रिपोर्टर की डायरी
‘राहुल गांधी’ का नाम लेने पर हुई मॉब लिंचिंग के परिवार से जब मिले राहुल
- राहुल गांधी फतेहपुर पहुंचकर हरिओम वाल्मीकि के परिवार से मिले।
- परिवार का एक वीडियो आया- “राहुल न आएं, हमें सरकार से मदद मिल रही।”
- राहुल बोले- “जबरन वीडियो बनवाया, परिवार को बाहर नहीं जाने दे रही पुलिस।”
फतेहपुर(यूपी) | संदीप केसरवानी
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में 17 अक्तूबर को जो कुछ हुआ, उसे आपको इसलिए जानना चाहिए ताकि आप अंदाजा लगा सके कि आज के राजनीतिक दौर मेें एक पीड़ित को और कितनी पीड़ाओं से गुजरना पड़ सकता है।
रायबरेली में एक दलित युवक को जब भीड़ ने चोर समझकर पीटना शुरू किया तो उनसे राहुल गांधी का नाम लिया। इस पर भीड़ में से एक शख्स ने कहा- यहां सब ‘बाबा’ वाले हैं।
राहुल गांधी इस पीड़ित से मिलने 17 अक्तूबर को जब पहुंचे, उससे पहले ही जिले में पुलिस तैनात थी, परिवार को मीडिया से नहीं मिलने दिया जा रहा था।
इसी दिन सुबह शहर में पोस्टर चस्पा थे- ‘दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ।’ फिर मृतक की बहन का हाथ में नौकरी मिलने का कागज लिए एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर हुआ।
साथ में एक और वीडियो भी, खुद को मृतक का भाई बता रहा व्यक्ति कहता देखा जा सकता है कि “सरकार ने हमारी मदद की है, हम राहुल गांधी से नहीं मिलना चाहतेे।”
इस वीडियो में मौजूद मृतक के पिता और बहन चुप खड़े दिखते हैं।
इस घटनाक्रम के घंटा-भर बाद ही राहुल गांधी ने फतेहपुर जाकर पीड़ित परिवार से 25 मिनट तक मुलाकात की।
बाहर निकलकर राहुल ने मीडिया के सामने कहा कि परिवार के ऊपर बहुत दवाब बनाया जा रहा है। “उन्हें अपनी बेटी का ऑपरेशन कराना है कि परिवार को पुलिस बाहर ही नहीं निकलने दे रही है।”
बता दें कि mob lynching का यह मामला सामने आने के बाद राहुल ने मृतक के पिता से बात की थी, फिर कांग्रेस के दो दल परिवार से आकर मिले।
मामले की चर्चा बढ़ने के बाद दवाब में आकर घटना के 11वें दिन यूपी सरकार के दो कैबिनेट मंत्री पीड़ित के पिता से आकर मिले। उन्होंने मदद राशि दी और मृतक की बहन को नौकरी का आश्वासन भी दिया था।
बहन को स्टाफ नर्स की नौकरी मिली
पीड़ित दलित परिवार की बेटी और मृतक ओमप्रकाश की बहन को प्रदेश सरकार की ओर से आउटसोर्स के तौर पर स्टाफ नर्स की जॉब दिला दी गई है। खास बात ये है कि इसकी घोषणा राहुल गांधी के दौरे से ठीक पहले हुई।
चुनावी डायरी
बिहार : सीनियर सिटिजन व दिव्यांग वोटरों ने कर दिया चुनाव का आगाज
- होम वोटिंग की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए।
लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य
बिहार में सीनियर सिटिजन व दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। होम वोटिंग के दौरान मतदाताओं में खूब उत्साह देखा गया।
इसके लिए जिला प्रशासन ने घर-घर जाकर वोटिंग कराई। 85 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजनों के घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग करायी।
लखीसराय में होम वोटिंग (घर-घर जाकर मतदान) की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए। जिले की सूर्यगढ़ा व लखीसराय विधानसभा क्षेत्रों में पाँच-पाँच मतदान टीमों ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करायी।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 14 वरिष्ठ मतदाता एवं 27 दिव्यांग मतदाता, कुल 41 मतदाता चिन्हित किए गए थे। जिला प्रशासन के कुशल पर्यवेक्षण में इन सभी 41 मतदाताओं का मतदान एक ही दिन में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।
वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 42 वरिष्ठ मतदाता एवं 22 दिव्यांग मतदाता, कुल 64 मतदाता चिन्हित थे। इनमें से 57 मतदाताओं का मतदान 24 अक्टूबर को ही करा लिया गया तथा शेष 7 मतदाताओं का मतदान 25 अक्टूबर (शनिवार) को पूर्ण कराया गया। इस प्रकार दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
रिपोर्टर की डायरी
अब बरेली में 41 मकानों को अवैध बताया, बुलडोजर चलेगा
- पीड़ित लोग बोले- जिन्हें वोट दिया, वही घर उजाड़ रहे।
- मेयर बोले- निगम की जमीन की कार्रवाई नहीं रोक सकते।
- शाहबाद और डेलापीर के कब्जेदारों को एक सप्ताह की और मोहलत दी।
बरेली | मोनू पांडे
यूपी के बरेली में 41 मकानों को एक सप्ताह बाद बुलडोजर से ढहा दिया जाएगा। नगर निगम का कहना है कि शाहबाद और डेलापीर में उनकी जमीनों पर कई साल से अवैध कब्जा है और इसे हटाने के लिए कब्जेदारों को 15 दिनों का समय दिया था जिसकी मियाद 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। हालांकि 25 अक्तूबर तक अधिकांश घर खाली नहीं हो सके तो नगर निगम ने एक सप्ताह की मोहलत दे दी है।
शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों पर चलेगा बुलडोजर
बरेली के शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों को नोटिस गया था, यहां 25 अक्टूबर को नगर निगम ने अवैध निर्माण ढहाने के निर्देश दिए थे, हालांकि लोगों को एक सप्ताह के अंदर खुद ही कब्जा खाली करने की मोहलत दी गई है। यहां रहने वाले लोगों का भी कहना है कि हम लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं। यहां एक प्रधानमंत्री आवास भी बना है, उस पर भी बुलडोजर चलेगा। यहां रहने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने 26 सितंबर को हुई हिंसा में गिरफ्तार भी किया है।
डेलापीर तालाब किनारे 14 मकानों को अवैध बताया
नगर निगम ने डेलापीर तालाब के किनारे बसे 14 मकानों के अवैध बताते हुए 15 दिन पहले नोटिस भेजा था। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि वो लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं, जब हम लोग यहां रहने आए थे तब यहां घना जंगल था और बड़ा सा तालाब था।
उस वक्त यहां कोई मुफ्त में भी जगह नहीं लेना चाहता था। दिनदहाड़े लोगों को लूट लिया जाता था। धीरे-धीरे यहां कई कालोनियां बन गईं। अब यहां की जमीनें काफी महंगी हो गई हैं इसलिए नगर निगम अब हम लोगों को यहां से हटा रहा है।’
मजदूर वर्ग और दलित-ओबीसी परिवारों का इलाका
लोगों का कहना है कि हम सभी मजदूर वर्ग के हैं। सभी दलित और ओबीसी जाति के लोग हैं। रोज कमाने-खाने वाले हैं। 40-50 गज में सभी घर बने हुए हैं। यहां रहने वाले पुरुष रिक्शा चलाते हैं तो महिलाएं घरों में चौका-बर्तन करके पेट पालती हैं। हमने बहुत मेहनत करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने घरों में लाखों रुपये लगाए हैं। कुछ लोगों का जन्म यहीं हुआ तो कुछ महिलाओं की शादी यहीं होकर आई। शादी के 50 साल हो गए। बच्चे बड़े हो गए, उनकी भी शादी हो गई। कुछ लोगों की लड़कियां जवान हैं, शादी की उम्र है। लोगों का कहना है कि अब हम लड़कियों की शादी करेंगे या नई जगह मकान बनाएंगे? अब हम सब सड़क पर जाएंगे। हमारे पास रहने का कोई और ठिकाना नहीं है।
योगी से मिलने गए, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
लोगों का कहना है कि हम लोग गोरखपुर और लखनऊ भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। यहां लोकल स्तर पर मंत्री डॉ. अरुण कुमार और मेयर डॉ. उमेश गौतम के पास भी गए थे, लेकिन उन लोगों ने भी कोई मदद नहीं की। लोगों का कहना है कि मोदी हम सबको अपना परिवार कहते हैं, लेकिन अब अपने परिवार को ही उजाड़ रहे हैं। हम लोग गरीब हैं, इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
रिपोर्टर की डायरी
बेतिया के मेडिकल कॉलेज में डेडबॉडी को घेरकर प्रदर्शन क्यों कर रहे डॉक्टर?
- बेतिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में डॉक्टरों का प्रदर्शन।
- नाइट ड्यूटी के दौरान डॉक्टर न होने का आरोप, मरीज की मौत हुई।
- डॉक्टरों से मारपीट में मृतक की पत्नी व बहन घायल, इलाज जारी।
बेतिया | मनोज कुमार
बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के ऊपर लापरवाही के आरोप लगे तो उन्होंने एक डेडबॉडी को ही बंधक बनाकर धरना देना शुरू कर दिया।हालात ऐसे हुए कि मृतक के परिजनों को अस्पताल से भागना पड़ा, मृतक की पत्नी व बहन घायल हो गए हैं जिनका इलाज एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है।
दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि परिजनों ने एक नर्स के साथ दुर्व्यवहार किया था। ये घटना बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के Government Medical college and Hospital की है, जिसे आपतौैर पर GMCH कहा जाता है।
शनिवार सुबह (25 अक्तूबर ) हुई इस घटना के बाद अस्पताल में तनाव की स्थिति बन गई, जिसके चलते SSB और नगर थाना पुलिस को तैनात किया गया।
दरअसल 24 नवंबर को बानूछपरा इलाके के एक गंभीर मरीज रंजय तिवारी को अस्पताल लाया गया। परिजनों का कहना है कि रंजय को तीन इंजेक्शन दिए गए, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने डॉक्टरों को खोजने की कोशिश की पर कोई भी डॉक्टर रात में मौजूद नहीं मिला, जिससे उनके मरीज की तड़प-तड़पकर मौत हो गई।
शनिवार सुबह जब डॉक्टर अस्पताल पहुंचे तो गुस्साए परिजनों ने हंगामा किया। आरोप है कि दोनों के बीच काफी मारपीट हुई और मारपीट के कारण मृतक की पत्नी तनुश्री और बहन छोटी कुमारी घायल हो गईं, जिनका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।
परिवार का कहना है कि उन्हें अब तक डेडबॉडी नहीं मिली है, उन्होंने पुलिस के शव दिलाने का अनुरोध किया है।
इस मामले में GMCH अधीक्षक सुधा भारती का कहना है कि उनके नर्सिंग व डॉक्टर स्टाफ में काफी नाराजगी है, वे मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ FIR चाहते हैं, उन्हें भी लगता है कि केस होना चाहिए। साथ ही उन्होंने बोला कि मरीज के अटेडेंट ने अपनी गलती मानी है। हालांकि डेडबॉडी सुपुर्द न करने को लेकर उनसे बात नहीं हो सकी।
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