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बरेली में ‘अवैध’ बताकर फिर ऐक्शन, दो मंजिला जगतपुर मार्केट को सील किया
- इस मार्केट के मालिक आरिफ को तौकीर रज़ा का करीबी बताया जा रहा।
- आरिफ के फ्लोरा गार्डन और फहम लॉन को पहले ही सील किया जा चुका।
- दुकानदारों बोले- बिना नोटिस के ऐक्शन, सामान तक निकालने नहीं दिया।
बरेली | मोनू पांडे
बरेली डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जगतपुर इलाके में स्थित 15 दुकानों वाली दो मंजिला मार्केट को सील कर दिया है। साथ ही 4 मंजिला कमर्शियल बिल्डिंग की तीन दुकानों को सील किया गया। ये सभी मो. आरिफ की हैं जो पेशे से बिल्डर व व्यवसायी हैं।
मीडिया में इन कार्रवाइयों को तौकीर रज़ा के करीबी होने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि BDA ने ऐसे किसी लिंक से इनकार करते हुए कहा है कि अवैध अतिक्रमण के चलते ऐक्शन हो रहा है। मो. आरिफ के दो बारातघर (फहम लॉन, फ्लोरा गार्डन) और उनकी पत्नी एक होटल स्काईलॉक को हाल में सील किया गया था।
इन सभी कार्रवाइयों की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि हाल में BDA और नगर निगम ने कई मुस्लिम मालिकों की संपत्तियों को अवैध बताकर सील किया और बुलडोजर भी चलाया है। जिनकी संपत्तियों पर ऐक्शन हुए हैं, उनमें से अधिकांश का कनेक्शन तौकीर रज़ा या उनकी पार्टी के साथ बताया गया।
BDA ने नोटिस नहीं दिया, हमारा सामान भी सील : दुकानदार
जगतपुर में सीलिंग के दौरान दुकानदारों ने कहा कि BDA ने उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया, मो. आरिफ के पास नोटिस आया हो तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। मौके पर पहुंचकर BDA की टीम ने लोगों को दस मिनट के अंदर दुकानों से जरूरी समान निकलकर और सभी को बाहर आ जाने को कहा। दुकानदारों ने सामान निकालने के लिए कुछ घंटों की मोहलत मांगी पर वह भी नहीं मिली। दुकानदारों के मुताबिक,
“हमारा सारा सामान अंदर रह गया, हमें दुकानें सील करने की जानकारी तक नहीं दी गई।”
सील हुई मार्केट करीब 1200 स्क्वायर फीट में बनी है और इसमें 15 दुकानें हैं जिसमें हर दुकान की कीमत 30 लाख तक बतायी जा रही है। BDA का कहना है कि ये मार्केट बिना नक्शा पास बनाई गईं।
13 दुकानें बिक चुकी हैं, अब हमारा क्या कसूर?
मार्केट के व्यापारियों का कहना है कि आरिफ ने इस मार्केट की 13 दुकानें पहले ही बेच दी थीं, सिर्फ दो दुकानें ही किराए पर थीं। “हमने तो यह दुकानें खरीद ली थीं, अब अगर मालिक पर कार्रवाई हो रही है तो हमारा क्या कसूर?”
एक स्टोर व जिम भी सील किया
पीलीभीत रोड स्थित फ्लोरा गार्डन के बराबर में आरिफ की बिल्डिंग में नीचे ‘पीटर इंग्लैंड’ का शोरूम और ऊपर एक जिम चल रहा था। बीडीए टीम ने मौके पर पहुंचकर दोनों को सील कर दिया। अधिकारी कहते हैं कि बिल्डिंग बिना नक्शा पास कराए बनाई गई थी।
BDA का पक्ष : ऐक्शन नियम मुताबिक
बीडीए के ओएसडी अजीत सिंह ने बताया कि शनिवार को आरिफ की कुल 17 दुकानें सील की गईं।
“सभी निर्माण बिना स्वीकृत नक्शे के किए गए थे। इसलिए नियमानुसार कार्रवाई की गई है।”
बरेली में मुस्लिम समुदाय के 27 मकानों पर बुलडोजर का खतरा, 15 दिन में खाली करने का अल्टीमेटम
चुनावी डायरी
बिहार : बेतिया सांसद से रंगदारी-’10 करोड़ दो वरना बेटे को मार देंगे’
- डॉ. संजय जायसवाल ने रंगदारी के खिलाफ केस दर्ज करवाया।
- जिला पुलिस ने 24 घंटों के अंदर एक आरोपी को पकड़ा।
बेतिया | मनोज कुमार
बिहार में आचार संहिता लगी हुई है फिर भी अपराधियों का साहस देखने लायक है। पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया सांसद डॉ. संजय जायसवाल का कहना है कि उनके पास 10 करोड़ की रंगदारी के लिए धमकी भरा फोनकॉल आया। फोन करने वाले ने कहा कि अगर रूपया नहीं मिला तो उनके बेटे डॉ. शिवम जायसवाल की हत्या कर देंगे।
(Note – इस खबर को वीडियो पर देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।)
चूंकि मामला सांसद का था तो जिला पुलिस ने एक SIT बनाकर तुरंत जांच शुरू कर दी और चौबीस घंटे के अंदर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि जिस युवक ने सांसद से रंगदारी के लिए फोन किया, उसने अपने भाई के फोन का इस्तेमाल किया, जिसकी तीन महीने पहले गुमशुदगी दर्ज करायी थी।
बता दें कि सांसद डॉ. संजय जायसवाल के 25 अक्तूबर को लिखित आवेदन दिया था कि उनके बेटे को जान से मारने की धमकी भरी फोन कॉल उन्हें 23 अक्टूबर को दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों से आई। जिसमें उनसे 10 करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी।
इस मामले में एसपी डॉ. शौर्य सुमन ने 26 अक्तूबर को बताया कि रंगदारी मांगने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान कालीबाग थाना क्षेत्र के शास्त्री नगर निवासी अशोक कुमार के रूप में हुई है।
एसपी का कहना है कि आरोपी ने शातिर तरीके से घटना को अंजाम दिया। हमने मोबाइल के मालिक को गिरफ्तार किया तो पता लगा कि उसके भाई ने एक और अभियुक्त के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था, उसे पुलिस ढूंढने के लिए छापामारी कर रही है।
चुनावी डायरी
बिहार : सीनियर सिटिजन व दिव्यांग वोटरों ने कर दिया चुनाव का आगाज
- होम वोटिंग की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए।
लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य
बिहार में सीनियर सिटिजन व दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। होम वोटिंग के दौरान मतदाताओं में खूब उत्साह देखा गया।
इसके लिए जिला प्रशासन ने घर-घर जाकर वोटिंग कराई। 85 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजनों के घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग करायी।
लखीसराय में होम वोटिंग (घर-घर जाकर मतदान) की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए। जिले की सूर्यगढ़ा व लखीसराय विधानसभा क्षेत्रों में पाँच-पाँच मतदान टीमों ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करायी।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 14 वरिष्ठ मतदाता एवं 27 दिव्यांग मतदाता, कुल 41 मतदाता चिन्हित किए गए थे। जिला प्रशासन के कुशल पर्यवेक्षण में इन सभी 41 मतदाताओं का मतदान एक ही दिन में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।
वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 42 वरिष्ठ मतदाता एवं 22 दिव्यांग मतदाता, कुल 64 मतदाता चिन्हित थे। इनमें से 57 मतदाताओं का मतदान 24 अक्टूबर को ही करा लिया गया तथा शेष 7 मतदाताओं का मतदान 25 अक्टूबर (शनिवार) को पूर्ण कराया गया। इस प्रकार दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
रिपोर्टर की डायरी
अब बरेली में 41 मकानों को अवैध बताया, बुलडोजर चलेगा
- पीड़ित लोग बोले- जिन्हें वोट दिया, वही घर उजाड़ रहे।
- मेयर बोले- निगम की जमीन की कार्रवाई नहीं रोक सकते।
- शाहबाद और डेलापीर के कब्जेदारों को एक सप्ताह की और मोहलत दी।
बरेली | मोनू पांडे
यूपी के बरेली में 41 मकानों को एक सप्ताह बाद बुलडोजर से ढहा दिया जाएगा। नगर निगम का कहना है कि शाहबाद और डेलापीर में उनकी जमीनों पर कई साल से अवैध कब्जा है और इसे हटाने के लिए कब्जेदारों को 15 दिनों का समय दिया था जिसकी मियाद 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। हालांकि 25 अक्तूबर तक अधिकांश घर खाली नहीं हो सके तो नगर निगम ने एक सप्ताह की मोहलत दे दी है।
शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों पर चलेगा बुलडोजर
बरेली के शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों को नोटिस गया था, यहां 25 अक्टूबर को नगर निगम ने अवैध निर्माण ढहाने के निर्देश दिए थे, हालांकि लोगों को एक सप्ताह के अंदर खुद ही कब्जा खाली करने की मोहलत दी गई है। यहां रहने वाले लोगों का भी कहना है कि हम लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं। यहां एक प्रधानमंत्री आवास भी बना है, उस पर भी बुलडोजर चलेगा। यहां रहने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने 26 सितंबर को हुई हिंसा में गिरफ्तार भी किया है।
डेलापीर तालाब किनारे 14 मकानों को अवैध बताया
नगर निगम ने डेलापीर तालाब के किनारे बसे 14 मकानों के अवैध बताते हुए 15 दिन पहले नोटिस भेजा था। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि वो लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं, जब हम लोग यहां रहने आए थे तब यहां घना जंगल था और बड़ा सा तालाब था।
उस वक्त यहां कोई मुफ्त में भी जगह नहीं लेना चाहता था। दिनदहाड़े लोगों को लूट लिया जाता था। धीरे-धीरे यहां कई कालोनियां बन गईं। अब यहां की जमीनें काफी महंगी हो गई हैं इसलिए नगर निगम अब हम लोगों को यहां से हटा रहा है।’
मजदूर वर्ग और दलित-ओबीसी परिवारों का इलाका
लोगों का कहना है कि हम सभी मजदूर वर्ग के हैं। सभी दलित और ओबीसी जाति के लोग हैं। रोज कमाने-खाने वाले हैं। 40-50 गज में सभी घर बने हुए हैं। यहां रहने वाले पुरुष रिक्शा चलाते हैं तो महिलाएं घरों में चौका-बर्तन करके पेट पालती हैं। हमने बहुत मेहनत करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने घरों में लाखों रुपये लगाए हैं। कुछ लोगों का जन्म यहीं हुआ तो कुछ महिलाओं की शादी यहीं होकर आई। शादी के 50 साल हो गए। बच्चे बड़े हो गए, उनकी भी शादी हो गई। कुछ लोगों की लड़कियां जवान हैं, शादी की उम्र है। लोगों का कहना है कि अब हम लड़कियों की शादी करेंगे या नई जगह मकान बनाएंगे? अब हम सब सड़क पर जाएंगे। हमारे पास रहने का कोई और ठिकाना नहीं है।
योगी से मिलने गए, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
लोगों का कहना है कि हम लोग गोरखपुर और लखनऊ भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। यहां लोकल स्तर पर मंत्री डॉ. अरुण कुमार और मेयर डॉ. उमेश गौतम के पास भी गए थे, लेकिन उन लोगों ने भी कोई मदद नहीं की। लोगों का कहना है कि मोदी हम सबको अपना परिवार कहते हैं, लेकिन अब अपने परिवार को ही उजाड़ रहे हैं। हम लोग गरीब हैं, इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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