जनहित में जारी
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जनहित में जारी
नेपाल भूस्खलन से रौद्र हुई कोसी, बिहार के 4 जिलों में बाढ़, लोग घर छोड़ने को मजबूर

- नेपाल में सप्तकोशी नदी का जलस्तर बढ़ने से बिहार के सुपौल बैैराज के सभी 56 फाटक खोले गए।
- सीमावर्ती जिले अररिया के निचले इलाकों में पानी भरा; सहरसा और शिवहर में भी बाढ़ के हालात।
सुपौल/अररिया/सहरसा/शिवहर |
नेपाल में तीन दिन से जारी भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड (भूस्खलन) हो गया, जिसके बाद वहां से भारत की ओर बहने वाली ‘सप्तकोशी नदी’ ने रौद्र रूप ले लिया। जिससे बिहार के नेपाली सीमा वाले 4 जिलों में बाढ़ आ गई है। भारत में प्रवेश के बाद यह नदी ‘कोसी’ के रूप में जानी जाती है, जिसने इस बार फिर बिहार के सीमावर्ती जिलों में ‘शोक’ ला दिया है।
सुपौल जिले में कोसी बैराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए, जिससे निचले इलाके डूब गए हैं। अररिया, सहरसा और शिवहर जिले में भी कई ब्लॉक में बाढ़ आ गई है। जिससे निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को वहां से हटाया जा रहा है। किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं। कई जगहों पर कच्चे मकान टूटने, सड़कें और बिजली के पोल बहने तक की खबरें हैं, जिससे प्रशासन हाई-अलर्ट पर है और राहत में जुटा है।
सुपौल : 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, जिला डूबा
राजीव रंजन | सुपौल में कोसी नदी के उफान ने एक बार फिर तटबंध के भीतरी इलाकों में तबाही मचानी शुरू कर दी है। नदी का जलस्तर 4 अक्तूबर से बढ़ना शुरु हुआ और अगले दिन रविवार को कोसी बैराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए और 5,10,960 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
भारी तादाद में पानी छोड़े जाने के तटबंध के भीतर बसे छह प्रखंडों- बसंतपुर, निर्मली, मरौना, सरायगढ़-भपटियाही, किशनपुर और सुपौल सदर के कई गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है।
करीब 500 से अधिक घरों में पानी घुस चुका है, जिससे लोग अपने घरों को छोड़ ऊंचे स्थानों की ओर शरण ले रहे हैं। माइक पर सतर्क रहने की जानकारी लगातार दी जा रही है और लोगों को अफवाह से दूर रहने को कहा जा रहा है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी सावन कुमार ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को अलर्ट पर रखा है।
अररिया : बकरा व नूना नदी उफनाईं, सिकटी में बाढ़
हमारे संवाददाता | पड़ोसी नेपाल के जल ग्रहण क्षेत्र में हो रही तेज बारिश के चलते सीमा से सटे अररिया के सिकटी ब्लॉक के निचले इलाके डूब गए हैं। जिले की बकरा व नूना नदी उफनाने लगी हैं, जिससे कई गांवों में बाढ़ आ गई है। साथ ही जिले में लगातार हो रही बारिश से स्थिति और गंभीर बन गई है।

अररिया में बारिश से NH की एक लेन पर बीस फीट गहरा गड्डा हो जाने से 18 टायर ट्रक पलट गया। (फोटो- टीम बोलते पन्ने)
बारिश के चलते नरपतगंज में अररिया-मुजफ्फरपुर NH-27 की एक लेन पर 20 फीट गहरा गड़्डा हो जाने से वहां से गुजर रहा 18 चक्का एक ट्रक पलट गया।
बारिश और तूफान से नरपतगंज, फरही, कोशिकापुर, बथनाहा आदि इलाकों में दर्जनों कच्चे घर उजड़ गए। बिजली के खंभे टूट गए।
सिकटी प्रखंड में नूना नदी दूसरी बार उफना गई है, जिससे बांसबाडी, सिंघिया, कचना, औलाबाड़ी गांव के दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। कई सड़के कट गईं। साथ ही नूना नदी के तेज बहाव से घोडा चौक के पास ग्रामीणों के बनाए तटबंध को भी खतरे में ला दिया है।
सहरसा | चार प्रखंडों में बाढ़ का खतरा, आगाह किया जा रहा
हमारे संवाददाता | कोसी बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के बाद सहरसा के पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर चार प्रखंडों में बाढ़ का खतरा है।
नौहट्टा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर और सलखुआ प्रखंड के निचले इलाके में पानी बढ़ने लगा है। माना जा रहा है कि रविवार रात तक बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
इसको लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी को अलर्ट पर हैं।
पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर नौहट्टा प्रखंड के केदली पंचायत में माइकिंग के जरिए लोगों को अलर्ट किया जा रहा है।
निचले इलाके में बसे लोगों को घर खाली करके ऊंची जगहों पर शरण लेने के लिए अपील की जा रही है।
शिवहर : बागमती नदी लाल निशान के पार, पुरनहिया प्रखंड की बिजली गुल
हमारे संवाददाता | एक ओर कोसी नदी से बिहार के कई जिलों में बाढ़ आ गई तो दूसरी ओर, नेपाल से बहने वाली एक और नदी बागमती के चलते शिवहर जिले में निचले इलाके डूब गए हैं।
नेपाल व शिवहर के इलाकों में लगातार चार दिनों से हो रही बारिश के चलते इस साल पहली बार नदी का जलस्तर लाल निशान के ऊपर चला गया है।
4 अक्तूबर की देर रात जलस्तर में वृद्धि शुरू हुई और सुबह होते-होते बाढ़ आ गई। जिसके चलते जिले के तरियानी, पिपराही व पुरनहिया प्रखंड के निचले इलाकों में घरों में पानी आ गया।
खेतों में लगी फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं। नदी की धाराएं जगह-जगह कटाव कर रही है।
पिपराही पुल के पास जारी कटाव में पांच विद्युत पोल टूट गए जिससे पूरे पुरनहिया प्रखंड की बिजली ठप हो गई है।
पुरनहिया प्रखंड की बराही वार्ड 11 में बाढ़ का पानी घरों में घुसने से प्रशासनिक टीमों ने स्थानीय लोगों को रेसक्यू करना शुरू किया है। इधर, बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन और बागमती प्रमंडल की टीमें अलर्ट है।
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कफ सीरप से 11 बच्चों की मौत: केंद्र ने बैन लगाया, देरी पर सवाल

- स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सीरप पर प्रतिबंध लगा दिया।
नई दिल्ली|
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में नौ बच्चों और राजस्थान में दो बच्चों की कफ सीरप से मौतों के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने इस दवा को छोटे बच्चों के लिए है।
आज स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सीरप के उपयोग पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है।
इससे पहले 1 अक्टूबर को छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत की पुष्टि कफ सीरप के चलते होने की पुष्टि हुई।
यह कदम तब उठाया गया जब जांच में सामने आया कि कुछ सीरप में जहरीले पदार्थ मौजूद थे, जिससे किडनी खराब होने की शिकायत हुई।
हालांकि, इस देरी पर सियासी घमासान शुरू हो गया है।
केंद्र का फैसला : दो साल से छोटे बच्चों को न दें कफ सीरप
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर 2025 को अधिसूचना जारी कर दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सीरप (जैसे क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट और फेनाइलीफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड) पर प्रतिबंध लगा दिया।
छिंदवाड़ा में नौ बच्चों की सीरप से मौत हुई थी
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में यह घटना परासिया ब्लॉक के इलाकों में हुई, जहां सर्दी, बुखार और जुकाम से पीड़ित छोटे बच्चों की हालत अचानक बिगड़ गई। पिछले एक महीने में कुल 6 से 9 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनकी उम्र 5 साल से कम थी। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया, जबकि पहली मौत 7 सितंबर को दर्ज की गई। बच्चे पहले सामान्य लग रहे थे, लेकिन कुछ दिनों बाद पेशाब बंद हो गया और किडनी फेलियर हो गया। कई बच्चों को छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के बावजूद वे बच नहीं सके।
न्यूज़18 के अनुसार, मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया कि सीरप में गड़बड़ी थी, लेकिन कांग्रेस के कमलनाथ ने उन्हें निशाना बनाया और कहा कि ‘अस्पताल यमदूतों का घर बन गया है।’
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स्टडी : भारतीय शहरों समेत पूरी दुनिया में गर्म दिन 25% बढ़े

- इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट के अध्ययन के परिणाम जारी
- 35 साल पहले के मुकाबले अब 25% ज्यादा ऐसे दिनों का सामना करना पड़ रहा जो अत्याधिक गर्म
- दिल्ली: 2024 में दिल्ली ने 50+ दिन 40°C+ रिकॉर्ड किया, जो 1990 के दशक के मुकाबले दोगुना है।
- अन्य भारतीय शहर: मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और बैंगलोर जैसे शहरों में भी 20-30% वृद्धि देखी गई।
- मुंबई में 35°C+ दिनों की संख्या 15 से बढ़कर 25 हो गई, जबकि चेन्नई में हीटवेव से 2024 में 1,000+ मौतें हुईं।
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