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सीरिया और गज़ा की सड़कों पर क्यों सुनाए गए UN के भाषण ?

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सीरिया में असद शासन गिरने के बाद लोगों ने सड़कों पर निकलकर खुशी मनाई थी। (सांकेतिक फोटो)
सीरिया में असद शासन गिरने के बाद लोगों ने सड़कों पर निकलकर खुशी मनाई थी। (सांकेतिक फोटो)
  • सीरिया में सड़कों पर बड़ी स्क्रीन लगाकर राष्ट्रपति के भाषण का लाइव टेलीकास्ट हुआ।
  • गज़ा में इजरायली सेना ने बड़े-बड़े स्पीकर लगाकर नेतन्याहू का UN में दिया भाषण सुनाया।

नई दिल्ली |

इस दिनों अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का 80वां सत्र जारी है, जिसमें दिए जाने वाले भाषण रणनीतिक स्तर पर अहम माने जाते हैं पर ऐसा कम ही होता है कि इन भाषणों को जनता को सुनाया जाए। इस बार के सत्र में दो ऐसे मौके आए जब यूएन सत्र के दौरान सीरिया और इजरायल के प्रमुख नेता के भाषण को उन दोनों के देशों में बड़ी स्क्रीन और स्पीकर लगाकर आम जनता को लाइव दिखाया-सुनाया गया।

हालांकि इन भाषणों को जनता तक पहुंचाने का मकसद अलग-अलग रहा। सीरिया में भाषण को लेकर खुशी थी, जबकि इज़रायल में विनाशकारी स्थितियों के बीच इस भाषण को सांकेतिक तौर पर बंधकों को सुनाया गया।

सीरिया : 60 साल में पहले राष्ट्रपति का UN में भाषण, जनता में सड़कों पर सुना

सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने 24 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया। पिछले 60 साल में संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलने वाले वह पहले सीरियाई राष्ट्रपति बने। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके भाषण को सुनने के लिए सीरिया की जनता सड़कों पर उतरी, सरकार ने प्रमुख सड़कों पर बड़ी स्क्रीन लगाकर राष्ट्रपति के भाषण का लाइव प्रसारित किया।

इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए मौजूद लोगों के हाथों में सीरियाई झंडे थे और वे नारे लगाते हुए गर्व से अपने राष्ट्रपति को सुनते नजर आए। शहरों में जश्न का माहौल था और आतिशबाजी की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। बता दें कि पिछले 50 वर्षों से अधिक समय तक सीरिया पर असद परिवार ने कठोर शासन किया था और पिछले दस वर्षों से गृहयुद्ध ने सीरिया को तबाह कर दिया था। पिछले साल दिसंबर में यहां अंतरिम सरकार बनी है।

सीरिया के राष्ट्रपति अल शरा

सीरिया के राष्ट्रपति अल शरा (फाइल फोटो)

“हमारी कहानी दर्द से भरी हुई है। कई साल से सीरिया ने अन्याय और उत्पीड़न सहा, लेकिन अब देश अपनी गरिमा की रक्षा के लिए खड़ा है। मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि सीरिया के कई शहरों में इस समय जश्न का माहौल है। – अहमद अल-शरा, राष्ट्रपति सीरिया

गज़ा : तबाह हो चुकी सड़कों पर स्पीकर लगाकर बंधकों को संदेश दिया

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण दिया। इसे दक्षिणी इजराइल में गाजा की ओर लगाए गए बड़े स्पीकरों से भी सुनाया गया। नेतन्याहू ने अपने भाषण में ही कहा कि इसे लाइव गज़ा में सुनाया जा रहा है ताकि बंधकों तक हमारी आवाज़ पहुंचे।

नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि सेना की मदद से नागरिक समूहों को सीमा पर ट्रकों पर लाउडस्पीकर लगाने का निर्देश दिया गया। यह व्यवस्था सैनिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई।

गौरतलब है कि नेतन्याहू का भाषण भले गज़ा में सुनाया गया हो पर जब उन्होंने इसे शुरू किया था तो कई देशों के प्रतिनिधि विरोध में सभा भवन से बाहर चले गए।

संयुक्त राष्ट्र में भाषण के दौरान नेतन्याहू (फाइल फोटो)

संयुक्त राष्ट्र में भाषण के दौरान नेतन्याहू (फाइल फोटो)

 मैंने गाजा को बड़े लाउडस्पीकर्स से घेरा है, जो इस माइक से जुड़े हैं। हमारे वीर नायकों, मैं प्रधानमंत्री नेतन्याहू, संयुक्त राष्ट्र से सीधे आपसे बात कर रहा हूँ। हमने आपको नहीं भुलाया, एक पल के लिए भी नहीं। इजरायल की जनता आपके साथ है। हम हार नहीं मानेंगे, न ही रुकेंगे, जब तक सभी को घर नहीं ला लेते। – नेतन्याहू, इजरायली प्रधानमंत्री 

 

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हमास सभी इजरायली बंधक छोड़ने पर राज़ी, ट्रंप ने कहा- अब गज़ा बमबारी बंद हो

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गज़ा में जारी नरसंहार के बीच शांति वार्ता पर आंशिक सहमति उम्मीद जगाती है। पर ट्रंप की महात्वकांक्षा संदेह भी पैदा करती है।
गज़ा में जारी नरसंहार के बीच शांति वार्ता पर आंशिक सहमति उम्मीद जगाती है। पर ट्रंप की महात्वाकांक्षा से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आशंकाएं भी हैं। (तस्वीर इंटरनेट)
  • डोनाल्ड ट्रंप से गज़ा शांति प्रस्ताव पर आंशिक रूप से राजी हुआ हमास, शुक्रवार देर रात जारी किया बयान।
  • फलस्तीनी कैदियों के बदले इजरायली बंधकों को छोड़ने पर राजी हुआ, पर हथियार छोड़ने की शर्त नहीं मानी।
  • शांति प्रस्ताव की बाकी शर्तों पर बात करना चाहता है हमास, आज ट्रंप इस पर बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात करेंगे।

 

नई दिल्ली |

ट्रंप ने गज़ा शांति योजना पर हमास को रविवार शाम तक का समय दिया था और अंतराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक शुक्रवार रात को हमास इस पर आंशिक रूप से राजी हो गया है।

इसकी प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर पोस्ट करके इजरायल से गजा में तुरंत बमबारी रोकने को कहा है। ट्रंप ने हमास के बयान को शेयर किया और दावा किया कि वह गज़ा शांति के लिए तैयार है।

ट्रूथ सोशल पर ट्रंप ने पोस्ट डालकर हमास की सहमति का दावा किया।

ट्रूथ सोशल पर ट्रंप ने पोस्ट डालकर हमास की सहमति का दावा किया।

साथ ही हमास ने अपने बयान में कहा है कि “वह गज़ा पट्टी के प्रशासन को एक स्वतंत्र फलस्तीनी निकाय को सौंपने के लिए तैयार है, जो फलस्तीनी राष्ट्रीय सहमति पर आधारित होगा और अरब व इस्लामिक समर्थन से मजबूत होगा।”

ट्रंप की ओर से सोशल मीडिया पर डाला गया हमास का बयान (साभार ट्रूथ सोशल)

ट्रंप की ओर से सोशल मीडिया पर डाला गया हमास का बयान (साभार ट्रूथ सोशल)

इसके आठ घंटों के बाद शनिवार सुबह इजरायली मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि पीएन बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप शांति योजना के पहले चरण की तैयारी शुरू कर दी है।

4 अक्तूबर तक गज़ा में इजरायली हमलों के चलते आधिकारिक रूप से कुल 66,300 लोगों की मौत हो चुकी है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

हमास के इस कदम को मध्य-पूर्व में शांति की एक नई किरण के तौर पर देखा जा रहा है। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की लीडरशिप में गज़ा शांति के लिए हुई इस प्रगति का स्वागत ट्वीट करके किया है। दूसरी ओर, कतर व अन्य देशों ने भी इस कदम का स्वागत किया है।

पीएम मोदी का ट्वीट (screen grab - @narendramodi)

पीएम मोदी का ट्वीट (screen grab – @narendramodi)

 

हथियार छोड़ने को राजी नहीं, बाकी शर्तों पर मोलभाव करेगा हमास

कतर से संचालित मीडिया ‘अलज़जीरा’ के मुताबिक, हमास ने सभी इजरायली बंधकों की रिहाई पर सहमति जताई है।

ब्रिटिश मीडिया ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, हमास ने 20 बंधकों की रिहाई पर सहमति जतायी है जिसमें मृत बंधकों के शव वापस किए जाएंगे। पर शांति प्रस्ताव की उस शर्त पर हमास राजी नहीं हुआ जिसमें गजा से हटने और हथियार छोड़ने को कहा गया है।

हमास का आधिकारिक झंडा (फोटो इंटरनेट)

हमास का आधिकारिक झंडा (फोटो इंटरनेट)

साथ ही हमास ने शर्त रखी है कि बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल से बमबारी बंद की जाए और फलस्तीनी कैदियों की रिहाई की गारंटी मिले।

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लाइव अपडेट

  • हमास ने 3 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि वह सभी जीवित और मृत इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए तैयार है, जैसा कि ट्रंप के 20-सूत्री शांति प्रस्ताव में कहा गया ।
  • ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, “इजरायल को गजा बमबारी तुरंत रोकनी चाहिए ताकि बंधकों की सुरक्षित रिहाई हो सके। हम शांति के करीब हैं।”
  • इजरायली PM नेतन्याहू ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन सैन्य कार्रवाई जारी है, जिससे तनाव बना हुआ है।
  • गजा से रिपोर्ट्स में कहा गया कि शुक्रवार को नागरिक इलाकों में बमबारी से 10 लोग मारे गए, UN ने मानवाधिकार उल्लंघन की चेतावनी दी।

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इजरायल में फलस्तीन व इजरायल का झंडा पकड़े समर्थक (फोटो इंटरनेट)

इजरायल में फलस्तीन व इजरायल का झंडा पकड़े समर्थक (फोटो इंटरनेट)

Time line – कैसे राजी हुआ हमास 

  • 2 अक्तूबर : ट्रंप और नेतन्याहू ने अमेरिका में संयुक्त रूप से 20-सूत्री शांति प्रस्ताव पेश किया। जिसके तहर 72 घंटे में हमास को 20 बंधकों की रिहाई करनी है और जिसके बदले इजरायल  फलस्तीनी कैदियों की अदला-बदली करेगा।

 

  • 3 अक्तूबर: द गार्जियन के मुताबिक, हमास ने प्रस्ताव पर सकारात्मक जवाब दिया, लेकिन हथियार डालने और गजा शासन से हटने से इनकार किया।

 

  • 4 अक्तूबर: अलज़जीरा के मुताबिक, ट्रंप ने इजरायल पर दबाव बढ़ाया, लेकिन नेतन्याहू ने फलस्तीनी राज्य के खिलाफ रुख दोहराया, जिससे अनिश्चितता बनी रही ।

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वॉशिंगटन में ट्रंप और नेतन्याहू (फाइन फोटो, इंटरनेट)

वॉशिंगटन में ट्रंप और नेतन्याहू (फाइन फोटो, इंटरनेट)

आगे क्या : ट्रंप आज नेतन्याहू से बात करेंगे

शनिवार की शाम 3 बजे तक बजे ट्रंप और नेतन्याहू के बीच बातचीत की उम्मीद है, जिसका नतीजा यह तय करेगा कि शांति वार्ता पर वह आगे बढ़ेगा या नहीं।

बता दें कि पिछले नवंबर में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने गज़ा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री योव गल्लांट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।

इजरायल को अपने इस क्षेत्र पर युद्ध के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में नरसंहार के मामले का भी सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, मानवाधिकार उच्चायुक्त ने गजा में नागरिक हताहतों पर चिंता जताई और तत्काल युद्धविराम की मांग की है।  यूरोपीय संघ ने ट्रंप के प्रयासों का स्वागत किया, लेकिन इजरायल से संयम बरतने को कहा।

 

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क्या ट्रंप का शांति प्रस्ताव वाकई गज़ा में शांति लाएगा – इस मामले को विस्तार से समझने के लिए इस लिंक के जरिए पूरा विश्लेषण पढ़ें।

 

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पाक : भारत से गए ‘शरणार्थियों’ के आरक्षण के खिलाफ POK में हिंसक प्रदर्शन

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भारत-पाक सीमा पर तैनात सिक्योरिटी फोर्स (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत-पाक सीमा पर तैनात सिक्योरिटी फोर्स (प्रतीकात्मक तस्वीर)
  • 1947 में भारत से पाकिस्तान गए शरणार्थियों की विधानसभा में 12 सीटों को कम करने की मांग
  • तीन दिन पहले शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हुआ, तीन पुलिसकर्मियों की मौत, 150 घायल
 नई दिल्ली |
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में स्थानीय लोगों ने भारत से पाकिस्तान गए शरणार्थियों की विधानसभा में 12 सीटों को कम करने की मांग को लेकर  शुरू हुआ, बुधवार को हिंसक हो गया।
इस दौरान 3 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और 150 से अधिक घायल हुए, जिसमें 8 की हालत गंभीर है।
UN मानवाधिकार कार्यालय और स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, 1 अक्टूबर को चम्याती में झड़पों में 3 पुलिसकर्मियों की मौत और 150 से अधिक घायल हुए, जिसमें आठ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
रॉयटर्स के मुताबिक, यह आंदोलन शरणार्थियों के सीधे विरोध में नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक भागीदारी को लेकर स्थानीय असंतोष का परिणाम है।

पाकिस्तानी मीडिया हाउस ‘द डॉन’ के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने 1 अक्टूबर को टेलीविजन संबोधन में प्रदर्शनों पर चिंता जताई और शांति बहाल करने का आह्वान किया

29 सितंबर को  ‘जम्मू कश्मीर पब्लिक एक्शन कमेटी’ (PAC) ने प्रदर्शन शुरू किया, प्रदर्शनकारियों की मांग है कि 1974 के POK संविधान के तहत शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को खत्म किया जाए।
बता दें कि ये सीटें भारत से 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए शरणार्थियों के लिए आरक्षित की गई हैं।

तीन दिनों के चल रहा था आंदोलन

POK में रह रहे शरणार्थियों ने अपनी मांगों को लेकर तीन दिन पहले 29 सितंबर को आंदोलन शुरू किया था।

आंदोलन चला रहे ‘जम्मू कश्मीर पब्लिक एक्शन कमेटी’ (पीएसी) ने सरकार के सामने कई अहम मांगें रखी हैं।

जिसमें शरणार्थियों के लिए 12 विधानसभा सीटों का प्रावधान करने की मांग प्रमुख है। साथ ही, प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के विशेषाधिकार समाप्त करने की मांग रखी गई है।

इसके अलावा न्यायिक प्रणाली में सुधार की भी मांग है।

प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि उन्हें फ्री मेडिकल सुविधा मिले, कोटा सिस्टम खत्म किया जाए व निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान हो।

 

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अमेरिका : सरकार ने Shut-down की उल्टी गिनती क्यों शुरू की?

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व्हाइट हाउस की आधिकारिक वेबसाइट पर सबसे ऊपर लगी काउंट-डाउन क्लॉक (साभार -whitehouse.gov)
व्हाइट हाउस की आधिकारिक वेबसाइट पर सबसे ऊपर लगी काउंट-डाउन क्लॉक (साभार -whitehouse.gov)
  • सालाना बजट पास न हो पाने के बाद सभी गैर-जरूरी सेवाएं व दफ्तर आज बंद हो जाएंगे।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे डेमोक्रेट शटडाउन कहा है, व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर एक घड़ी लगाई।

नई दिल्ली |

अमेरिका सरकार भारतीय समयानुसार आज शाम साढ़े आठ बजे बंद हो जाएगी, यह शटडाउन प्रक्रिया के तहत होने जा रहा है।

अमेरिका के व्हाइट हाउस की आधिकारिक वेबसाइट पर शटडाउन को लेकर एक ‘काउंटडाउन क्लॉक’ (घटता हुआ समय दिखाती घड़ी) लगाया गया।

दरअसल अमेरिका में अगर सालाना बजट जारी न हो पाए तो सभी ग़ैर-जरूरी सेवाएं और दफ़्तर बंद हो जाते हैं, इसे शटडाउन कहा जाता है। जिसे सरकार की ओर से लागू किए जाने की उल्टी गिनती या काउंटडाउन (count down) कहते हैं।

गौर करने वाली यह भी है कि इस बात का ठीकरा विपक्षी दल डेमोक्रेट पर फोड़ते हुए आधिकारिक वेबसाइट पर इस शटडाउन को “डेमोक्रेट शटडाउन” लिखा गया है। साथ ही यह भी लिखा गया कि “लोग डेमोक्रेट्स से सहमत नहीं हैं।”

व्हाइट हाउस के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय ने भी ज्ञापन जारी करके पुष्टि की है कि सरकार मंगलवार मध्यरात्रि से बंद हो जाएगी। भारतीय समय के मुताबिक, ऐसा शाम साढ़े आठ बजे के आसपास होगा।

सरकार मंगलवार रात बंद होगी : व्हाइट हाउस 

व्हाइट हाउस के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय ने भी ज्ञापन जारी कर पुष्टि की है कि सरकार मंगलवार मध्यरात्रि से बंद हो जाएगी। इस ज्ञापन पर निदेशक रसेल वॉट के हस्ताक्षर हैं।

शटडाउन का कारण विस्तार में समझिए 

सरकार को फंड उपलब्ध कराने के लिए डेमोक्रेट्स का प्रस्ताव अमेरिकी सीनेट में खारिज हो गया। मतदान में यह बिल 47 के मुकाबले 53 से पास नहीं हो सका।

यह प्रस्ताव सरकार को शटडाउन से बचाने की कोशिश थी। लेकिन 100 सदस्यीय सदन में इसे आवश्यक 60 मतों का समर्थन नहीं मिला। इसके बाद रिपब्लिकन का फंडिंग बिल भी 55-45 से खारिज हो गया।

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