आज के अखबार
जोड़तोड़ के लिए अदाणी, शाह और शरद पवार के बीच हुई थी बैठक, अखबारों से खबर गायब
- गौतम अदाणी और भाजपा के बीच संबंधों का दावा करती सनसनीखेज खबर बड़े अखबारों से गायब
- टाइम्स ऑफ इंडिया व द इंडियन एक्सप्रेस ने छापा अजीत पवार का दावा- अदाणी के घर हुई थी बैठक
आज के अखबार (13 नवंबर, 2024), नई दिल्ली |
‘पांच साल पहले महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनाने को लेकर जो बैठक हुई थी, उसमें बड़े नेताओं के साथ उद्योगपति गौतम अदाणी भी मौजूद थे।’ … 13 नवंबर के राष्ट्रीय अखबारों के लिए यह सबसे बड़ी खबर है क्योंकि ये दावा महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले किया गया। हालांकि पत्रकारिता की स्थिति ऐसी है कि अधिकांश बड़े अखबारों ने इसे छापा ही नहीं। इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर विस्तार से इस पर लिखा है। अखबार के मुताबिक, डिजिटल वेबसाइट ‘द न्यूज मिनट’ को दिए एक साक्षात्कार में अजीत पवार ने ऐसा दावा किया।
दरअसल अजीत पवार ने कहा कि ‘2019 में वे जब महाविकास अघाड़ी की सरकार से अचानक बाहर आकर निकलकर बीजेपी से मिल गए थे और सरकार बना ली थी तो इस बात की पूरी जानकारी शरद पवार को थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो किया वो अपने नेता के कहने पर किया।’ अखबार के मुताबिक, साक्षात्कार के दौरान एक सवाल के जवाब में अजीत बताते हैं कि 2019 में एक मीटिंग हुई, वे कहते हैं कि ‘सब जानते हैं कि वो मीटिंग कहा हुई और उसमें सभी थे। मैं आपको दोबारा बताती हूं कि अमित शाह उसमें थे, गौतम अदाणी थे, देवेंद्र फणनवीस थे, अजीत पवार और पवार साहेब (शरद पवार) उसमें मौजूद थे।’
अदाणी के घर पर हुई थी बैठक
अंग्रेजी के एक अन्य प्रमुख दैनिक ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने भी इस खबर को पहले पन्ने पर प्राथमिकता देते हुए तीन कॉलम का छापा है। साथ ही अंदर के पेज पर बड़ी कवरेज की है, जिसमें बयान के हवाले से बताया गया है कि ‘यह बैठक दिल्ली में हुई और सरकार बनाने को लेकर ऐसी पांच बैठके हुई थीं।’
अदाणी पर मुखर रहने वाली कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चुप :
एक्सप्रेस के मुताबिक, अजीत पवार के दावे के बाद न सिर्फ भाजपा सख्ते में आ गई है, बल्कि शरद पवार की एनसीपी और उसके सहयोगी दल कांग्रेस ने भी चुप्पी साध ली है। अखबार ने इस मामले पर कांग्रेस के प्रवक्ता से संपर्क साधा पर उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया। न ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व खड़गे या राहुल गांधी का इस पर कोई बयान आया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने हालांकि महाराष्ट्र कांग्रेस की अध्यक्ष व सांसद वर्षा गायकवाड़ की प्रतिक्रिया छापी है कि ‘भाजपा को लाकर धरावी की जमीन अदाणी को देने के लिए महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार को अस्थिर किया गया।’
शरद पवार की बेटी बोलीं- बैठक की जानकारी नहीं
एक्सप्रेस के मुताबिक, हालांकि एनसीपी प्रमुख व शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने ऐसी किसी बैठक की जानकारी न होने की बात कही है। इस पूरे मामले पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने मुखर होकर सवाल उठाया है कि बीजेपी बताए कि क्या गौतम अड़ानी उनकी पार्टी के आधिकारिक प्रतिनिधि हैं जो सरकार बनाने से जुड़ी बैठक में मौजूद थे?
अदाणी और बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं
गौतम अदाणी के साथ संबंध रखने का आरोप झेलती आ रही भाजपा की ओर से ताजा आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया का कहना है कि अदाणी समूह ने उनके प्रश्नों का जवाब नहीं दिया। हालांकि टाइम्स ने लिखा है कि भले बीजेपी ने प्रतिक्रिया नहीं दी हो पर देवेंद्र फड़नबीस पूर्व में कह चुके हैं कि 2017 से 2019 के बीच कई चरणों में शरद पवार के साथ बैठकें चली थीं।
हिन्दी व अंग्रेजी के बड़े अखबारों से खबर गायब
हैरानी की बात है कि प्रतिष्ठित अखबार द हिन्दू ने अपने बुधवार के संस्करण में इस पर कवरेज नहीं की है। इसी तरह द हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार, द टेलीग्राफ से भी ये खबर नदारद है। बात हिन्दी अखबारों की करें तो अपनी पत्रकारिता के लिए नाम बना रहे ‘दैनिक भास्कर’ ने इसे पहले पन्ने पर इस हेडिंग से लिया है – ‘भाजपा के साथ समझौते की बैठक में पवार और अदाणी भी थे : अजीत पवार’ । हालांकि सबसे ज्यादा सर्कुलेशन वाले दैनिक जागरण, अमर उजाला व दैनिक हिन्दुस्तान ने ये खबर ही नहीं छापी। इंडियन एक्सप्रेस कंपनी के हिन्दी अखबार ‘जनसत्ता’ में भी ये खबर नहीं है।
आज के अखबार
SIR का असर : गोवा में जिला परिषद चुनाव टले, ‘दोहरे बोझ’ से परेशान केरल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
- देशभर के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया 4 तक जारी है।
- SIR के चलते गोवा में प्रस्तावित निकाय चुनाव को एक सप्ताह आगे बढ़ाया गया है।
नई दिल्ली |
देश में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया यानी एसआईआर (SIR) का असर अब स्थानीय चुनावों पर पड़ने लगा है। गोवा (Goa) में एसआईआर के चलते जिला परिषद चुनावों को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।
SIR के चलते चुनाव टाले जाने का यह पहला ज्ञात मामला है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने गोवा समेत देशभर के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया (4 nov-4 dec) शुरू की है। घोषणा के वक्त आयोग ने कहा था कि वे राज्य ही इस प्रक्रिया के लिए चुने गए हैं जहां तुरंत चुनाव नहीं होने हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में कोई दखल न आए।
पर अब गोवा में निकाय चुनाव टाले जाने का मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग की योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दूसरी ओर, केरल (Kerala) सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों के बीच एसआईआर प्रक्रिया को रोकने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। दोनों राज्यों का तर्क है कि चुनाव और एसआईआर एक साथ कराने से प्रशासनिक मशीनरी पर भारी दबाव पड़ रहा है।
गोवा: 13 की जगह अब 20 दिसंबर को होगा मतदान
गोवा में पहले जिला परिषद के चुनाव 13 दिसंबर 2025 को होने थे, लेकिन अब इन्हें एक हफ्ते आगे बढ़ाकर 20 दिसंबर 2025 कर दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पंचायती राज विभाग ने आधिकारिक राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अखबार ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यह फैसला “प्रशासनिक कारणों” से लिया गया है।
अधिकारी के मुताबिक, चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कई वरिष्ठ कर्मचारी पहले से ही एसआईआर प्रक्रिया में व्यस्त हैं। नए कर्मचारियों को अभी चुनाव कराने के लिए कड़ा प्रशिक्षण देने की जरूरत है, इसलिए पंचायत निदेशालय ने सरकार से चुनाव टालने का प्रस्ताव दिया था। गोवा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय गोयल (Sanjay Goel) ने भी पहले सरकार से अनुरोध किया था कि एसआईआर पूरा होने तक चुनाव टाल दिए जाएं, क्योंकि एक ही अधिकारी दो जिम्मेदारियां नहीं संभाल सकता।
केरल: सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार, ‘प्रशासनिक संकट’ का हवाला
उधर, केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एसआईआर को चुनौती दी है। राज्य सरकार की मांग है कि जब तक स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (LSGI) की चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक एसआईआर को रोका जाए।
केरल सरकार का तर्क है कि राज्य में 9 और 11 दिसंबर को निकाय चुनाव होने हैं, जिसके लिए 1,76,000 कर्मचारियों और 68 हजार सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। वहीं, एसआईआर के लिए अतिरिक्त 25,668 कर्मचारी चाहिए। सरकार का कहना है कि एक साथ दोनों प्रक्रियाएं चलाने से गंभीर प्रशासनिक जटिलताएं पैदा होंगी और रोजमर्रा का कामकाज ठप हो जाएगा।
चुनाव आयोग ने नहीं दिया जवाब
केरल के मुख्य सचिव ने 5 नवंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एसआईआर टालने की मांग की थी, लेकिन आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने भी इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रतन खेलकर ने बताया कि राज्य में एसआईआर प्रक्रिया तेजी से चल रही है और 96 प्रतिशत गणना पत्र बांटे जा चुके हैं।
Edited by Mahak Arora (Content Writer)
आज के अखबार
10 साल पहले बीफ के शक में पीट-पीटकर मार दिए गए अखलाक का केस वापस लेगी यूपी सरकार
नई दिल्ली |
यूपी के गौतमबुद्ध जिले में दस साल पहले एक मुस्लिम व्यक्ति अखलाक की लिंचिंग गोमांस खाने की अफवाह में कर दी गई थी।इस मामले में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ दर्ज मामला वापस लेने की अर्ज़ी दी है।
यह मामला दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 को हुआ था, 50 साल के अख़लाक़ को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।
इंडियन एक्सप्रेस ने गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (ADGC) भग सिंह भाटी के हवाले से बताया है कि याचिका दायर कर दी गई है लेकिन अभी अदालत ने फैसला नहीं सुनाया है, इस केस की सुनवाई जारी है और अगली तारीख 12 दिसंबर 2025 है।
CPI(M) ने यूपी सरकार की आलोचना की
ये जानकारी सामने आने पर CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी (general secretary) एमए बेबी ने यूपी सरकार की आलोचना की। उन्होंने लिखा- “सरकार ने भाजपा नेता संजय राणा के बेटे समेत अखलाक की हत्या के सभी आरोपियों के आरोप वापस लेने का जो फैलना लिया है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। सरकार का यह कदम नफरत, अपराध और हत्या को लेकर राज्य की मंजूरी देने के जैसा है।”
आज के अखबार
यूपी में ‘नरेंद्र मोदी स्टडीज सेंटर’ चला रहा था, CBI ने केस दर्ज किया
नई दिल्ली |
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक युवक पीएम मोदी के नाम पर एक अवैध स्टडी सेंटर चलाता पकड़ा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय की शिकायत पर सीबीआई ने आरोपी संचालक को गिरफ्तार करके FIR दर्ज करायी है।
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