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रिपोर्टर की डायरी

यूपी में खनन अधिकारी ही चला रहे ओवरलोड ट्रक रैकेट, UP-STF कार्रवाई से हुआ खुलासा

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फतेहपुर में खनन अधिकारी के खिलाफ एसटीएफ ने ओवरलोड ट्रकों के मामले में केस दर्ज किया, इसके बाद मीडिया के सवाल पर वे कुर्सी से उठकर चले गए।
फतेहपुर में खनन अधिकारी के खिलाफ एसटीएफ ने ओवरलोड ट्रकों के मामले में केस दर्ज किया, इसके बाद मीडिया के सवाल पर वे कुर्सी से उठकर चले गए।
  • यूपी STF का तीन जिलों में ऑपरेशन, अफसर–कर्मचारी और 22 दलालों पर केस।
  • फतेहपुर में खनन अधिकारी के ऊपर केस दर्ज, मीडिया के सामने कुर्सी से उठकर भागे।

 

फतेहपुर/नई दिल्ली|

उत्तर प्रदेश में अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों को पास कराने वाले एक बड़े रैकेट का चेहरा आखिरकार सामने आ गया है।

महीनों से चल रही शिकायतें, रातों के अंधेरे में होने वाली ट्रकों की आवाजाही, रास्ते में अचानक गायब होते चेकिंग प्वाइंट – इन सबके पीछे एक संगठित नेटवर्क था, जो नेताओं, विभागीय अधिकारियों और स्थानीय दलालों की मिलीभगत से चलता था।

सबसे हैरानी की बात ये है कि फतेहपुर में खनन अधिकारी के खिलाफ ही FIR दर्ज हुई है जो दर्शाता है कि पूरा विभाग ही इस नेटवर्क में मुख्य भूमिका में है।

STF की 12 नवंबर की रात को चली कार्रवाई ने इस पूरे सिस्टम को हिला दिया। फतेहपुर, उन्नाव और रायबरेली—तीनों जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद कई लोकल “लोकेटर”, दलाल और विभागीय कर्मचारी गिरफ़्तार हुए।

फतेहपुर में तो स्थिति ऐसी रही कि छापा पड़ते ही खनन अधिकारी कैमरे से बचने के लिए भागते नजर आए।

सरकार ने इस कार्रवाई को “अवैध उगाही खत्म करने की बड़ी शुरुआत” बताया है।

 


 

फतेहपुर: खनन अधिकारी कैमरा देखते ही भागे, STF ने अधिकारी समेत 6 पर FIR की

संदीप केशरवानी |  STF लखनऊ ने रात में छापा मारा, खनन अधिकारी और उनके गनर पर केस हुआ है। मीडिया जब सवाल करने गई तो खनन अधिकारी कुर्सी से उठकर भागे।

मीडिया ने सवाल पूछा तो खनन अधिकारी कुर्सी से उठकर जाने लगे।

मीडिया ने सवाल पूछा तो खनन अधिकारी कुर्सी से उठकर जाने लगे।

FIR में नाम:

1. खनन अधिकारी देशराज पटेल

2. उनका गनर

3. RTO ड्राइवर

4. लोकेटर: धीरेंद्र, विक्रम और मुकेश

मीडिया ने सवाल पूछा तो खनन अधिकारी कुर्सी से उठकर जाने लगे।

लोकेटर धीरेंद्र को पकड़कर STF ने पूरा नेटवर्क उजागर किया—कैसे कागज़ों के बिना ट्रक निकलते थे और किस तरह हर ट्रक से वसूली होती थी।


 

उन्नाव: आधी रात का ऑपरेशन, 5 दलाल पकड़े गए

गदनखेड़ा बाईपास पर दो कारों को घेरकर STF ने जब जांच की, तो मामला बड़ा निकला।

बरामद:

13,800 रुपये

7 मोबाइल

1 ट्रक

2 कारें

गिरफ्तार लोगों ने कबूला:

वे प्रति ट्रक ₹7,000–11,000 तक लेते थे

ARTO–PTO स्टाफ के नाम सामने आए

“नो चालान लिस्ट” भेजी जाती थी

350 ट्रकों की पूरी सूची मोबाइल में मिली

दो साल से यह नेटवर्क चल रहा था


रायबरेली: 114 ट्रकों का रूट “सेट”—दो दलाल गिरफ्तार

STF ने मोरंग कारोबार से जुड़े दो बड़े दलाल—मोहित सिंह और सुशील—को पकड़ा।
पूछताछ में खुलासा हुआ:

हर दिन 114 ट्रकों से फिक्स वसूली

पैसा ARTO, PTO और खनन विभाग के स्टाफ तक पहुँचता

ट्रक कभी नहीं रोके जाते क्योंकि पहले ही भुगतान हो चुका होता था

 

तीन जिलों में कुल 22 लोगों पर FIR, कार्रवाई आगे और भी बड़ी हो सकती है


 

STF की जांच में अबतक:

22 आरोपी

दर्जनभर सरकारी कर्मचारी

कई दलाल

कई बड़े नामों की भूमिका
सामने आ चुकी है।

सरकार ने साफ कहा है, “राजस्व चोरी, अवैध वसूली और खनन–परिवहन में भ्रष्टाचार पर अब जीरो टॉलरेंस होगा।”


 

आसान शब्दों में जानिए ..आखिर यह रैकेट चलता कैसे था?  

यह नेटवर्क बेहद संगठित, प्लानिंग के साथ और आधुनिक तरीके से चलाया जाता था।

1. ट्रकों का रूट तय करता था ‘लोकेटर’

  • लोकेटर बाइक/कार से ट्रकों के आगे चलता था।
  • रास्ते में कहीं पुलिस चेकिंग न हो, इसकी लाइव जानकारी देता था।
  • जैसे ही सुरक्षित मार्ग मिलता, लोकेटर ट्रक को आगे बढ़ने का संकेत देता।

इसीलिए ट्रक बिना रोक-टोक जिलों से निकल जाते थे।

2. हर ट्रक से वसूली—5,000 से 11,000 रुपये तक

  • फतेहपुर – ₹5,000 / ट्रक
  • रायबरेली – ₹5,000–10,000 / ट्रक
  • उन्नाव – ₹7,000–11,000 / ट्रक

रोज़ लगभग 114 से 350 ट्रक इस नेटवर्क से निकलते थे—आप समझ सकते हैं रोज़ाना की कमाई कितनी रही होगी।

 

3. आधुनिक तरीका—UPI पेमेंट, WhatsApp लिस्ट

STF को आरोपियों के मोबाइल में मिला:

  • “NO CHALLAN LIST” — जिन ट्रकों को रोकना नहीं था
  • UPI transaction
  • ट्रक नंबरों की लंबी WhatsApp सूची
  • अफसरों तक पैसा पहुँचाने के सबूत

ट्रक मालिक पहले लोकेटर को पैसा भेजते थे – लोकेटर उसे विभागीय स्टाफ तक पहुंचाता था।

 

4. रैकेट रात 8 बजे के बाद सबसे ज्यादा एक्टिव

अँधेरा होते ही पूरा नेटवर्क चालू हो जाता:

  • लोकेटर आगे
  • ट्रक पीछे
  • और विभागीय “सेटिंग” होने के कारण रास्ते साफ

यही वजह है कि रात में ओवरलोड ट्रकों की संख्या अचानक बढ़ जाती थी।

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Edited by Mahak Arora (Content writer)

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

रिपोर्टर की डायरी

जब नीतीश कुमार दसवीं बार CM बने, उसी दिन नालंदा विवि ने पूरे किए 75 वर्ष

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By The image belongs to the Nava Nalanda Mahavihara and I have permission - https://www.youtube.com/watch?v=VKXzC6nb-34, Public Domain, Link
प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इस डीम्ड विश्वविद्यालय का स्थापना की थी।
  • नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने 21 सितंबर को स्थापना के 75 वर्ष पूरे किए
नालंदा | संजीव राज
जिस दिन नालंदा के राजगीर के बेटे नीतीश कुमार ने पटना में दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली, उसी दिन राजगीर से महज 12 किलोमीटर दूर नालंदा में एक और इतिहास बना। यह ऐतिहासिक बन है- नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने अपने 75 वर्ष पूरे किए
यह संयोग एक संदेश भी लाया।
एक तरफ बिहार की नई सरकार शपथ ले रही है जो बार-बार दावा करती है कि वे शिक्षा क्रांति लाएंगे।

दूसरी तरफ उसी बिहार का नालंदा खड़ा है जो 1600 साल पहले दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय था, जिसे ह्वेनसांग ने “ज्ञान का संयुक्त राष्ट्र” कहा था और जिसे आज फिर से जीवित किया जा रहा है।
प्रथम राष्ट्रपति ने रखी थी नींव 
20 नवंबर 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नव नालंदा महाविहार की नींव रखी थी। इसका एक ही उद्देश्य था कि 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी द्वारा जलाए गए प्राचीन नालंदा को फिर से खड़ा किया जाए।  
75 साल पूरे होने के मौके पर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

75 साल पूरे होने के मौके पर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

AI से पांडुलिपियां होंगी डिजिटल
आज 75 साल पूरे होने के मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने घोषणा की- 
“नव नालंदा महाविहार को ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ का क्लस्टर सेंटर बनाया जा रहा है, प्राचीन पांडुलिपियों का AI से डिजिटलीकरण होगा।”
5वीं सदी में दुनिया के 10 हजार विद्यार्थी पढ़ते थे
एक समय यहां विदेशी विद्यार्थी पाली, बौद्ध दर्शन और तिब्बती अध्ययन पढ़ने आते हैं। वियतनाम के बौद्ध संघ ने इसे “United Nations of Wisdom” कहा। 5वीं सदी में 10,000 विद्यार्थी और 1,500 शिक्षक थे। कोरिया, चीन, तिब्बत, मध्य एशिया से लोग पढ़ने आते थे। आज फिर विदेशी छात्र भारत को “बौद्ध संस्कृति का राजदूत” बनकर लौट रहे हैं।
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चुनावी डायरी

दो सीटें जीतने के बाद भी NDA सरकार में सीमांचल को सीमित प्रतिनिधित्व, अररिया की जनता नाराज

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  • अररिया जिले को NDA सरकार के मंत्रीमंडल में कोई मंत्री नहीं मिला जबकि पहले हर सरकार यहां से मंत्री बनाती आई है।

फारबिसगंज(अररिया) |  मुबारक हुसैन
नई सरकार के गठन के साथ एनडीए समर्थकों में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं अररिया जिले में निराशा गहराती दिख रही है। इसका कारण है कि जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला, जबकि हर सरकार में अररिया से कैबिनेट मंत्री बनते आए हैं। इस बार पूर्णिया से विधायक लेशी सिंह को जरूर मंत्री बनाया गया है पर NDA मंत्रीमंडल में घटे सीमांचल के प्रतिनिधित्व से आम लोग नाराज हैं।

बीजेपी ने दो सीट जीतीं फिर भी उपेक्षित
अररिया जिले की कुल छह विधानसभा सीटों में से नरपतगंज और सिकटी में भाजपा ने जीत दर्ज की। खासकर सिकटी से लगातार हैट्रिक के साथ छठी बार विधानसभा पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता विजय मंडल के मंत्री बनने की अटकलें तेज थीं। पिछली सरकार में उन्होंने बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री के रूप में कार्य किया था और सीमांचल सहित कोसी अंचल के मुद्दों को मजबूती से उठाया था। ऐसे में माना जा रहा था कि अनुभव और लगातार जीत के आधार पर उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन इस बार उन्हें भी बाहर रखा गया, जिससे जिले में मायूसी और राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

एनडीए का कमजोर प्रदर्शन भी बनी वजह?
पिछले दो चुनावों की तुलना में इस बार जिले में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा है। फारबिसगंज और रानीगंज जैसी परंपरागत सीटों पर एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। दो दशक से अधिक समय तक इन दोनों सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा था। रानीगंज में जहां जदयू विजयी होती रही, वहीं फारबिसगंज भाजपा की सुरक्षित मानी जाने वाली सीट रही है। विश्लेषकों का कहना है कि छह में से सिर्फ दो सीटें जीत पाने की स्थिति एनडीए के लिए अनुकूल नहीं रही, जिसका असर मंत्री पद के चयन में दिखा है।

अररिया को मिलता रहा है प्रतिनिधित्व
स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि चाहे राज्य में महागठबंधन सरकार रही हो या एनडीए की, अररिया को हमेशा मंत्री पद के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। जिले के दिग्गज नेताओं जैसे सरयू मिश्रा, मोइदुर रहमान, अजीमुद्दीन, तस्लीमुद्दीन, सरफराज आलम, शाहनवाज आलम, शांति देवी और रामजी दास ऋषिदेव आदि ने पूर्व में मंत्री पद संभालकर जिले का प्रतिनिधित्व किया है। इसी क्रम को पिछले कार्यकाल में विजय कुमार मंडल ने आगे बढ़ाया पर इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।

सीमांचल की आवाज़ कमजोर होने की आशंका
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीमांचल क्षेत्र पहले से ही विकास के मामले में पिछड़ा माना जाता है। ऐसे में मंत्री पद जैसा प्रतिनिधित्व जिले की समस्याओं को सरकार तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाने का साधन रहा है। इस बार किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से आम लोगों में चिंता है कि जिले की आवाज राजधानी में कमजोर पड़ सकती है।

क्या कहते हैं पार्टी कार्यकर्ता
अररिया को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व न मिलने को लेकर NDA के घटक दलों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे राजनीतिक रूप से गलत संदेश जा सकता है। हालांकि कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि अगर 5 साल के कार्यकाल में NDA अपना कैबिनेट विस्तार करती है तो जरूर अररिया को मंत्री मिलेगा।


 

NDA सरकार के जिलावार कैबिनेट मंत्रियों की सूची

1. सहयोगी कोटा – संतोष सुमन – HAM – (गया)
2. सहयोगी कोटा – संजय पासवान – LJPR- (बेगूसराय)
3. सहयोगी कोटा – संजय सिंह – LJPR – ( वैशाली)
4. सहयोगी कोटा – दीपक प्रकाश – RLM – ( वैशाली )
5. भाजपा कोटा – रामकपाल यादव – BJP ( पटना)
6. भाजपा कोटा – संजय सिंह टाइगर – BJP ( आरा )
7. भाजपा कोटा – अरुण शंकर प्रसाद – BJP ( मधुबनी)
8. भाजपा कोटा – सुरेन्द्र मेहता – BJP, ( बेगूसराय)
9. भाजपा कोटा – नारायण प्रसाद – BJP ( पश्चिम चंपारण)
10. भाजपा कोटा – सम्राट चौधरी – डिप्टी सीएम ( मुंगेर )
11. भाजपा कोटा – विजय सिन्हा – डिप्टी सीएम – ( लखीसराय)
12. भाजपा कोटा – दिलीप जायसवाल – BJP ( किशनगंज )
13. भाजपा कोटा – मंगल पांडेय – BJP ( सीवान)
14. भाजपा कोटा – नितिन नवीन – BJP ( पटना)
15. भाजपा कोटा – रमा निपद – BJP ( मुजफ्फरपुर)
16. भाजपा कोटा – लखेंद्र पासवान – BJP ( वैशाली)
17. भाजपा कोटा – श्रेयसी सिंह – BJP ( जमुई )
18. भाजपा कोटा – प्रमोद कुमार चंद्रवंशी – BJP ( जहानाबाद)
19. JDU कोटा – नीतीश कुमार – मुख्यमंत्री ( नालंदा)
20. JDU कोटा – विजय कुमार चौधरी – JDU ( समस्तीपुर)
21. JDU कोटा – अशोक चौधरी – JDU (शेखपुरा)
22. JDU कोटा – विजेन्द्र यादव – JDU ( सुपौल)
23. JDU कोटा – श्रवण कुमार – JDU ( नालंदा)
24. JDU कोटा – जमा खान – JDU ( कैमूर)
25. JDU कोटा – लेशी सिंह – JDU ( पूर्णिया)
26. JDU कोटा – मदन सहनी – JDU ( दरभंगा)

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चुनावी डायरी

बिहार : नई सरकार की शपथ के दिन मौन व्रत पर बैठे प्रशांत किशोर

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गांधी प्रतिमा के सहयोगियों संग बैठे प्रशांत किशोर।
गांधी प्रतिमा के सहयोगियों संग बैठे प्रशांत किशोर।
  • 20 नवंबर सुबह 11:14 मिनट से मौन व्रत शुरू हुआ तो 21 नवंबर को सुबह 11:15 बजे तक चलेगा।

बेतिया (पश्चिमी चंपारण) |

बिहार में गुरुवार को नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इसी दिन को प्रशांत किशोर ने जनसुराज की चुनावी रणनीति की गड़बड़ियों से जुड़े प्रायश्चित के लिए चुना।

दो दिन पहले जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोेर ने मीडिया के सामने कहा था कि वे जनता तक अपने संदेश को ठीक ढंग से पहुंचा नहीं पाए, जिसके लिए वे प्रायश्चित स्वरूप एक दिन का मौत व्रत रखेंगे।

इसके तहत प्रशांत किशोर ने आज (20 नवंबर) सुबह सबा 11 बजे पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम में मौन उपवास शुरू किया जो अगले दिन इसी समय तक चलेगा। अपने सहयोगियों के साथ वे गांधी प्रतिमा के पास बैठे मौत उपवास अकेले कर रहे हैं।

जनसुराज पार्टी ने एक्स पर प्रशांत किशोर की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा ‘गांधी आश्रम , भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के साथ बिहार में बदलाव की नई शुरुआत।’

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी और उन्हें 3.34 प्रतिशत वोट मिला।

 

गांधी के आंदोलन के खिलाफ रहे हैं PK

गांधी के रास्ते पर चलते हुए मौन व्रत करके आत्मबल और आत्म चिंतन कर रहे प्रशांत किशोर कुछ मामलों में गांधीवादी विचारधारा से उलट राय रखते हैं। प्रशांत किशोर अक्सर अपने भाषणों में कहते रहे हैं कि वे महात्मा गांधी के आंदोलन करने के तरीकों का समर्थन नहीं करते।

वे कहते हैं कि दीर्घकालिक विकास और व्यवस्था में बदलाव के लिए आंदोलन आधारभूत तरीका नहीं है, बल्कि वे ऐसी चुनावी प्रक्रिया के समर्थक हैं जिसमें सही लोग चुनकर नेतृत्व करें।

उनका कहना है कि फ्रांस रेवोल्यूशन को छोड़कर इतिहास में किसी भी आंदोलन या क्रांति ने किसी भी देश में लंबे समय तक टिकने वाले विकास का रास्ता नहीं बनाया है।

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