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चुनाव धांधली : राहुल गांधी के दावों पर इंडियन एक्सप्रेस की जाँच

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राहुल गांधी, साभार - इंटरनेट

बोलते पन्ने | नई दिल्ली 

द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के सात जून के संस्करण में राहुल गांधी के लिखे एक लेख के बाद भारतीय राजनीति में चुनावी पारदर्शिता की बहस छिड़ गई है। राहुल गांधी ने पिछले साल हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों को मैच फिक्सिंग बताया और चेताया कि ऐसा बिहार में भी हो सकता है।  अख़बार ने ठीक अगले दिन राहुल के दावों को अपनी जाँच के आधार पर ख़ारिज किया है। साथ ही, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का भी एक विस्तृत लेख छापा है जो इस मामले में भाजपा का पक्ष रखता है। यह पूरा मामला इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकारिता के लिए भी उदाहरण पेश करता है, जिसमें न सिर्फ राहुल गांधी को अपने दावे रखने का पूरा स्थान दिया गया, बल्कि अगले दिन अख़बार ने स्वतंत्र रूप से इसे जांचा और आरोपी पक्षों (भाजपा/चुनाव आयोग) को भी यथावत स्थान दिया। 

राहुल गांधी का लेख, इंडियन एक्सप्रेस, 7 जून संस्करण

राहुल गांधी का लेख, इंडियन एक्सप्रेस, 7 जून संस्करण

महाराष्ट्र चुनाव में धांधली को लेकर राहुल का लेख – ‘Match-fixing Maharashtra’  

राहुल गांधी ने इस लेख के जरिए एलओपी ने साल 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कथित धांधली को लेकर एक गंभीर आरोप है। लेख में पांच-चरणीय रणनीति के जरिए BJP पर मतदाता सूची में हेरफेर, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और लक्षित बूथों पर फर्जी मतदान का आरोप लगाया गया है। 

  1. चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में हेरफेर (Rig the panel for appointing the Election Commission):
    • गांधी ने 2023 के Election Commissioners Appointment Act पर सवाल उठाया, जिसमें चुनाव आयुक्तों की समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटा दिया गया। 
  2. मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ना(Add fake voters to the roll):
    • गांधी ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी, जो मई 2024 के लोकसभा चुनावों तक 9.29 करोड़ हो गई। लेकिन नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों तक यह संख्या 9.70 करोड़ तक पहुंच गई, जो सरकार के अपने अनुमानों (9.54 करोड़ वयस्क आबादी) से भी अधिक थी। 
  3. मतदान प्रतिशत में हेरफेर(Inflate voter turnout):
    • गांधी ने ECI के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि मतदान के दिन 5:30 बजे तक की अनंतिम मतदान संख्या और अंतिम मतदान संख्या में 7.83 प्रतिशत अंकों (लगभग 76 लाख मतदाताओं) का अंतर था। यह अंतर 2009 के बाद से किसी भी चुनाव की तुलना में असामान्य रूप से अधिक था।
  4. लक्षित बूथों पर फर्जी मतदान (Target the bogus voting exactly where BJP needs to win):
    • गांधी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के लगभग 1 लाख मतदान केंद्रों में से 12,000 बूथों पर, जो 85 निर्वाचन क्षेत्रों में थे जहां BJP ने लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था, असामान्य रूप से अधिक मतदाता जोड़े गए। इन बूथों पर औसतन 600 अतिरिक्त मतदाता थे, जो 5 बजे के बाद मतदान में शामिल हुए। गांधी ने सवाल उठाया कि एक मतदाता को वोट डालने में एक मिनट लगने पर भी इतने वोटों के लिए 10 घंटे का समय चाहिए, जो संभव नहीं था।
  5. सबूतों को छिपाना (Hide the evidence):
  • गांधी ने ECI पर मतदाता सूची और मतदान डेटा में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि ECI 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की केंद्रीकृत व अंतिम मतदाता सूची सार्वजनिक करे। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अदालत का रुख करेंगे।

 

चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को बताया – क़ानून के प्रति अपराध 

ECI ने गांधी के आरोपों को निराधार और कानून के प्रति अपमान करार दिया। आयोग ने कहा कि 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस की शिकायतों का जवाब सार्वजनिक रूप से उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। ECI ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र में 6.40 करोड़ मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान किया, और कांग्रेस ने 27,099 बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त किए थे, जिन्होंने उस समय कोई शिकायत नहीं की। ECI ने यह भी तर्क दिया कि नवीनतम जनगणना नहीं हुई है, इसलिए मतदाता संख्या को जनसंख्या अनुमानों से तुलना करना उचित नहीं है।

BJP की प्रतिक्रिया: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि वे नकली कथानक गढ़ने और संस्थानों को बदनाम करते हैं। नड्डा ने कहा कि गांधी की यह प्रतिक्रिया उनकी “हार की निराशा” और बिहार में संभावित हार के डर का परिणाम है।

 महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद राहुल ने लगाया था आरोप

 नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में BJP-नीत महायुति गठबंधन (BJP, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, और अजित पवार की NCP) ने 288 में से 235 सीटें जीतीं, जिसमें BJP ने अकेले 132 सीटें हासिल कीं। इसके विपरीत, महा विकास अघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), और शरद पवार की NCP (SP) शामिल थीं, केवल 50 सीटों पर सिमट गई। गांधी ने इस मामले में 3 फरवरी 2025 को संसद में और बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने 8 फरवरी 2025 को NCP (SP) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (UBT) के संजय राउत के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

 इंडियन एक्सप्रेस ने जाँच के आधार पर राहुल के दावों पर सवाल उठाए 

इंडियन एक्सप्रेस ने 8 जून 2025 को अपने लेख “Rahul Gandhi’s attack on EC doesn’t match poll data, officials say bid to ‘defame’” में राहुल गांधी के 7 जून के लेख में उठाए गए पांच-चरणीय धांधली के दावों की जांच की और इन्हें चुनौती दी। इस लेख में अखबार ने ECI के डेटा और तथ्यों का हवाला देकर गांधी के आरोपों को चुनिंदा डेटा पर आधारित और प्रमाणों से परे बताया गया। अखबार ने ECI के अधिकारियों के हवाले से कहा कि गांधी का यह हमला “निर्वाचन आयोग को बदनाम करने की कोशिश” है। ECI ने यह भी तर्क दिया कि मतदाता सूची में वृद्धि सामान्य थी, और 2004-2019 के बीच हर पांच साल में औसतन 63-100 लाख नए मतदाता जोड़े गए थे, इसलिए 2024 में 41 लाख की वृद्धि असामान्य नहीं थी।
राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

  •  अखबार ने तर्क दिया कि ECI की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी कोई नई बात नहीं है। 2007 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के तहत प्रशासकीय सुधार आयोग (ARC), जिसके अध्यक्ष एम. वीरप्पा मोइली थे, ने ECI नियुक्तियों के लिए एक कॉलेजियम प्रणाली की सिफारिश की थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि सभी सरकारों, जिसमें UPA भी शामिल है, ने इस प्रक्रिया को औपचारिक बनाने का अवसर गंवाया। 2023 का कानून पहली बार ECI नियुक्तियों को औपचारिक बनाता है, जिसमें विपक्ष के नेता को समिति में शामिल किया गया है। 
  • अखबार ने ECI के डेटा के हवाले से मतदाता संख्या बढ़ने के आरोप पर लिखा कि नवंबर 2024 के लिए मतदाता सूची में 9.78 करोड़ मतदाता थे। मतदाता सूची तैयार करने के दौरान 3,901 दावों और आपत्तियों में से केवल 89 अपीलें दर्ज की गईं, और केवल एक मामला मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक पहुंचा। यह न्यूनतम विवाद दर्शाता है। इसके अलावा, सभी राजनीतिक दलों जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी, को मतदाता सूची तक पहुंच थी और कांग्रेस ने 27,099 बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त किए थे, जिन्होंने उस समय कोई आपत्ति नहीं उठाई।
  • अखबार ने लिखा कि मतदान के दिन देर रात तक मतदाता कतार में थे, जिसके कारण अंतिम आंकड़े बाद में अपडेट किए गए। ECI ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया। 2009 से 2024 तक के आंकड़ों में मतदान प्रतिशत में अंतर सामान्य रहा है, जैसे 2004 में 5%, 2009 में 4%, 2014 में 3%, और 2019 में 1%। 2024 में 4% का अंतर कोई असामान्य बात नहीं थी।
  • कुछ विशेष बूथों पर बीजेपी को फायदा पहुंचने के आरोपों पर अख़बार ने देवेंद्र फडणवीस के लेख का हवाला देकर लिखा, जिसमें उन्होंने माढा (18% वृद्धि, शरद पवार समूह जीता), वानी (13% वृद्धि, उद्धव ठाकरे समूह जीता), और श्रीरामपुर (12% वृद्धि, कांग्रेस जीता) जैसे उदाहरण दिए। इनसे पता चलता है कि मतदान वृद्धि का लाभ केवल BJP को नहीं, बल्कि MVA को भी मिला।
  • अंतिम आरोप पर अखबार ने ECI के हवाले से कहा कि मतदाता सूची सभी दलों के लिए उपलब्ध थी, और कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंट्स ने प्रक्रिया की निगरानी की थी। ECI ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस की शिकायतों का जवाब अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया था।

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दो अरब लोग गंदा पानी पीने को मजबूर

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साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
द हिन्दू ने 25 जून के संस्करण में लेख के ज़रिए बताया कि दुनिया में दो अरब लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं। यानी जो पानी वे पी रहे हैं, उसमें तमाम तरह के रोग होने की संभावना है। साथ ही, दुनिया के 3.6 अरब लोगों को सुरक्षित स्वच्छता सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। अख़बार ने संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। जिसमें भारत सहित कई देशों में जल संकट की गंभीरता को उजागर किया है।
शहरीकरण से जलसंकट गहराया 
लेख के मुताबिक़, सुरक्षित जल का संकट दुनिया में जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण और गहरा रहा है। भारत में, गंगा और यमुना जैसी नदियों में प्रदूषण और अपर्याप्त सीवेज उपचार इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2022 के आंकड़े बताते हैं कि विश्व भर में 10 लाख लोग दूषित पानी और अपर्याप्त स्वच्छता के कारण होने वाली बीमारियों से मर रहे हैं।
द हिन्दू, 25 जून

द हिन्दू, 25 जून

67.8 करोड़ भारतीय गंदगी में जी रहे 
लेख में बताया गया कि भारत में 3.5 करोड़ लोग सुरक्षित पेयजल और 67.8 करोड़ लोग स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं। जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 230 जिलों में भूजल में आर्सेनिक और 469 जिलों में फ्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है। WHO के मुताबिक़, भारत में 80% स्वास्थ्य समस्याएं जलजनित रोगों से जुड़ी हैं।
भारत में 40% शहरी पानी रिसकर बर्बाद 
भारत सरकार की जल जीवन मिशन जैसी पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में 49% घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाया है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में 40% पानी रिसाव के कारण बर्बाद हो रहा है। विश्व बैंक और यूनिसेफ जैसी संस्थाएं जल प्रबंधन में सहयोग कर रही हैं। लेख में सुझाव दिया गया कि पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने, रिसाव कम करने, और स्थानीय जल स्रोतों को पुनर्जनन करने की आवश्यकता है।

आंकड़ों की नज़र से :

  • 2 अरब: विश्व भर में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 3.6 अरब: सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 3.5 करोड़: भारत में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 67.8 करोड़: भारत में स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 230 जिले: भारत में भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी।
  • 469 जिले: भारत में भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी।
  • 80 प्रतिशत: भारत में जलजनित रोगों से स्वास्थ्य समस्याएं।
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केरल : ‘भारत माता’ की तस्वीर पर विवाद क्यों

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भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
केरल के राजभवन में ‘भारत माता’ की तस्वीर के प्रदर्शन को लेकर राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच विवाद गहरा गया है। द हिन्दू ने इस विवाद के बहाने भारत माता की अवधारणा पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि अखंड भारत के मानचित्र के सामने भगवा साड़ी में खड़ी एक स्त्री की इस तस्वीर की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। लेख में केरल के राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच के विवाद को अनावश्यक बताया है।
बता दें कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर के सामने फूल अर्पित करके दीप जलाने के साथ सरकारी कार्यक्रमों की शुरूआत किए जाने के विरोध से मामला शुरू हुआ। सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने इस चित्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबंधित मानते हुए ऐसे कार्यक्रमों में न शामिल होने की घोषणा की है।   
द हिन्दू, 26 जून

द हिन्दू, 26 जून

भारत माता के चित्र का कोई संवैधानिक आधार नहीं
द हिन्दू में 26 जून 2025 को प्रकाशित लेख “A Lofty Concept, a Governor and Unwanted Controversy” में इस विवाद को अनावश्यक और भारत माता के चित्र को उच्च अवधारणा बताया गया है। इस लेख को लिखने वाले पी.डी.टी. अचारी लोकसभा के पूर्व महासचिव रहे हैं और वे संवैधानिक व संसदीय मामलों के विशेषज्ञ हैं। अचारी ने लिखा है कि केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राजभवन में सरकारी आयोजनों में एक विशेष चित्र—जो भगवा साड़ी में एक महिला, हाथ में भाला, पीछे शेर और अखंड भारत के नक्शे को दर्शाता है—को प्रदर्शित करने और सम्मान करने की प्रथा शुरू की। लेख के अनुसार, भारत माता का यह चित्र संविधान या कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, न ही यह राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गान या प्रतीक की तरह आधिकारिक है। इसलिए, इसे सरकारी आयोजनों में शामिल करना अनुचित है।
केरल राज्य प्रतीक

केरल राज्य प्रतीक

‘राज्यपाल की ज़िद ने तनाव बढ़ाया’
लेखक ने कहा है कि राज्यपाल को राज्य सरकार की सलाह पर ही काम करना चाहिए। संविधान सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बयान का हवाला देते हुए लेखक बताता है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह माननी चाहिए, लेकिन उनकी जिद ने सरकार के साथ तनाव बढ़ाया। इस विवाद ने CPI(M) और BJP कार्यकर्ताओं के बीच सड़कों पर टकराव को जन्म दिया। लेख सुझाव देता है कि संवैधानिक प्रोटोकॉल का पालन कर ऐसे टकरावों से बचा जा सकता है।
भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता की जयकार और तस्वीर में फर्क
लेख में भारत माता के ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख है, जो बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की “आनंदमठ” में बंगा माता के रूप में शुरू हुआ और बाद में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में “भारत माता की जय” के नारे के रूप में लोकप्रिय हुआ। यह चित्र 19वीं सदी के राष्ट्रवाद को जोड़ता था।  हालांकि, लेख में यह भी कहा गया है कि भारत माता का यह चित्र आधुनिक भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ है। 
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अमेरिकी अखबारों ने ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए

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सांकेतिक तस्वीर
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
22 जून 2025 को ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल, और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख अमेरिकी अखबारों के मुताबिक, इन हमलों से सीमित नुकसान हुआ, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें “बेहद सफल” करार दिया। इन अखबारों ने तथ्यों और सरकारी दावों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से उजागर किया, खासकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर ट्रंप के दावों पर सवाल उठाए।
भारतीय हिंदी अखबारों की सरकारी रुख वाली कवरेज के उलट, अमेरिकी पत्रकारिता ने तथ्य-आधारित विश्लेषण को प्राथमिकता दी, भले ही उनका नेतृत्व अप्रत्याशित और दृढ़ स्वभाव का हो। यह कवरेज मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और वैश्विक कूटनीति पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित करती है। बता दें कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले किए जिनका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। इसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया था।
B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया : न्यूयॉर्क टाइम्स 
 न्यूयॉर्क टाइम्स ने 23 जून को इस शीर्षक से पहले पन्ने पर ख़बर लगाई – U.S. Claims Severe Damage, Warns Iran Not to Strike Back । खबर में हमले के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। लिखा है कि इन हमलों में सात बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और एक पनडुब्बी से 75 सटीक हथियारों का उपयोग किया गया, जिनमें 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम शामिल थे। साथ ही बताया है कि ईरान ने भी जवाब में इजरायल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें 10 लोग घायल हुए।
अखबार ने लिखा कि ट्रंप दावा कर रहे हैं कि ये हमले बेहद सफल रहे और ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को “गंभीर नुकसान” पहुंचा है। साथ ही ट्रंप ने ईरान को जवाबी हमले न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने प्रतिशोध लिया तो और बड़े हमले होंगे। हालांकि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को “अवैध” बताया और कहा कि ईरान इसके जवाब दे। खबर में यह भी लिखा है कि इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है और अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमले की आशंका है, जिसके लिए पेंटागन हाई अलर्ट पर है। यह स्थिति मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की संभावना पैदा करती है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

ईरान को व्यापक नुक़सान नहीं हुआ : वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पहले पन्ने पर लिखा कि ईरान के तीन परमाणु ठिकानों हमले करने के बाद हमलों के नुक़सान का आकलन अमेरिका कर रहा है। इस ख़बर का शीर्षक भी यही है – U.S. Weighs Strikes’ Damage in Iran. । अख़बार ने लिखा है कि अमेरिकी हमले जिसका नाम “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” है, का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि हमले “अत्यंत सफल” रहे और सुविधाओं को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया, लेकिन प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नुकसान उतना व्यापक नहीं हो सकता। IAEA के प्रमुख ने कहा कि फोर्डो में “बहुत महत्वपूर्ण नुकसान” हुआ, लेकिन सुविधा पूरी तरह नष्ट नहीं हुई।
वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

हमले के नुक़सान का आकलन कर रही सरकार : द वॉशिंगटन पोस्ट
वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरह ही वॉशिंगटन पोस्ट ने भी लिखा है कि इस हमले के नुक़सान का आकलन करने में सरकारी अधिकारी लगे हुए हैं। सरकार के मुताबिक़, इस हमले का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ऐसे में रक्षा अधिकारियों को अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त किया या केवल उसे कुछ समय के लिए पीछे धकेला। खबर में वैश्विक नेताओं के मिश्रित प्रतिक्रियाओं का भी जिक्र है, जहां कुछ ने संयम बरतने की अपील की, तो कुछ ने हमलों का समर्थन किया।
वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

 

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