Connect with us

आज के अखबार

चुनाव धांधली : राहुल गांधी के दावों पर इंडियन एक्सप्रेस की जाँच

Published

on

राहुल गांधी, साभार - इंटरनेट

बोलते पन्ने | नई दिल्ली 

द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के सात जून के संस्करण में राहुल गांधी के लिखे एक लेख के बाद भारतीय राजनीति में चुनावी पारदर्शिता की बहस छिड़ गई है। राहुल गांधी ने पिछले साल हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों को मैच फिक्सिंग बताया और चेताया कि ऐसा बिहार में भी हो सकता है।  अख़बार ने ठीक अगले दिन राहुल के दावों को अपनी जाँच के आधार पर ख़ारिज किया है। साथ ही, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का भी एक विस्तृत लेख छापा है जो इस मामले में भाजपा का पक्ष रखता है। यह पूरा मामला इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकारिता के लिए भी उदाहरण पेश करता है, जिसमें न सिर्फ राहुल गांधी को अपने दावे रखने का पूरा स्थान दिया गया, बल्कि अगले दिन अख़बार ने स्वतंत्र रूप से इसे जांचा और आरोपी पक्षों (भाजपा/चुनाव आयोग) को भी यथावत स्थान दिया। 

राहुल गांधी का लेख, इंडियन एक्सप्रेस, 7 जून संस्करण

राहुल गांधी का लेख, इंडियन एक्सप्रेस, 7 जून संस्करण

महाराष्ट्र चुनाव में धांधली को लेकर राहुल का लेख – ‘Match-fixing Maharashtra’  

राहुल गांधी ने इस लेख के जरिए एलओपी ने साल 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कथित धांधली को लेकर एक गंभीर आरोप है। लेख में पांच-चरणीय रणनीति के जरिए BJP पर मतदाता सूची में हेरफेर, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और लक्षित बूथों पर फर्जी मतदान का आरोप लगाया गया है। 

  1. चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में हेरफेर (Rig the panel for appointing the Election Commission):
    • गांधी ने 2023 के Election Commissioners Appointment Act पर सवाल उठाया, जिसमें चुनाव आयुक्तों की समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटा दिया गया। 
  2. मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ना(Add fake voters to the roll):
    • गांधी ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी, जो मई 2024 के लोकसभा चुनावों तक 9.29 करोड़ हो गई। लेकिन नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों तक यह संख्या 9.70 करोड़ तक पहुंच गई, जो सरकार के अपने अनुमानों (9.54 करोड़ वयस्क आबादी) से भी अधिक थी। 
  3. मतदान प्रतिशत में हेरफेर(Inflate voter turnout):
    • गांधी ने ECI के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि मतदान के दिन 5:30 बजे तक की अनंतिम मतदान संख्या और अंतिम मतदान संख्या में 7.83 प्रतिशत अंकों (लगभग 76 लाख मतदाताओं) का अंतर था। यह अंतर 2009 के बाद से किसी भी चुनाव की तुलना में असामान्य रूप से अधिक था।
  4. लक्षित बूथों पर फर्जी मतदान (Target the bogus voting exactly where BJP needs to win):
    • गांधी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के लगभग 1 लाख मतदान केंद्रों में से 12,000 बूथों पर, जो 85 निर्वाचन क्षेत्रों में थे जहां BJP ने लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था, असामान्य रूप से अधिक मतदाता जोड़े गए। इन बूथों पर औसतन 600 अतिरिक्त मतदाता थे, जो 5 बजे के बाद मतदान में शामिल हुए। गांधी ने सवाल उठाया कि एक मतदाता को वोट डालने में एक मिनट लगने पर भी इतने वोटों के लिए 10 घंटे का समय चाहिए, जो संभव नहीं था।
  5. सबूतों को छिपाना (Hide the evidence):
  • गांधी ने ECI पर मतदाता सूची और मतदान डेटा में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि ECI 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की केंद्रीकृत व अंतिम मतदाता सूची सार्वजनिक करे। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अदालत का रुख करेंगे।

 

चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को बताया – क़ानून के प्रति अपराध 

ECI ने गांधी के आरोपों को निराधार और कानून के प्रति अपमान करार दिया। आयोग ने कहा कि 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस की शिकायतों का जवाब सार्वजनिक रूप से उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। ECI ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र में 6.40 करोड़ मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान किया, और कांग्रेस ने 27,099 बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त किए थे, जिन्होंने उस समय कोई शिकायत नहीं की। ECI ने यह भी तर्क दिया कि नवीनतम जनगणना नहीं हुई है, इसलिए मतदाता संख्या को जनसंख्या अनुमानों से तुलना करना उचित नहीं है।

BJP की प्रतिक्रिया: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि वे नकली कथानक गढ़ने और संस्थानों को बदनाम करते हैं। नड्डा ने कहा कि गांधी की यह प्रतिक्रिया उनकी “हार की निराशा” और बिहार में संभावित हार के डर का परिणाम है।

 महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद राहुल ने लगाया था आरोप

 नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में BJP-नीत महायुति गठबंधन (BJP, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, और अजित पवार की NCP) ने 288 में से 235 सीटें जीतीं, जिसमें BJP ने अकेले 132 सीटें हासिल कीं। इसके विपरीत, महा विकास अघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), और शरद पवार की NCP (SP) शामिल थीं, केवल 50 सीटों पर सिमट गई। गांधी ने इस मामले में 3 फरवरी 2025 को संसद में और बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने 8 फरवरी 2025 को NCP (SP) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (UBT) के संजय राउत के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

 इंडियन एक्सप्रेस ने जाँच के आधार पर राहुल के दावों पर सवाल उठाए 

इंडियन एक्सप्रेस ने 8 जून 2025 को अपने लेख “Rahul Gandhi’s attack on EC doesn’t match poll data, officials say bid to ‘defame’” में राहुल गांधी के 7 जून के लेख में उठाए गए पांच-चरणीय धांधली के दावों की जांच की और इन्हें चुनौती दी। इस लेख में अखबार ने ECI के डेटा और तथ्यों का हवाला देकर गांधी के आरोपों को चुनिंदा डेटा पर आधारित और प्रमाणों से परे बताया गया। अखबार ने ECI के अधिकारियों के हवाले से कहा कि गांधी का यह हमला “निर्वाचन आयोग को बदनाम करने की कोशिश” है। ECI ने यह भी तर्क दिया कि मतदाता सूची में वृद्धि सामान्य थी, और 2004-2019 के बीच हर पांच साल में औसतन 63-100 लाख नए मतदाता जोड़े गए थे, इसलिए 2024 में 41 लाख की वृद्धि असामान्य नहीं थी।
राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

राहुल गांधी के दावों की जाँच, इंडियन एक्सप्रेस 8 जून

  •  अखबार ने तर्क दिया कि ECI की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी कोई नई बात नहीं है। 2007 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के तहत प्रशासकीय सुधार आयोग (ARC), जिसके अध्यक्ष एम. वीरप्पा मोइली थे, ने ECI नियुक्तियों के लिए एक कॉलेजियम प्रणाली की सिफारिश की थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि सभी सरकारों, जिसमें UPA भी शामिल है, ने इस प्रक्रिया को औपचारिक बनाने का अवसर गंवाया। 2023 का कानून पहली बार ECI नियुक्तियों को औपचारिक बनाता है, जिसमें विपक्ष के नेता को समिति में शामिल किया गया है। 
  • अखबार ने ECI के डेटा के हवाले से मतदाता संख्या बढ़ने के आरोप पर लिखा कि नवंबर 2024 के लिए मतदाता सूची में 9.78 करोड़ मतदाता थे। मतदाता सूची तैयार करने के दौरान 3,901 दावों और आपत्तियों में से केवल 89 अपीलें दर्ज की गईं, और केवल एक मामला मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक पहुंचा। यह न्यूनतम विवाद दर्शाता है। इसके अलावा, सभी राजनीतिक दलों जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी, को मतदाता सूची तक पहुंच थी और कांग्रेस ने 27,099 बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त किए थे, जिन्होंने उस समय कोई आपत्ति नहीं उठाई।
  • अखबार ने लिखा कि मतदान के दिन देर रात तक मतदाता कतार में थे, जिसके कारण अंतिम आंकड़े बाद में अपडेट किए गए। ECI ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया। 2009 से 2024 तक के आंकड़ों में मतदान प्रतिशत में अंतर सामान्य रहा है, जैसे 2004 में 5%, 2009 में 4%, 2014 में 3%, और 2019 में 1%। 2024 में 4% का अंतर कोई असामान्य बात नहीं थी।
  • कुछ विशेष बूथों पर बीजेपी को फायदा पहुंचने के आरोपों पर अख़बार ने देवेंद्र फडणवीस के लेख का हवाला देकर लिखा, जिसमें उन्होंने माढा (18% वृद्धि, शरद पवार समूह जीता), वानी (13% वृद्धि, उद्धव ठाकरे समूह जीता), और श्रीरामपुर (12% वृद्धि, कांग्रेस जीता) जैसे उदाहरण दिए। इनसे पता चलता है कि मतदान वृद्धि का लाभ केवल BJP को नहीं, बल्कि MVA को भी मिला।
  • अंतिम आरोप पर अखबार ने ECI के हवाले से कहा कि मतदाता सूची सभी दलों के लिए उपलब्ध थी, और कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंट्स ने प्रक्रिया की निगरानी की थी। ECI ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस की शिकायतों का जवाब अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया था।

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

आज के अखबार

गुजरात : क्लर्क ने पत्रकार को ‘खबर’ दी, गिरफ्तारी… फिर मौत

Published

on

अपने परिवार के साथ पत्रकार महेश लांगा (साभार - Linked IN)
अपने परिवार के साथ पत्रकार महेश लांगा, जिन्हें कथित तौर पर गोपनीय सूचना देने वाले की मौत हो गई (साभार - Linked IN)
नई दिल्ली|
गुजरात के एक सरकारी क्लर्क की मौत गिरफ्तारी के बाद अस्पताल में तबीयत बिगड़ने से हो गई है, आरोप है इन क्लर्क ने एक नामी पत्रकार को गोपनीय दस्तावेज दिए थे।
जिस पत्रकार को गोपनीय जानकारी देने का आरोप लगाया जा रहा है, उनकी ईडी ने फरवरी में गिरफ्तारी की थी।
दरअसल गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के क्लर्क निशिध जानी को एक संवेदनशील दस्तावेज एक रिपोर्टर को देने के लिए गिरफ्तार किया गया, दो सप्ताह बाद उनकी मौत हो गई। 
बता दें कि निशिध जानी ने जिस पत्रकार को कथित तौर पर गोपनीय सूचना दी थी, वह पत्रकार महेश लंगा अंग्रेजी के एक प्रतिष्ठित अखबार ‘द हिन्दू’ के लिए गुजरात में बतौर वरिष्ठ संवाददाता काम करते हैं। इनकी बीती फरवरी में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने गिरफ्तारी कर ली थी।
 
इंडियन एक्सप्रेस की खबर

इंडियन एक्सप्रेस की खबर

 

इंडियन एक्सप्रेस ने 30 सितंबर 2025 के संस्करण को इस अहम खबर छापा है जो हिन्दी पट्टी के पाठकों तक पहुंचनी चाहिए।
खबर के मुताबिक, क्लर्क निशिध जानी ने गुजरात के पत्रकार माहेश लंगा को कथित तौर पर संवेदनशील दस्तावेज दिए, 17 सितंबर को उनकी गिरफ्तार हुई। उनकी अस्पताल में मौत हो गई। 
रिपोर्ट में बताया गया कि निशिध जानी की मौत फेफड़ों से संबंधित बीमारी के कारण हुई, और उनकी गिरफ्तारी से पहले उनकी मेडिकल फिटनेस जाँची गई थी। यह घटना सरकारी कार्रवाइयों और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है। 
बता दें कि गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (GMB), गुजरात सरकार की एक एजेंसी है, जिसे 1982 में गुजरात के छोटे बंदरगाहों के प्रबंधन, संचालन और बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
________________
(नोट – यह खबर कॉपी राइट एक्ट , 1957 के सेक्शन 52 के तहत फेयर डीलिंग के आधार पर की गई है, जिसमें अखबार को उचित श्रेय दिया गया है।)
Continue Reading

आज के अखबार

‘I love Muhammad’ के समर्थन में यूपी-उत्तराखंड में जुलूस, कई गिरफ्तारियां

Published

on

सांकेतिक AI तस्वीर

नई दिल्ली|

पांच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) के दिन यूपी के कानपुर जिले से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ बैनर का विवाद अब यूपी के कई जिलों व उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भी फैल गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते रविवार को यूपी के सात जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर के साथ मार्च निकाला गया, जिसके बाद सोमवार तक पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कर ली। दूसरी ओर, दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

सांकेतिक AI तस्वीर

सांकेतिक AI तस्वीर

यूपी के सात जिलों में जुलूस निकले – एक्सप्रेस 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सप्ताहांत (Week End) पर कई जिलों में ‘I love Muhammad’ बैनर के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किए जो कि कानपुर विवाद के खिलाफ एकजुटता के लिए निकाले गए थे। दरअसल कानपुर में पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन)म की सजावट के दौरान ‘I love Muhammad’ लिखा एक साइनबोर्ड लगा दिया गया था, जिसका अन्य समुदाय ने नई प्रथा बताकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस ने 10 सितंबर को केस दर्ज किया था। रविवार को कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव, पीलीभीत और बरेली में विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं।

द इंडियन एक्सप्रेस, 23 सितंबर

द इंडियन एक्सप्रेस, 23 सितंबर

उत्तराखंड : जुलूस निकालने वाले 500 लोगों पर केस  

दैनिक हिन्दुस्तान ने 23 सितंबर के संस्करण में खबर की है कि यूपी के उन्नाव व उत्तराखंड के काशीपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुलूस निकालने के बाद बवाल हो गया। काशीपुर पुलिस ने रविवार रात हुए बवाल में तीन नामजद व 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि ये कार्रवाई उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर की है न कि बैनर को लेकर। अखबार के मुताबिक, उन्नाव पुलिस ने 38 लोगों पर मुकदमें दर्ज किए हैं और सात को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार का कहना है कि मूल विवाद गलत जगह ‘आई लव मोहम्मद’ का बोर्ड लगाने को लेकर हुआ था, अगले दिन कुछ लोगों ने एक धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया, जिस पर दस सितंबर को पुलिस ने केस दर्ज किया, पर लोगों ने इसे ‘आई लव मोहम्मद’ पर केस दर्ज होने के तौर पर प्रचारित किया, जिससे यह विरोध बड़े स्तर पर फैल गया।

दैनिक हिन्दुस्तान, 23 सितंबर

दैनिक हिन्दुस्तान, 23 सितंबर

Continue Reading

आज के अखबार

SCO से फिर उभरा रूस-भारत-चीन का त्रिकोण!

Published

on

एआई जेनरेट फोटो, साभार- ग्रोक

नई दिल्ली |

चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित किए गए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन पर सभी भारतीय अखबारों ने सकारात्मक कवरेज करते हुए इसे भारत की सफलता के रूप में देखा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इंटरप्रेटरों के जरिए आपस में बात करते हुए ली गई तस्वीर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। तीनों नेताओं की प्रतीकात्मक एकजुटता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए सीधे संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

 

चीन में त्रिकोणीय ढांचे का पुनर्जनन – एक्सप्रेस, TOI

इसी संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई हैं, जिसका अर्थ निकलता है कि तियानजिन में एक त्रिकोणीय ढांचे (रूस, भारत, चीन) का पुनर्जनन हो सकता है जिसने ट्रंप और उनकी नीतियों के लिए कड़ा संकेत भेजा। गौरतलब है कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव था, जिसने RIC (रूस, भारत, चीन) को निष्क्रिय कर दिया। लेकिन 2024 में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा तनाव कम करने के लिए समझौते हुए।

टाइम्स ऑफ इंडिया

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस

पहलगाम हमले की सामूहिक निंदा भारत की जीत – जागरण

अधिकांश प्रमुख अखबारों ने एससीओ के मंच से पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा को पहली हेडिंग बनाया है, इसे समिट में भारत की बड़ी सफलता के रूप में दर्शाया गया है। दैनिक जागरण ने हेडिंग लगाई- ‘भारत की जीत, एससीओ के मंच से पहलगाम हमले की निंदा।’ अखबारों ने इसे इसलिए अहम बताया क्योंकि मात्र दो महीने बीते हैं जब SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले की निंदा करने को लेकर सहमति नहीं बनी थी, भारतीय विदेशमंत्री राजनाथ सिंह ने तब नाराजगी जताते हुए बैठक के साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे और साझा बयान जारी नहीं हो सका था। एक्सप्रेस के शब्दों में कहे तो बदली वैश्विक परिस्थितियों ने इसे बदल दिया। न सिर्फ पाकिस्तान और चीन 22 अप्रैल के हमले की निंदा के लिए राजी हुआ, बल्कि साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। 

दैनिक जागरण

दैनिक जागरण

घोषणापत्र में पाक में हुए हमले की भी निंदा हुई, जागरण ने नहीं छापा

द हिन्दू ने भी पहले पन्ने पर पहलगाम हमले की निंदा को ही हेडिंग बनाया और खबर में प्रमुखता से बताया है कि SCO ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर हुए बलूचिस्तान उग्रवादी संगठन के हमले की भी निंदा की है। यह महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में नहीं दी जबकि उनकी प्रमुख खबर आतंकवाद पर आए एससीओ के साझा घोषणापत्र को लेकर ही है। 

मोदी ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से पाक को घेरा – HT

हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लिया है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर दोहरा रवैया उठाने वाले देशों पर सवाल उठाया। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नाम लिए बिना पाक व चीन पर निशाना बनाया। अखबार ने पहलगाम पर निंदा करने की खबर को उतनी अहमियत नहीं दी और अंदर के पेज पर सेकेंड लीड बनाया। इसके अतिरिक्त सभी अखबारों ने मोदी व पुतिन की द्विपक्षीय बैठक को भी प्रमुखता से लिया। एचटी ने लिखा कि मोदी से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए हाल में हुई पुतिन-ट्रंप वार्ता का समर्थन जताया और शांति प्रक्रिया में तेजी लाकर जल्द शांति स्थापित करने की बात पुतिन से कही।

SCO से बड़ी उम्मीद बांधना जल्दबाजी : संपादकीय

दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को चीन व अमेरिका दोनों से ही सावधान रहने की जरूरत है, एससीओ समिट में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जिससे यह माना जा सके कि वैश्विक समीकरण में कोई बड़ा परिवर्तन आएगा। अखबार ने लिखा है कि मोदी-जिनपिंग के बीच संबंधों में सुधार की बातें हुईं जो पहले भी होती रही है पर दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार गिरने का नाम नहीं लेती। एचटी ने लिखा है एससीओ में भारत के साथ पाक में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की गई, भारत ने चीन के बेल्ट एवं रोड परियोजना के समर्थन से खुद को अलग करके अपने पुराने पक्ष को कायम रखा। अखबार कहता है कि ऐसे में यह सोचना अव्यवहारिक है कि इस मंच से कोई बड़े राजनयिक परिवर्तन आएंगे, पर इतना जरूर है कि ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे ईरान, चीन, रूस व भारत के बीच गहरा समन्वय स्थापित होगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए रुस व चीन से संबंध सुधार में सफल साबित हो रहा है। शायद अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाने की अपनी गलती को समझ लिया है, अमेरिकी दूतावास का रविवार को आया “मैत्रीपूर्ण” ट्वीट इसी दिशा में शायद एक नीतिगत सुधार का संकेत है। अखबार कहता है कि भारत को सुलह के इशारों के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए लेकिन इसे दबाव में नहीं आना चाहिए।

 

Continue Reading
Advertisement

Categories

Trending