाए।
भारतीय हिंदी अखबारों की सरकारी रुख वाली कवरेज के उलट, अमेरिकी पत्रकारिता ने तथ्य-आधारित विश्लेषण को प्राथमिकता दी, भले ही उनका नेतृत्व अप्रत्याशित और दृढ़ स्वभाव का हो। यह कवरेज मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और वैश्विक कूटनीति पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित करती है। बता दें कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले किए जिनका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। इसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया था।
B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया : न्यूयॉर्क टाइम्स 
 न्यूयॉर्क टाइम्स ने 23 जून को इस शीर्षक से पहले पन्ने पर ख़बर लगाई – U.S. Claims Severe Damage, Warns Iran Not to Strike Back । खबर में हमले के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। लिखा है कि इन हमलों में सात बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और एक पनडुब्बी से 75 सटीक हथियारों का उपयोग किया गया, जिनमें 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम शामिल थे। साथ ही बताया है कि ईरान ने भी जवाब में इजरायल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें 10 लोग घायल हुए।
अखबार ने लिखा कि ट्रंप दावा कर रहे हैं कि ये हमले बेहद सफल रहे और ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को “गंभीर नुकसान” पहुंचा है। साथ ही ट्रंप ने ईरान को जवाबी हमले न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने प्रतिशोध लिया तो और बड़े हमले होंगे। हालांकि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को “अवैध” बताया और कहा कि ईरान इसके जवाब दे। खबर में यह भी लिखा है कि इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है और अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमले की आशंका है, जिसके लिए पेंटागन हाई अलर्ट पर है। यह स्थिति मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की संभावना पैदा करती है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

ईरान को व्यापक नुक़सान नहीं हुआ : वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पहले पन्ने पर लिखा कि ईरान के तीन परमाणु ठिकानों हमले करने के बाद हमलों के नुक़सान का आकलन अमेरिका कर रहा है। इस ख़बर का शीर्षक भी यही है – U.S. Weighs Strikes’ Damage in Iran. । अख़बार ने लिखा है कि अमेरिकी हमले जिसका नाम “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” है, का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि हमले “अत्यंत सफल” रहे और सुविधाओं को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया, लेकिन प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नुकसान उतना व्यापक नहीं हो सकता। IAEA के प्रमुख ने कहा कि फोर्डो में “बहुत महत्वपूर्ण नुकसान” हुआ, लेकिन सुविधा पूरी तरह नष्ट नहीं हुई।
वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

हमले के नुक़सान का आकलन कर रही सरकार : द वॉशिंगटन पोस्ट
वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरह ही वॉशिंगटन पोस्ट ने भी लिखा है कि इस हमले के नुक़सान का आकलन करने में सरकारी अधिकारी लगे हुए हैं। सरकार के मुताबिक़, इस हमले का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ऐसे में रक्षा अधिकारियों को अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त किया या केवल उसे कुछ समय के लिए पीछे धकेला। खबर में वैश्विक नेताओं के मिश्रित प्रतिक्रियाओं का भी जिक्र है, जहां कुछ ने संयम बरतने की अपील की, तो कुछ ने हमलों का समर्थन किया।
वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

 

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